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Last Updated : मंगलवार, 1 मार्च 2022 (11:25 IST)

महाशिवरात्रि 2022 : मुरैना में 1200 साल पुराना नरेश्वर शिव मंदिर, झरने का जल छूकर निकलता है शिवलिंग को

महाशिवरात्रि 2022 : मुरैना में 1200 साल पुराना नरेश्वर शिव मंदिर, झरने का जल छूकर निकलता है शिवलिंग को - Mahashivratri Nareshwar Shiva Temple Morena
Nareshwar Shiva Temple Morena
महाशिवरात्रि 2022 : ग्वालियर से लगभग 80 किलोमीटर दूर और मुरैना से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थति ग्वालियर और भिंड सीमा पर रिठौरा क्षेत्र के जंगलों में बहुत ही प्राचीन और ऐतिहासिक नरेश्वर शिव मंदिरों ( Nareshwar Shiva Temple Morena) की एक श्रृंखला मौजूद है, जहां पर शिवरात्रि और महाशिवरात्रि ( mahashivratri 2022/ के दिन श्रद्धालु शिवजी के दर्शन करने आते हैं।
 
 
बताया जाता है कि इन मंदिरों को 3 से 7वीं शताब्दी में गुप्त काल या गुर्जर प्रतिहार काल में बनाया गया था। यहां एक तालाब और झरना है। चट्टानों को काटकर नीचे एक शिवलिंग स्थापित है। यह शिवलिंग इस तरह चट्टानों को काटकर बनाया गया है कि बारिश के दिनों तो तालाबों की वजह से गिरने वाले झरने का पानी शिवलिंग से छूकर निकलता है। ऐसे में यहां का दृश्य बहुत की खूबसूरत और मन को भाने वाला नजर आता है।
 
दुर्गम है रास्ता : रिठौरा क्षेत्र का जंगल इतना दुर्गम है कि यहां पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं है। जंगली, पथरिला और ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर करीब 3 किलोमीटर पैदल चलने के बाद घने जंगल से घिरे पहाड़ों में यह स्थान मौजूद है।
 
23 मंदिर है मौजूद : वर्तमान में इस जंगल में 23 मंदिरों की श्रृंखला है, बाकी करीब 25 मंदिर खंडहर अवस्था में हैं। इन मंदिरों में हरसिद्धि माता का मंदिर, एक हनुमान मंदिर है और बाकी सारे मंदिरों में शिवलिंग स्थापित हैं। यहां के मंदिरों का निर्माण वर्गाकार तरीके से हुआ है और नरेश्वर मंदिर का मुख्य शिवलिंग भी वर्गाकार है।

प्राचीन शहर : पुरातत्व विभाग की जांच से पता चलता है कि यह मंदिर एक प्राचीन शहर का हिस्सा है, क्योंकि यहां स्थित टीलों के नीचे दबे पत्थरों के 14 से 15 फीट ऊंचाई वाले दो मंजिला मकानों के अवशेष भी मौजूद हैं, जो यहां प्राचीन नगरीय सभ्यता के आधार पर बसाहट की गवाही देते हैं। तालाब का होना भी यह सबूत है कि यहां कोई प्राचीन नगर दबा हुआ है। नगर में आने जाने के लिए यहां पर एक प्रवेश द्वार भी मिला है। 
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