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Shani Amavasya : सूर्यग्रहण के साथ मनाई जाएगी शनि अमावस्या, शनि प्रकोप से बचने के लिए करें ये काम

Shani Amavasya :  सूर्यग्रहण के साथ मनाई जाएगी शनि अमावस्या, शनि प्रकोप से बचने के लिए करें ये काम - Shani Amavasya 4 December 2021
दिनांक 4 दिसंबर 2021,  शनिवार को मार्गशीर्ष या अगहन माह की अमावस्या यानी Shani Amavasya है। 
 
4 दिसंबर 2021 को सूर्य ग्रहण और शनि अमावस्‍या का दुर्लभ संयोग बन रहा है। 
 
अमावस्या (Amavasya 2021) के दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है तथा दान करना भी शुभ माना जाता है। 
 
अमावस्या तिथि 03 दिसंबर को शाम 04 बजकर 56 मिनट से शुरू हो कर 04 दिसंबर को दोपहर में 01 बजकर 13 मिनट तक रहेगी।  
 
शनैश्चरी अमावस्या के संयोग के साथ साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी है। 

शनि देव को शमी का वृक्ष प्रिय है। शनि दोष से मुक्ति के लिए शमी के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। शनिवार के दिन शाम को शमी के पेड़ के पास दीपक जलाने से विशेष लाभ मिलता है। 
 
शनि देव और हनुमान जी परममित्र हैं। शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। 
 
शनि ग्रह से शुभ फल पाने के लिए शिव की उपासना एक अचूक उपाय है। शिव सहस्त्रनाम या शिव के पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करने से शनि के प्रकोप का भय जाता रहता है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। 
 
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए पीपल के वृक्ष को सबसे फलदायी माना जाता है। पीपल के पेड़ में सभी देवताओं का वास होता है। शनि देव के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। 
 
इस साल 13 मार्च को शनिवार के दिन अमावस्या थी। उसके बाद 10 जुलाई को ऐसा योग बना और अब 4 दिसंबर को इस साल की आखिरी शनि अमावस्या है। 

शनिचरी अमावस्या का प्रारंभ 3 दिसंबर 2021 को शाम 04:56 बजे से होगा और समाप्ति 04 दिसंबर को दोपहर 01:13 बजे होगी। इस तरह शनिचरी अमावस्या 4 दिसंबर को मनाई जाएगी। शनि, सूर्य के पुत्र हैं। लेकिन दोनों एक-दूसरे के विरोधी ग्रह भी हैं। इसलिए शनि अमावस्या को सूर्य ग्रहण के समय ब्राह्मणों को पांच वस्तुओं का दान लाभदायक होगा। 
 
ये पांच वस्तुएं अनाज, काला तिल, छाता, उड़द की दाल, सरसों का तेल हैं। इन पांचों वस्तुओं के दान का महत्व होता है। इनके दान से परिवार की समृद्धि में वृद्धि होती है व शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। पंच दान से विपत्ति से रक्षा और पितरों की मुक्ति होती है। इस संयोग में सरसों का तेल दान करने से शनि का प्रभाव सदैव के लिए समाप्त हो जाता है।

जिन जातकों पर शनि की साढ़े-साती या ढैया चल रही है, वे शनि अमावस्या पर अवश्य दान करें। सूर्य ग्रहण के समय पंच दान करने से उनके जीवन में शनि का प्रभाव समाप्त हो जाता है और शनि उन पर प्रसन्न होते हैं। पंच दान से प्रसन्न होकर सूर्य देव सर्व बाधाओं से मुक्ति व विपत्तियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं।
 
शनिचरी अमावस्या पर पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी के जल के साथ तिल मिलाकर नहाना चाहिए। ऐसा करने से कई तरह के दोष दूर होते हैं। शनिचरी अमावस्या पर पानी में काले तिल डालकर नहाने से शनि दोष दूर होता है। इस दिन काले कपड़े में काले तिल रखकर दान देने से साढ़ेसाती और ढैय्या से परेशान लोगों को राहत मिल सकती है। साथ ही एक लोटे में पानी और दूध के साथ सफेद तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाने से पितृदोष का असर भी कम होने लगता है।
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