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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 11 जुलाई 2025 (16:10 IST)

इस साल का सावन क्यों है खास, क्या करें जो मिले मनवांछित फल

sawan me manokamna purti ke upay
sawan somwar 2025: 11 जुलाई से सावन मास प्रारंभ हो गया है। इस बार का सावन मास खास है क्योंकि ग्रह नक्षत्रों के योग के साथ ही कई शुभ योग संयोग का निर्माण भी हो रहा है। ऐसे में यदि इस माह आप पूरे मनोयोग से भगवान शिव की आराधना करते हैं तो निश्चित ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी और आपको इच्छित फल की प्राप्ति होगी।
 
इस साल 2025 का सावन मास क्यों है खास? 
1. चारों सोमवार पर दुर्लभ योग: प्रथम सोमवार 14 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी के योग के साथ ही इस दिन आद्रा नक्षत्र, हर्षण योग, आयुष्मान योग, सिद्ध योग और भद्रा वास का भी निर्माण हो रहा है। दूसरा सोमवार 21 जुलाई को है और इसी दिन सभी सिद्धियों को पूर्ण कराने वाली कामदा एकादशी का व्रत भी रहेगा। साथ ही अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। तीसरा सोमवार 28 जुलाई को विनायकी गणेश चतुर्थी के दिन रहेगा और इसी दिन रवि योग भी रहेगा। चौथा और अंतिम सोमवार 4 अगस्त को झूलन यात्रा के प्रदोष काल में आरंभ होगा। इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग भी रहेगा। 
 
2. ग्रह गोचर योग: 11 जुलाई से लेकर 9 अगस्त 2025 तक सावन का माह रहेगा। सावन माह में गुरु ग्रह का मिथुन राशि में उदय हो गया है। 13 जुलाई को शनिदेव मीन राशि में 138 दिनों के लिए वक्री चाल शुरू करेंगे। 16 जुलाई को सूर्य का कर्क राशि में गोचर होगा। 18 जुलाई को बुध कर्क में वक्री गति करेंगे। कर्क में सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य योग बनेगा। शुक्र 29 जून से ही वृषभ में गोचर कर रहे हैं। इन सभी ग्रह गोचर के चलते 3 राशियों का गोल्डन टाइम शुरू होने जा रहा है। 
 
सावन मास में क्या करें जो मिले मनवांछित फल 
शिवजी की तीन प्रकार से आराधना करें:
1. जप: पूरे सावन माह नित्य अपनी मनोकामना बोलकर ॐ नम: शिवाय मंत्र की 1 माला का जप करें। जप करने से आपका शिवजी से डायरेक्ट संबंध बन जाएगा। निश्चित ही शिवजी आपकी सुनेंगे और कृपा बरसाएंगे।
 
2. अभिषेक: अभिषेक का अर्थ है कि शिवजी के चरण आदि धोने के बाद उनका स्नान करके उन्हें प्रसन्न करना। इसमें पंचामृत अभिषेक, रुद्राभिषेक, जलाभिषेक यदि कई प्रकार से अभिषेक करने के बाद पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करते हैं।
 
3. हवन: हवन का अर्थ है कि भगवान को कुछ खिलाकर उन्हें प्रसन्न करना। इसके लिए घी और शकल्य की आहुति देकर भगवान को प्रसन्न करते हैं। अंत में पूजा करने के बाद सभी को प्रसाद वितरण करते हैं।
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