गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. प्रादेशिक
  4. Tripura assambly election
Written By
Last Updated :अगरतला , सोमवार, 19 फ़रवरी 2018 (11:24 IST)

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में हुआ 78.56 प्रतिशत मतदान

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में हुआ 78.56 प्रतिशत मतदान - Tripura assambly election
अगरतला/नई दिल्ली। त्रिपुरा में सोमवार को हुए विधानसभा चुनाव में 78.56 प्रतिशत मतदान हुआ। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। राज्य में भाजपा पिछले 25 साल से सत्तासीन वाम मोर्चा को उखाड़ फेंकने की कोशिश कर रही है। राज्य में 25.73 लाख से अधिक मतदाता हैं।


त्रिपुरा विधानसभा की कुल 60 सीटों में से सोमवार को 59 पर शांतिपूर्ण मतदान हुआ। राज्य में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मतदान के लिए केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के हजारों कर्मी तैनात किए गए थे। कुछ मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में गड़बड़ी की खबरें सामने आईं और उन्हें दुरुस्त कर दिया गया।
 
चारिलाम विधानसभा क्षेत्र में पिछले हफ्ते माकपा उम्मीदवार रामेन्द्र नारायण देबवर्मा की मौत हो जाने के कारण सोमवार को मतदान नहीं हो पाया। इस निर्वाचन क्षेत्र में 12 मार्च को वोट डाले जाएंगे। चुनाव आयोग ने दिल्ली में कहा कि नया मतदान प्रतिशत 59 निर्वाचन क्षेत्रों में से 41 से तैयार किया गया है। अपनी पिछली ब्रीफिंग में उसने मतदान का प्रतिशत 74 रहने की बात कही थी।
 
चुनाव उपायुक्त सुदीप जैन ने राष्ट्रीय राजधानी में बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव में 91.82 फीसद मतदान और 2014 के लोकसभा चुनाव में 84.32 फीसदी मतदान हुआ था। उनके अनुसार 2 बम मिले जिन्हें सुरक्षाकर्मियों ने निष्क्रिय कर दिया।
 
मतदान प्रतिशत बढ़ने की संभावना है, क्योंकि मतदान समापन सीमा 4 बजे खत्म होने के बाद भी मतदान केंद्रों पर लंबी लाइनें देखी गईं। चुनाव कानून के अनुसार मतदान समापन सीमा के वक्त लाइन में खड़े मतदाताओं को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने देने की व्यवस्था है।
 
अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी तापस राय ने अगतरतला में कहा कि शुरू में कुछ ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी हुई जिसे सही कर दिया गया। दिन में मुख्य चुनाव अधिकारी श्रीराम तरानकांति ने कहा था कि पश्चिम त्रिपुरा, खोवाई और उनाकोटि जिलों में कुछ मतदान केंद्रों पर मतदान में देरी हुई, क्योंकि अधिकारी ईवीएम सही तरीके से नहीं जोड़ पाए। तुरंत तकनीशियन भेजे गए और उन्होंने ईवीएम को सही कर दिया।
 
इस सीमावर्ती राज्य में चुनाव मैदान में उतरी भाजपा-माकपा की अगुवाई वाले वाममोर्चा के लिए एक अहम चुनौती बनकर उभरी है। वाममोर्चा पिछले 5 विधानसभा चुनावों में अपराजेय रहा है। माकपा के दिग्गज नेता माणिक सरकार ने 4 कार्यकाल पूरे किए हैं।
 
त्रिपुरा में हाशिए पर सिमटी कांग्रेस 59 सीटों पर लड़ रही है। उसने काकराबोन सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारा है। वह आखिरी बार फरवरी 1988 और मार्च 1993 के बीच सत्ता में रही थी। पूर्वोत्तर में लगातार अपना पैर फैला रही भाजपा ने 51 सीटों पर उम्मीदवार उतार रखे हैं। उसने इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) से चुनाव पूर्व गठबंधन किया था, बाकी 9 सीटों पर वाम विरोधी आईपीएफटी उम्मीदवार हैं।
 
पार्टी पहले से ही असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में सत्ता में है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने वामपंथ के बचे-खुचे किलों में से एक में भाजपा-आईपीएफटी चुनौती की अगुवाई की। माणिक सरकार ने भगवा चुनौती से इस वाम किले को बचाने की अकेले अपने दम पर बचाने की कोशिश की।
 
पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) केवी श्रीजेश ने बताया कि मतदान अप्रिय घटना से मुक्त रहा। राज्य में निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण मतदान के लिए पुलिस के अलावा केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की 300 कंपनियां तैनात की गई थीं। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) त्रिपुरा में 856 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर कड़ी नजर बनाए हुए था।
 
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के महानिदेशक आरके पचनंदा को चुनाव में तैनात सभी सुरक्षाबलों के बीच समन्वय के लिए विशेष पर्यवेक्षक बनाया गया था। माणिक सरकार ने यहां रामनगर में मतदान किया जबकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बिप्लव देब ने गोमती जिले में आरके पुर में वोट डाला। 
 
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बिरजीत सिन्हा ने उनकोटि जिले के कैलाशहर में ईवीएम बटन दबाया। राज्य में 25,73,413 पंजीकृत मतदाता हैं जिनमें से 12,68,027 महिलाएं हैं। (भाषा)