श्रीनगर। कश्मीर में रमजान माह में किया गया एक और एक्पेरीमेंट फेल हो गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि सुरक्षाबलों की मर्जी के खिलाफ जो सीजफायर घोषित किया गया था उसका दम आतंकी पहले ही दिन से निकाल रहे थे। अब यह सामने आया है कि रमजान का सीजफायर कश्मीर के भीतर और सरहदों पर सुरक्षाबलों को भारी साबित हुआ है। हालांकि इस दौरान आतंकियों को भी बड़ी संख्या में हलाक किया गया लेकिन सच्चाई यही है कि रमजान का सीजफायर किसी को खुशी तो नहीं दे पाया और न ही पूरी शांति।
केंद्र सरकार द्वारा घाटी में 17 मई को रमजान सीजफायर का सूरज दूसरी बार निकालने की कोशिश की गई थी। हालांकि आतंकी संगठनों और कश्मीरी अलगाववादियों ने सीजफायर को पहले ही दिन खारिज करते हुए इसे एक ढकोसला बताया था। इससे लोगों में सीजफायर को लेकर जो उम्मीद बंधी थी, वह टूटती नजर आई। पहले ही दिन आतंकियों ने श्रीनगर के डलगेट इलाके से राज्य पुलिस के जवानों की 3 राइफलें लूट लीं।
यह घटना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन से 2 दिन पहले हुई थी। इसके बाद आतंकी अगले 2 दिन शांत रहे। इसके बाद कोई ऐसा दिन नहीं बीता, जब आतंकियों ने अपनी उपस्थिति का अहसास न कराया हो। रमजान सीजफायर के चलते पूरी वादी में सुरक्षाबलों ने अपने आतंकरोधी अभियान स्थगित रखे, जबकि आतंकियों के हमले जारी रहे। इस दौरान 24 आतंकी मारे गए। इनमें से 22 एलओसी पर घुसपैठ के प्रयास में मारे गए, जबकि 2 बांडीपोरा के जंगल में मारे गए। आतंकियों ने दक्षिण कश्मीर से उत्तरी कश्मीर तक पुलिस चौकियों और सुरक्षा शिविरों पर 25 हमले किए। इनमें से अधिकांश ग्रेनेड हमले ही थे। बीते 29 दिनों में 9 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए।
बीते 2 दिनों में 3 बड़े सनसनीखेज हमले हुए। गत गुरुवार को आतंकियों ने ईद मनाने जा रहे सैन्यकर्मी को अगवा कर मौत के घाट उतारने के अलावा लाल चौक में वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी और उनके 2 अंगरक्षकों की हत्या कर दी। जैसे यही काफी नहीं था, शुक्रवार को भी जुमातुल विदा पर आतंकियों ने श्रीनगर में एक पुलिस नाका पार्टी पर हमला किया जिसमें 5 लोग जख्मी हो गए। हालांकि पहले दावा किया जा रहा था कि वादी के भीतरी इलाकों में आतंकरोधी अभियानों के दौरान आतंकियों की मौत नए आतंकियों को जन्म दे रही है, लेकिन रमजान संघर्षविराम ने इस मिथक को तोड़ा है।
करीब एक दर्जन लड़के आतंकी बने हैं। इनमें 4 जैश-ए-मोहम्मद और 4 अल-बदर में शामिल हुए हैं। शोपियां के रहने वाले आईपीएस अधिकारी का भाई कथित तौर पर हिजबुल मुजाहिदीन का हिस्सा बना है। एक 9 साल का लड़का भी आतंकी जमात का हिस्सा बना है। सूत्रों की मानें तो करीब 18 लड़के बीते 29 दिनों में आतंकी बने हैं।
कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ मुख्तार अहमद बाबा के अनुसार बेशक अप्रैल माह की तुलना में मई का महीना या जून के ये 10-12 दिन किसी हद तक शांत कहे जा सकते हैं, लेकिन यह किसी भी तरह से वादी के हालात सामान्य होने का संकेत नहीं देते। कोई ऐसा दिन नहीं बीता है, जब आतंकियों ने किसी जगह हमला न किया हो। यहां जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं आया है।
यही नहीं, कश्मीर के भीतर तो सीजफायर घातक साबित हुआ ही सीमा और एलओसी पर भी जारी सीजफायर ने सिर्फ मौत ही बांटी है। यह इसी से साबित होता है कि 1 महीने में 22 वीरों ने अपनी शहादत दी है। ये वीर राज्य में आतंकियों व सीमा पर पाकिस्तान के मंसूबों को नाकाम बनाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। जम्मू-कश्मीर में 30 दिन में सेना, सीमा सुरक्षा बल व जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पड़ोसी देश के मंसूबों को नाकाम बनाते हुए बहादुरी की मिसाल कायम की है।
जम्मू-कश्मीर में रमजान शुरू होने से पहले ही मई के दूसरे सप्ताह से पाकिस्तान की शह पर काम करने वाले आतंकियों ने हमले तेज कर दिए थे। 15 मई से पाकिस्तान ने राज्य में सक्रिय देशविरोधी तत्वों का हौसला बढ़ाते हुए जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारी गोलाबारी शुरू कर दी। दुश्मन को कड़ा संदेश देने के लिए सेना, सुरक्षा बल के वीर भी जान हथेली पर लेकर लड़े। ऐसे हालात में मई के दूसरे सप्ताह से अब तक श्रीनगर में सेना की बादामीबाग छावनी ने वीरगति को प्राप्त अपने 7 जवानों को तिरंगे में लपेटकर घर भेजा।
आतंकियों से लड़ने में राज्य पुलिस भी पीछे नहीं रही। इस अरसे में आतंकी वारदातों में 7 पुलिसकर्मी शहीद हुए। कश्मीर निवासी इन पुलिसकर्मियों को शहीद कर पाकिस्तान व उसकी शह पर काम कर रहे आतंकियों ने क्षेत्र के युवाओं को सेना, सुरक्षाबलों, पुलिस से दूरी बनाने की चेतावनी दी। इससे संकेत भी गया कि आतंकी उनके मंसूबों को नाकाम बना रहे कश्मीर के पुलिसकर्मियों से डरते हैं इसीलिए वे पीछे से उन पर वार कर रहे हैं।
कश्मीर में सेना व पुलिस आतंकियों से लोहा ले रही है, तो बीएसएफ जम्मू संभाग के 3 जिलों में फैली आईबी से दुश्मन को दूर करने के लिए प्राणों की आहूति दे रही है। आईबी पर 15 मई से पाकिस्तान की भारी गोलाबारी का जवाब देते हुए 8 सीमा प्रहरियों ने अपनी जान कुर्बान की। ऐसे में जम्मू में सीमा सुरक्षा बल के फ्रंटियर मुख्यालय में शहीदों को सलामी देने के लिए 5 बार भीड़ जुटी।