सुशील मोदी का प्रशांत किशोर पर हमला, 2014 में मोदी और भाजपा गोडसेवादी क्यों नहीं लगे?
पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने जदयू से निष्कासित प्रशांत किशोर पर करारा हमला बोलते हुए मंगलवार को सवाल किया कि 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत के लिए काम करने का डंका पीटने वाले व्यक्ति को बताना चाहिए। उस वक्त मोदी और भाजपा उसे गोडसेवादी क्यों नहीं लगे?
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने ट्वीट किया है, 'इंवेट मैनेजमेंट करने वालों की अपनी कोई विचारधारा नहीं होती। लेकिन वे अपने प्रायोजक की विचारधारा और भाषा को तुरंत अपनाने में माहिर होते हैं। जनता देख रही है कि चुनाव करीब आने पर किसको अचानक किसमें गोडसे के विचारों की छाया दिखने लगी और कौन दूध का धुला सेक्युलर गांधीवादी लगने लगा है।'
बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार पर किशोर किशोर की टिप्पणी को लेकर सुशील ने कहा, 'अजीब पाखंड है कि कोई एक व्यक्ति को पितातुल्य बताये और फिर उसी पिता के लिए 'पिछलग्गू' जैसा घटिया शब्द चुने।'
उन्होंने किशोर से पूछा, 'जो व्यक्ति 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत के लिए काम करने का डंका पीट चुका हो, उसे बताना चाहिए तब मोदी और भाजपा उसे गोडसेवादी क्यों नहीं लगे?'
सुशील ने पूछा कि पिछले ढाई साल से नीतीश कुमार भाजपा के साथ हैं, लेकिन चुनाव से आठ महीने पहले वह अचानक गोडसेवादी क्यों लगने लगे?
वहीं बिहार विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य प्रेम चंद्र मिश्र ने कहा कि किशोर किशोर को राजद-कांग्रेस गठबंधन से हाथ मिलाकर अपनी प्रतिभा का सही इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने पूर्व भी हमारे साथ काम किया है इसलिए कोई समस्या नहीं होगी।
नीतीश जब महागठबंधन (जदयू, राजद और कांग्रेस) में शामिल थे तब किशोर ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में उनके लिए काम किया था।