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Written By अरविन्द शुक्ला
Last Modified: शनिवार, 21 अप्रैल 2018 (15:38 IST)

यहां बिना दवाओं के होता है इलाज

यहां बिना दवाओं के होता है इलाज - treatment without medicine
लखनऊ में दो वर्ष पहले आशियाना सेक्टर-एच के ‘गौतम बुद्ध शक्ति उपवन पार्क’ में ऐसा चिकित्सालय खुला है, जो प्राकृतिक प्रांगण में और शहर के बीच है। उस पार्क में ही कुछ जगह पर से हेल्थ इज वेल्थ होलिस्टिक क्लीनिक का शुभारंभ हुआ। यहां पर योग और प्राकृतिक चिकित्सा के साथ एक्युप्रेशर, चुम्बक चिकित्सा, प्राणिक हीलिंग, रेकी, हिप्नोथेरेपी, कोलोन हाइड्रोथेरेपी, फिजियोथेरेपी सुविधाएं उपलब्ध है। यहां पर डे-केयर की सुविधा उपलब्ध है जिसमें व्यक्ति सुबह से शाम तक प्राकृतिक वातावरण में योग, सैर और चिकित्सा लेता है और उसे प्राकृतिक भोजन दिया जाता है।
 
सारे दिन चिकित्सीय वातावरण में रहने से उसका लाभ कई गुना बढ़ जाता हैं। इस अस्पताल की प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. शिखा गुप्ता का सपना है कि प्राथमिक चिकित्सा के तौर पर प्राकृतिक चिकित्सा और योग को आगे लाया जाना चाहिए। इस पुनीत कार्य में वे सतत प्रयत्नशील हैं। उनका मानना है कि प्राकृतिक चिकित्सा व्यक्ति को दवाओं से दूर, प्रकृति के पास ले जाती है और प्रकृति उसमें नवजीवन का संचार करती है।
 
डॉ. शिखा गुप्ता का कहना है कि सामान्य लोगों की तरह मैं भी डॉक्टर बनने का सपना लेकर बड़ी हई थी या कह लें मां-बाप ने मुझे इस सपने के साथ बड़ा किया था। इंटर के बाद मेडिकल की पढ़ाई में अच्छा कॉलेज न मिलने के कारण मेरा ध्यान प्राकृतिक चिकित्सा की ओर गया। वर्ष 2001 में मैंने प्राकृतिक चिकित्सा और योग की डिग्री ली। मैंने अपनी प्रैक्टिस शुरू की। कुछ दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा क्योंकि प्राकृतिक चिकित्सा और योग के प्रति जागरूकता का आभाव आज भी है।
 
यह आज से 18 साल पहले की बात है। उस समय डॉ. गीता खन्ना के साथ इनफर्टिलिटी पेशेंट्‍स को योग कराना, ध्यान कराना नेचुरोपैथी के द्वारा इलाज में मदद करना शामिल था, उस समय पेशेंट्‍स की पूछी गई बात आज भी याद आती है कि आपके कौन से आसन या अभ्यास से अंडे (OVA) अच्छे बनने लग जाते हैं, तो मेरा हंसकर उनसे यह जवाब रहता था कि जब आप प्रसन्नचित्त रहते हैं तो शरीर मे सेरोटोनिन का स्तर कम रहता है, जिससे सारी अन्तःस्रावी ग्रंथियां प्रभावित रहती हैं और अच्छे परिणाम आते हैं। यह दवाओं के भी दुष्प्रभाव को कम करता है।
 
इसी बीच, मैं पचकर्म चिकित्सा से भी जुड़ी। प्राकृतिक और योग के द्वारा मरीजों को लाभान्वित करना शुरू किया। इस दौरान मुझे डिप्रेशन के मरीज सबसे ज्यादा मिले। मैंने पाया कि यह ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर बीमार तो है किन्तु यदि मन ठीक नहीं किया तो शरीर बार-बार बीमार हो जाता है। चिकित्सीय परामर्श जारी रखते हुए मैंने अपने ज्ञान को इस दिशा में और बढ़ाने को सोची और ध्यान की कक्षाएं करते-करते हिप्नोथेरेपी तक पहुंच गए।
 
इस दौरान कुछ ऐसे मरीज भी मिले जिनके घर में सारे लोग बीमार हैं और वह खुद भी काफी समय से बीमार है। ऐसे समय पर उनको कोई भी चिकित्सा लाभ नहीं पहुंचा रही थी। इसको जाना, समझा कि यदि नकारात्मक ऊर्जा आपको घर में आपके चारों तरफ है तो आपको स्वस्थ होने में बहुत समय लग जाएगा। इसके लिए मैंने रेकी के सारे पायदान पार करते हुये रेकी ग्रेंड मास्टर तक किया और प्राणिक हीलिंग, साइकोथेरेपी तक सीखी, फिर सभी चिकित्सा पद्धतियों को मरीज पर इस्तेमाल करते हुए स्वास्थ्य लाभ देने लगी।
 
डॉ. शिखा गुप्ता का कहना है कि एक्युप्रेशर और चुम्बक चिकित्सा से हड्डी के दर्द में तुरंत और काफी राहत महसूस होती है और जब मरीज थोड़ा आशान्वित महसूस करता है और उसे यह भरोसा हो जाता है कि हम सही जगह पर हैं तो हम उसे प्राकृतिक चिकित्सा की शोधन तकनीक से पूर्ण स्वस्थता की राह दिखाते हैं। साथ ही उसे आजीवन स्वस्थ्य रहने के लिए योग करने के‍ लिए प्रेरित करते हैं। 
 
उन्होंने बताया कि दो वर्ष पहले आशियाना सेक्टर-एच का पार्क ‘गौतम बुद्ध शक्ति उपवन पार्क’ में उसके एमडी मनीष वर्मा से मुलाकात हुई। उनसे बातचीत के बाद उस पार्क में ही कुछ जगह इंसानियत का अच्छा कार्य करने के लिए मुझे मिल गई और यहां से 2 अक्टूबर-2016 से हेल्थ इज वेल्थ होलिस्टिक क्लीनिक का शुभारंभ हुआ। 
 
डॉ. शिखा गुप्ता ने बताया कि भविष्य में बच्चों को हिप्नोथेरेपी का अभ्यास कराया जाएगा। इससे न सिर्फ उनकी प्रतिभा निखरेगी बल्कि बुरी आदतों को छोड़ने में भी मदद मिलेगी। आओ बुढ़ापा सुखमय बनाएं अभियान के तहत 60 वर्ष से ऊपर के मरीजों के लिए प्राकृतिक, योग और चिकित्सा प्रणालियों का मिलाजुला मिश्रण उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही महिलाओं में मोनोपॉज के समय हार्मोनल डिस्टरबेंस और बढ़ते तनाव के प्रति जागरूकता अभियान चलाने की योजना भी प्रस्तावित है। 
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