फाल्गुन मास को जो चतुर्दशी आती है, उसकी अर्द्धरात्रि को 'महाशिवरात्रि' कहा जाता है। महाशिवरात्रि पर व्रत और जागरण करने का विधान है। उत्तरार्ध और कामिक के मतानुसार सूर्य के अस्त समय यदि चतुर्दशी हो, तो उस रात को 'शिवरात्रि' कहा जाता है। यह अत्यन्त फलदायक एवं शुभ होती है।
आधी रात से पूर्व और आधी रात के उपरांत अगर चतुर्दशी युक्त न हो, तो व्रत धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे समय में व्रत करने से आयु और ऐश्वर्य की हानि होती है। माधव मत से 'ईशान संहिता' में वर्णित है कि जिस तिथि में आधी रात को चतुर्दशी की प्राप्ति होती है, उसी तिथि में मेरी प्रसन्नता से मनुष्य अपनी कामनाओं के लिए व्रत करें।
13 फरवरी मंगलवार को श्री महाशिवरात्रि व्रत, मासिक शिवरात्रि व्रत, भौम प्रदोष व्रत का आगमन होगा। यह उत्तरी भारत में विशेषत: दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गोवा, केरला, राजस्थान, तमिलनाडु, हरिद्वार, सहारनपुर, आगरा, मथुरा, उज्जैन, मेरठ आदि में 13 फरवरी को और पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, आसाम, म.प्र. लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर आदि में 14 फरवरी को मनाया जाएगा।
2018 में चतुर्दशी तिथि 2 दिन 13-14 फरवरी को आ रही है। महाशिवरात्रि के पूजन का शुभ समय 13 फरवरी को आधी रात से शुरू हो जाएगा। जिसका विश्राम 14 फरवरी को प्रात: 7:30 बजे से लेकर दोपहर 03:20 तक होगा। महाशिवरात्रि पर रात्रि में चार बार शिव पूजन का विधान है। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद व्रत पारण होता है।