शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. महाशिवरात्रि
  4. Shiv ji bhang
Written By
Last Updated : शनिवार, 26 फ़रवरी 2022 (16:26 IST)

महाशिवरात्रि पर शिवजी को भांग चढ़ाने से पहले जान लें कि यह सही है या गलत?

महाशिवरात्रि पर शिवजी को भांग चढ़ाने से पहले जान लें कि यह सही है या गलत? - Shiv ji bhang
Mahashivratri 2022:  भांग एक नशीला पदार्थ। हमने ऐसे चित्र देखें हैं जिसमें शिवजी को भांग या चिलम पीते हुए बताया गया है। यह शिव ही नहीं संपूर्ण धर्म का अपमान भी है। यह सचमुच ही निंदनीय है, क्योंकि विद्वानों के अनुसार किसी शास्त्र में ऐसा नहीं लिखा है कि वे ऐसा करते थे। महाकाल सहित कई शिव मंदिरों में शिवलिंग का भांग से अभिषेक करते हैं और उन्हें कई लोग भांग अर्पित करते हैं परंतु क्या यह सही है या गलत? आओ जानते हैं।
 
 
पक्ष : कहते हैं कि हलाहल विष के सेवन के बाद शिवजी का शरीर नीला पड़कर तपने लगा परंतु फिर भी शिव पूर्णतः शांत थे लेकिन देवताओं और अश्विनी कुमारों ने सेवा भावना से भगवान शिव की तपन को शांत करने के लिए उन्हें जल चढ़ाया और विष का प्रभाव कम करने के लिए विजया (भांग का पौधा), बेलपत्र और धतूरे को दूध में मिलाकर भगवान शिव के शरीर पर लेप लगाया। तभी से लोग भगवान शिव को भांग भी चढ़ाने लगे।
 
देवीभागवत पुराण के अनुसार आदि शक्ति ने प्रकट होकर भगवान शिव का जड़ी बूटियों और जल से उपचार करके शिवजी के शरीर के ताप को ठंडा किया था। इन जड़ी बूटियों में भांग भी शामिल थी। आदि शक्ति के कहने पर शिव के सिर पर भांग, धतूरा और बिल्वपत्र रखा और निरंतर जलाभिषेक किया जिससे उनके मस्तिष्क का ताप कम हुआ। तभी से शिवजी को यह चीजें अर्पित की जाने लगी।
 
कुछ विद्वान कहते हैं कि शिव को हलाहल के कुप्रभावों से संरक्षित करने के लिए ही शिवार्चन के समय बेलपत्र आदि को शिवलिंग पर चढ़ाने की परम्परा है। शिवलिंग पर जिन-जिन भी द्रव्यों से अभिषेक किया जाता है उन सभी द्रव्यों से ब्रहमाण्डीय ऊर्जा के नकारात्मक प्रभावों का शमन होता है। यही रुद्राभिषेक का विज्ञान है। शिवजी पर बेलपत्र, धतूरा और कच्चा दूध चढ़ाया जाता है जो कि ठंडक प्रदान करने का कार्य करता है।
 
 
विपक्ष : कहते हैं कि समुद्र मंथन से निकले विष की बूंद गिरने से भांग और धतूरे नाम के पौधे उत्पन्न हो गए। कोई कहने लगा कि यह तो शंकरजी की प्रिय परम बूटी है। फिर लोगों ने कथा बना ली कि यह पौधा गंगा किनारे उगा था। इसलिए इसे गंगा की बहन के रूप में भी जाना गया। तभी भांग को शिव की जटा पर बसी गंगा के बगल में जगह मिली है। फिर क्या था सभी लोग भांग घोट-घोट के शंकरजी को चढ़ाने लगे। जबकि शिव महापुराण में कहीं भी नहीं लिखा है कि शंकरजी को भांग प्रिय है।
 
निष्कर्ष : शिवजी को भांग का लेप इसलिए लगाया जाता है क्योंकि भांग ठंडी होती है। शिवजी को भांग पीने के लिए अर्पित नहीं की जाती है। दूसरा यह कि किसी भी शास्त्र में यह नहीं लिखा है कि शिवजी भांग या चिलम का सेवन करते थे। 
ये भी पढ़ें
Vijaya Ekadashi:सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग में मनेगा विजया एकादशी व्रत,जानिए पारण का समय