गर्भपात की अनुमति के लिए उच्च न्यायालय पहुंची नाबालिग बलात्कार पीड़िता
नई दिल्ली। 16 वर्षीय बलात्कार पीड़िता ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर अपने 22 हफ्ते के ‘अवांछित गर्भ' को हटाने की अनुमति मांगी है। अदालत ने कहा है कि नाबालिग की चिकित्सकीय जांच किए जाने की जरूरत है, शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से।
नाबालिग की याचिका के मुताबिक एक वर्ष पहले एक विवाहित व्यक्ति ने उससे यौन संबंध बनाए, जिससे वह गर्भवती हो गई। नाबालिग लड़की से बात करने के बाद न्यायमूर्ति विभा बाखरू ने कहा कि वह काफी हताश लग रही है। लड़की गर्भ हटाने के लिए बार-बार कह रही थी।
अदालत ने यहां एक सरकारी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिया कि एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए ताकि गर्भपात के लिए आकलन किया जा सके और वह इस पर अपनी राय दे सके। अदालत ने बोर्ड में एक महिला रोग विशेषज्ञ और एक मनोचिकित्सक को रखने का निर्देश दिया है।
चिकित्सकीय गर्भपात (एमटीपी) कानून के तहत 20 हफ्ते के बाद गर्भ हटाने पर प्रतिबंध है। इस मामले में अगर कोई पंजीकृत चिकित्सक अदालत को प्रमाणित करे कि गर्भ के कारण मां या बच्चे के जीवन को खतरा है तो अदालत अलग रूख अपना सकती है।
अदालत ने 28 नवम्बर को पारित आदेश में लड़की से कहा कि 30 नवम्बर को बोर्ड के समक्ष पेश हो और बोर्ड को इसके बाद रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
अपने पिता के माध्यम से दायर याचिका में लड़की ने कहा कि 20 वर्षीय विवाहित व्यक्ति ने उससे यह कहते हुए संबंध बनाए कि उसका तलाक हो चुका है और वे दोनों पति-पत्नी की तरह हैं। याचिका में कहा गया है कि इससे उसे अवांछित गर्भ ठहर गया।