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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 11 दिसंबर 2024 (09:42 IST)

गीता जयंती पर विशेष : भगवद् गीता का क्या महत्व है?

गीता जयंती पर विशेष : भगवद् गीता का क्या महत्व है? - Importance of Bhagavad Geeta
- गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर 
 
geeta jaynati 2024: गीता शास्त्रों का सार है, इसलिए इसे उपनिषद भी कहा गया है। उपनिषद का अर्थ है वह जो पास बैठकर सुनाया जाए। जब तक कहने वाला और सुनने वाला दिल से पास नहीं आते, तब तक उनके बीच बहुत दूरी रहती है। कहने वाला कुछ कहता है, और सुनने वाला उसमें से अपने ही मतलब की बात निकाल लेता है। पहले पास आकर बैठें- अर्जुन बनें। अर्जुन का मतलब है- जिसमें ज्ञान की पिपासा हो, जो कुछ सीखना चाहता हो, जानना चाहता हो और मुक्त होना चाहता हो। जब आप अर्जुन बनेंगे, तभी कृष्ण मिलेंगे।  
 
हम सभी का जीवन प्रश्न से शुरू होता है। तीन साल की आयु से बच्चे प्रश्न पूछना शुरू कर देते हैं। कहते हैं कि बिना पूछे जाने पर कुछ बोलना बुद्धिमत्ता का लक्षण नहीं है। इसी तरह, महाभारत की अभिन्न अंग भगवद् गीता भी प्रश्न से शुरू होती है। युद्धभूमि में जब अर्जुन पूरी तरह से विषादग्रस्त हो चुका था और चारों ओर से अंधकार में घिरा हुआ था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उसे गीता का ज्ञान दिया। इसीलिए आज के समय में, जब चारों ओर दुःख, पीड़ा और संघर्ष है, तब भगवद् गीता और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है।
एक बार महाभारत के युद्ध के बाद अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा, 'हे कृष्ण! युद्ध के समय बहुत शोर-गुल था, मैं दुखी था और उस युद्ध के माहौल में आपने गीता सुनाई, लेकिन उस समय मुझे नहीं पता था कि मैं कितना समझ पाया। अब सब कुछ शांत है, सब लोग प्रसन्न हैं, और मुझे गीता सुनने का मन है। तो हे कृष्ण! आप अभी गीता सुनाइए।'
 
भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया, 'महाभारत के समय मुझसे गीता का जन्म हुआ था। उस समय मैंने जो भी कहा, मैं अब उसकी पुनरुक्ति नहीं कर सकता।'
 
गीता को इतना महत्व दिया गया है; जैसे किसी संत का जन्म होता है, वैसे ही गीता का भी जन्म हुआ। यही कारण है कि गीता जयंती मनाई जाती है। गीता परमात्मा की वाणी है, पूर्णब्रह्म की वाणी है।
 
गीता को योग की विद्या भी कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद् गीता में योग के तीनों मार्गों- भक्ति, कर्म और ज्ञान को मुक्ति का साधन बताया है। आजकल हम योग को केवल शारीरिक व्यायाम समझते हैं, लेकिन योग सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं है। इसी तरह, प्राणायाम भी केवल सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया नहीं है। व्यायाम और प्राणायाम दोनों जीवन के परम उद्देश्य की ओर जाने के मार्ग हैं। ये मानसिक तनाव को दूर करने और एकाग्रता बढ़ाने के साधन हैं।
 
भगवान की वाणी गीता : पांच हजार साल से हमारे देश में है। यदि आप अमेरिका या अन्य देशों में जाएं और बाइबिल के बारे में पूछें, तो लोग कहेंगे कि वे उसे पढ़ चुके हैं। लेकिन हमारे देश में जब हम लोगों से पूछते हैं, 'क्या आपने गीता पढ़ी है?' तो बहुत से लोग चुप हो जाते हैं। जीवन से दुःख को मिटाने के लिए ज्ञान से बढ़कर कुछ भी नहीं। इसलिए गीता पढ़ें और इसे सिर्फ एक बार पढ़ना काफी नहीं है, बार-बार इसका अध्ययन करें।
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