कच्छपावतार : भगवान विष्णु ने क्यों लिया था कछुए का अवतार
Kachhap avatar jayanti 2022 : भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक है कच्छप अवतार। कच्छप यानी कछुआ। उन्होंने कछुए के रूप में अवतार लिया था। कहते हैं कि वैशाख माह की पूर्णिमा को उन्होंने ये अवतार लिया था। श्रीहरि विष्णु के इस अवतार को कूर्म अवतार भी कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 17 अप्रैल 2022 को उनका प्रकटोत्सव मनाया जाएगा। आओ जानते हैं कि उन्होंने क्यों लिया था यह कूर्मावतार।
कच्छप अवतार की पौराणिक कथा (Legend of Kachhap Avatar) : दुर्वासा ऋषि ने अपना अपमान होने के कारण देवराज इन्द्र को श्री (लक्ष्मी) से हीन हो जाने का शाप दे दिया। भगवान विष्णु ने इंद्र को शाप मुक्ति के लिए असुरों के साथ 'समुद्र मंथन' के लिए कहा और दैत्यों को अमृत का लालच दिया। तब देवों और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया।
देवताओं की ओर से इंद्र और असुरों की ओर से विरोचन प्रमुख ते। समुद्र मंथन के लिए सभी ने मिलकर मदरांचल पर्वत को मथानी एवं नागराज वासुकि को नेती बनाया। परंतु नीचे कोई आधार नहीं होने के कारण पर्वत समुद्र में डूबने लगा। यह देखकर भगवान विष्णु ने विशाल कछुए का रूप धारण करके समुद्र में उतरे और उन्होंने अपनी पीठ पर में मंदराचल पर्वत को रख लिया। इस तरह वे आधार बन गए।
भगवान कच्छप की विशाल पीठ पर मंदराचल तेजी से घूमने लगा और इस प्रकार समुद्र मंथन संपन्न हुआ। समुद्र मंथन करने से एक-एक करके रत्न निकलने लगे। कुल 14 रत्न निकले। 14वां रत्न अमृत से भरा सोने का घड़ा था जिसके लिए देवता और असुरों में युद्ध प्रारंभ हो गया तब इन्हीं भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके देवता और असुरों को अमृत बांटने का कार्य किया था।