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Last Modified: शनिवार, 7 नवंबर 2020 (00:05 IST)

बंगाल सरकार पर गरजे शाह, ममता को हत्याओं पर श्वेत-पत्र लाना चाहिए, CAA लागू किया जाएगा

बंगाल सरकार पर गरजे शाह, ममता को हत्याओं पर श्वेत-पत्र लाना चाहिए, CAA लागू किया जाएगा - Shah said Mamta should bring white paper on killings, CAA will be applicable in Bengal
कोलकाता। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit shah)  ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) से कहा कि वह राज्य में राजनीतिक हत्याओं पर श्वेत-पत्र लेकर आएं और हैरानी जताई कि प्रदेश सरकार ने क्यों राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ((NCRB) को अपराध के आंकड़े नहीं भेजे। संशोधित नागरिकता कानून के लागू होने का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि कानून अपनी जगह है और यह केंद्र सरकार का संकल्प है।
 
शाह ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'विकास के नए युग में हम एक मजबूत बंगाल बनाने का लक्ष्य रखते हैं। ममता बनर्जी अपने भतीजे को अगला मुख्यमंत्री बनाने का लक्ष्य रखती हैं।' 
 
उन्होंने कहा, पश्चिम बंगाल सरकार ने 2018 से एनसीआरबी को अपराध के आंकड़े नहीं भेजे हैं। मैं कहना चाहता हूं कि ममता बनर्जी राजनीतिक हत्याओं पर श्वेत-पत्र लेकर आएं। राजनीतिक हत्याओं के लिहाज से बंगाल शीर्ष पर है।
 
शाह के अनुसार पिछले ढाई वर्षों में बंगाल में 100 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्‍या हुई है, आप इस मामले में श्‍वेत पत्र क्‍यों नहीं लाते? राज्‍य में घुसपैठ जारी है। उन्‍होंने आरोप लगाया कि आयुष्‍मान भारत, किसान सम्‍मान निधि जैसी अहम योजनाओं का सबसे खराब क्रियान्‍वयन बंगाल में हुआ।
 
राज्य में सरकारी अधिकारियों का राजनीतिकरण और अपराधीकरण होने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, पश्चिम बंगाल में तीन कानून हैं- एक भतीजे के लिए, एक अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के लिए और एक आम लोगों के लिए।
शाह ने किया 200 सीटें जीतने का दावा : शाह ने दावा किया कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में 200 से ज्‍यादा सीटों के साथ बंगाल में सरकार बनाने जा रही है। बंगाल में तृणमूल का शासन खत्‍म होने जा रहा है। शाह ने कहा, 'मैं बंगाल के लोगों को आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं। आपने कांग्रेस, लेफ्ट और टीएमसी को मौका दिया है, हमें एक मौका दी‍जिए, हम इसे 'अपनार बांग्‍ला' बनाएंगे। हम बंगाल को सुरक्षित बनाएंगे।' 
 
शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल में तुष्टिकरण की राजनीति ने राष्ट्र की आध्यात्मिक चेतना को बनाए रखने की अपनी पुरानी परंपरा को चोट पहुंचाई है। उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण ने पश्चिम बंगाल का गौरव भी छीन लिया है। उन्होंने इसे फिर से बहाल करने और वापस लाने पर जोर दिया है।
 
उन्‍होंने कहा कि पश्चिम बंगाल चैतन्य महाप्रभु, रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद की भूमि रही है, जिन्‍होंने देश ही नहीं, पूरी दुनिया को आलोकित किया है. उन्होंने कहा कि अतीत काल में पश्चिम बंगाल पूरे देश में आध्यात्मिक जागृति का केंद्र था लेकिन आज बदहाल है।
शाह ने मतुआ समुदाय के सदस्य के घर किया भोजन : अमित शाह शुक्रवार को कोलकाता के उत्तर में स्थित बगुईहाटी में मतुआ समुदाय के एक सदस्य के घर गए और वहां पर दोपहर का भोजन किया। समुदाय के एक सदस्य नवीन बिस्वास के घर जाने से पहले शाह मोहल्ले में स्थित मतुआ समुदाय के एक मंदिर में गए और वहां कुछ समय व्यतीत किया।
 
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के साथ शाह ने गौरांगनगर क्षेत्र में नवीन बिस्वास के दो मंजिला मकान में फर्श पर बैठकर दोपहर का भोजन किया। भाजपा के वरिष्ठ नेता को एक थाली में केले के पत्ते पर शाकाहारी बंगाली भोजन परोसा गया।
 
पार्टी सूत्रों ने बताया कि रोटी, छोलार (चना) दाल, चावल, शुक्तो (प्रसिद्ध बंगाली व्यंजन), मूंग दाल, तले हुए बैंगन, चटनी परोसे गए। बिस्वास परिवार के सभी छह लोगों ने शाह के साथ खाना खाया।
शाह के दौरे के पहले एहतियाती तौर पर बिस्वास ने अपने परिवार के पांच अन्य सदस्यों के साथ कोविड-19 की जांच कराई थी। बिस्वास ने कहा, ‘अपने घर में केंद्रीय गृह मंत्री की मेजबानी कर मैं बहुत खुश हूं।’ भाजपा नेता के दौरे के मद्देनजर इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी और उनके पहुंचने के पहले सारी दुकानों को बंद करा दिया गया।
 
पार्टी सूत्रों ने बताया कि भोजन के बाद शाह ने परिवार के सदस्यों तथा इलाके में रह रहे मतुआ समुदाय के दूसरे सदस्यों के साथ बातचीत की। अगले साल अप्रैल-मई में राज्य में विधानसभा चुनाव के पहले पार्टी के संगठनात्मक कार्यों का जायजा लेने के लिए शाह प्रदेश के दो दिनों के दौरे पर हैं। राज्य में शुक्रवार को उनके दौरे का अंतिम दिन था।
 
कृषि से जुड़े मतुआ समुदाय की आबादी पश्चिम बंगाल में 3 करोड़ से अधिक है और राज्य की ध्रुवीकृत राजनीति में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। समुदाय का इतिहास पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) से जुड़ा है। बंटवारे और बांग्लादेश बनने के बाद समुदाय के कई लोग आए और पश्चिम बंगाल के उत्तरी और दक्षिण 24 परगना, नादिया, माल्दा और कूच बिहार जिलों में बस गए। राजनीतिक रूप से समुदाय के अधिकतर सदस्यों को तृणमूल कांग्रेस के समर्थक के तौर पर देखा जाता है।