26 जनवरी एक ऐसा दिन है, जब हर एक नागरिक इस दिन को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाता है। पूरे देशवासियों को भारतीय नागरिक होने पर गर्व है।
26 जनवरी 1950 को हमारा देश प्रजातांत्रिक गणतंत्र देश बना था। इस दिन हमारे देश का संविधान लागू हुआ था और भारत में इस पर्व को बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसी अवसर पर भाषण प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है। हमें अवसर मिलता है हमारे देश के प्रति हमारी भावनाओं को बहुत ही खूबसूरती के साथ लोगों के समक्ष पेश करने का जिसके लिए हम सभी में उत्साह होता है, क्योंकि स्कूल हो या कॉलेज या फिर आपका ऑफिस- 26 जनवरी के उपलक्ष्य में आपको भाषण देने का अवसर जरूर मिलता है।
लेकिन कैसे अपनी इस भावना को भाषण में बयां कर सकते हैं, यह कई बार हम समझ नहीं पाते। तो आइए जानते हैं इस लेख में कि कैसे 26 जनवरी पर आप अपने भाषण की तैयारी कर सकते हैं?
भाषण की शुरुआत
नमस्कार, आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है और मैं हूं आपके साथ। मैं इस कक्षा में या इस डिपार्टमेंट में हूं। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आज हम एक विशेष अवसर पर एकत्रित हुए हैं। आज का दिन यानी 26 जनवरी हम सभी देशवासियों के लिए बेहद ही खास है। 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस देशभक्तों के त्याग, उनकी तपस्या और बलिदान की अमर कहानी है।
और किसी ने सच ही कहा है :
बलिदानों का सपना जब सच हुआ,
देश तभी आजाद हुआ,
आज सलाम करें उन वीरों को,
जिनकी शहादत से ये भारत गणतंत्र हुआ।
15 अगस्त 1947 के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत एक गणतंत्र देश के रूप में बदला और देश में संविधान लागू हुआ। देश में सभी कार्य संविधान के हिसाब से लागू हुए। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व का दर्जा प्राप्त है।
हर साल इसे पूरे देश में गर्व और पूरे सम्मान के साथ मनाया जाता है। भारत का संविधान एक लिखित संविधान है। हमारे संविधान को बनने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था। 395 अनुच्छेदों और 8 अनुसूचियों के साथ भारतीय संविधान दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान है। 26 जनवरी 1950 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के दरबार हॉल में भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। भारत के पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे।
संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। डॉ. भीमराव अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान निर्माण में कुल 22 समितियां थीं जिसमें प्रारूप समिति सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण समिति थी और इस समिति का कार्य निर्माण करना था। प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे और हम सभी जानते हैं कि अंबेडकर को 'संविधान का पिता' भी कहते हैं।
भारतीय संविधान की 2 प्रतियां थीं, जो हिन्दी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गईं। भारतीय संविधान की हाथ से लिखी गई मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी गईं। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस में 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी। गणतंत्र दिवस की पहली परेड 1955 को दिल्ली के राजपथ पर हुई थी।
हमारे भारत के वीरों की अमरता की कहानी, उनके बलिदान और उनके संघर्षों के बाद आज हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं और उनके इस बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
कुछ पक्तियों के साथ मैं अपनी बातों को विराम देना चाहूंगी/ चाहुंगा...
गूंज रहा है दुनिया में भारत का नगाड़ा,
चमक रहा आसमान में देश का सितारा।
आजादी के दिन आओ मिलकर करें दुआ,
कि बुलंदी पर लहराता रहे तिरंगा हमारा।