प्रेम कविता : तुम मुस्कुराओ ना
मैं होठों की लाली बन जाऊंगा,
तुम मुस्कराओ ना।
मैं गजरे का फूल बन जाऊंगा,
तुम बालों में सजाओ ना।
मैं आंखों का काजल बन जाऊंगा,
तुम आंखों में बसाओ ना।
मैं कविता के बोल बन जाऊंगा,
तुम होठों से लगाओ ना।
मैं गजल के गीत बन जाऊंगा,
तुम गुनगुनाओ ना।
मैं दर्पण बन जाऊंगा,
तुम सज-संवरकर आओ ना।
मैं गीत की राग बन जाऊंगा,
तुम गीत गाओ ना।
मैं तुम्हारी आंखों का नूर बन जाऊंगा,
तुम दिल में बसाअो ना।