• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. प्रादेशिक
Written By वार्ता
Last Modified: इलाहाबाद , सोमवार, 22 जुलाई 2013 (16:14 IST)

लोकसेवा परीक्षा विवाद, हाईकोर्ट ने लगाई रोक

उत्तरप्रदेश लोकसेवा आयोग परीक्षा
FILE
इलाहाबाद। उत्तरप्रदेश लोकसेवा आयोग परीक्षाओं में त्रिस्तरीय आरक्षण विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने साक्षात्कार पर रोक लगाते हुए निर्णय सोमवार को सुरक्षित कर लिया।

न्यायमूर्ति एलके महापात्र और न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग की परीक्षाओं में होने वाले साक्षात्कार पर फिलहाल रोक लगाते हुए निर्णय सुरक्षित कर लिया।

न्यायालय ने कहा कि निर्णय 10 दिन बाद सुनाया जाएगा। निर्णय सुनाए जाने तक साक्षात्कार पर रोक रहेगी। आयोग की परीक्षाओं में इस वर्ष से त्रिस्तरीय आरक्षण व्यवस्था लागू की गई थी जबकि पहले परिणाम आने के बाद आरक्षण लागू किया जाता था।

नई व्यवस्था में प्रिलिमिनरी, मुख्य परीक्षा और उसके बाद साक्षात्कार में भी आरक्षण लागू किया जाना प्रस्तावित है। त्रिस्तरीय आरक्षण व्यवस्था का विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि इससे आरक्षण करीब 70 प्रतिशत पहुंच रहा है जबकि संविधान के मुताबिक आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

प्रस्तावित नई व्यवस्था से सामान्य वर्ग की अनारक्षित सीटों में से पिछड़े वर्ग को भी सीटें मिल जाती। आयोग ने परीक्षाओं के साक्षात्कार की तिथि 26 जुलाई रखी थी। आरक्षण के विरोध में मुख्य रूप से वरिष्ठ वकील केशरीनाथ त्रिपाठी और एमबी चन्द्रशेखर ने अपना पक्ष रखा जबकि आयोग के वकील ने बहस के दौरान त्रिस्तरीय आरक्षण को जरूरी बताया।

आरक्षण की नई व्यवस्था को लेकर यहां उग्र आंदोलन हुआ। गत 15 जुलाई को कई वाहनों में आग लगा दी गई थी और आरक्षण समर्थक व विरोधियों में जमकर पथराव हुआ था। अदालत के निर्णय पर सभी की निगाहें लगी थीं। जिला प्रशासन ने किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए थे।

स्कूल-कॉलेज बंद कर पूरे शहर में धारा 144 लगा दी गई। जिलाधिकारी राजशेखर के अनुसार उच्च न्यायालय जाने वाले मार्गों पर बैरीकेडिंग कर आने जाने वालों पर कड़ी निगाह रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि नगर को 7 जोनों और 18 सेक्टरों में बांटकर सुरक्षा व्यवस्था तैनात की गई है।

प्रशासनिक तौर पर वीडियोग्राफर व फोटोग्राफर लगाए गए हैं ताकि उपद्रवियों की शिनाख्त की जा सके। आरक्षण के विरोध में रविवार को देर शाम नगर के प्रमुख मार्गों पर हजारों युवकों ने कैंडल मार्च किया। उपद्रव की आशंका के तहत नगर के ज्यादातर व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे हालांकि फैसला आने के बाद दुकानें खुलनी शुरू हो गई हैं।

गत 15 जुलाई को आरक्षण की नई नीति के खिलाफ विरोधियों ने सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के झंडे जला दिए थे और जमकर तोड़फोड़ की थी। इन्हें काबू करने के लिए प्रशासन को कई जगह लाठियां भांजनी पड़ीं। इसी बीच सुधीर कुमार व अन्य ने नई आरक्षण नीति के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी जिसमें हर स्तर पर आरक्षण को गलत बताया गया और इसे निरस्त करने की गुहार लगाई गई।

याची का कहना है कि अन्य पिछड़ा वर्ग की एक जाति विशेष को आरक्षण की आड़ में नाजायज लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। इससे सामान्य वर्ग के परीक्षार्थियों का भविष्य दांव पर लग जाएगा। याची का कहना है कि 1994 की आरक्षण नियमावली के तहत पद के सापेक्ष नियुक्ति में आरक्षण दिया जाना चाहिए।

लेकिन आयोग ने चयन प्रक्रिया के हर स्तर पर आरक्षण लागू कर सामान्य वर्ग के प्रतिभागियों के अवसर को कम कर दिया है। दूसरी ओर सरकार का कहना है कि नियमावली के तहत ही आरक्षण दिया जा रहा है। आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों द्वारा मेरिट में स्थान पाने पर सामान्य श्रेणी में शामिल किया जाना नियम विरुद्ध नहीं है। (वार्ता)