सूर्य धनु संक्रांति की कथा
kharmas katha 2023 : वर्ष 2023 में 16 दिसंबर को सूर्य धनु संक्रांति मनाई जाएगी। ज्योतिष के अनुसार जब भी सूर्यदेव गुरु की राशि धनु या मीन में विराजमान होते हैं तो उस समय को खरमास कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि खर का अर्थ होता है गधा अर्थात सूर्यदेव की इस समय गति धीमी हो जाती है। आइए पढ़ें कथा-
कथा-
संस्कृत में गधे को खर कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित खरमास की कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। उन्हें कहीं पर भी रूकने की इजाजत नहीं है।
मान्यता के अनुसार उनके रूकते ही जन-जीवन भी ठहर जाएगा। लेकिन जो घोड़े उनके रथ में जुड़े होते हैं वे लगातार चलने और विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक जाते हैं। उनकी इस दयनीय दशा को देखकर सूर्यदेव का मन भी द्रवित हो गया।
वे उन्हें एक तालाब के किनारे ले गए, लेकिन उन्हें तभी यह ध्यान आया कि अगर रथ रूका तो अनर्थ हो जाएगा। लेकिन घोड़ों का सौभाग्य कहिए कि तालाब के किनारे दो खर मौजूद थे।
भगवान सूर्यदेव घोड़ों को पानी पीने और विश्राम देने के लिए छोड़े देते हैं और खर अर्थात गधों को अपने रथ में जोत देते हैं। अब घोड़ा-घोड़ा होता है और गधा-गधा, रथ की गति धीमी हो जाती है फिर भी जैसे-तैसे एक मास का चक्र पूरा होता है तब तक घोड़ों को विश्राम भी मिल चुका होता है, इस तरह यह क्रम चलता रहता है और हर सौर वर्ष में एक सौर खर मास कहलाता है।
अत: इस समयावधि यानी सूर्य धनु संक्रांति और खरमास में किसी भी तरह का कोई मांगलिक कार्य जैसे विवाह, यज्ञोपवित, गृह प्रवेश, मकान निर्माण, नया व्यापार या किसी भी तरह का कोई भी संस्कार कार्य नहीं किया जाता हैं।