श्रीनगर। आप मानें या न मानें कश्मीरियों को बारिश से डर लगने लगा है। आसमान पर बार-बार छा रहे बादलों से वे सहम रहे हैं क्योंकि वे 2014 की बाढ़ को अभी भी भुला नहीं पाए हैं।
यही नहीं राज्य प्रशासन ने 2014 की बाढ़ से कोई सबक न सीखते हुए अभी भी श्रीनगर शहर समेत उन कस्बों को झेलम के रौद्र रूप से बचाने का कोई ठोस इंतजाम नहीं किया है जिससे कश्मीरी अपने आप के बचा सकें। यह बात अलग है कि प्रशासन ने अगले तीन महीनों तक बाढ़ से निपटने के उपायों को अलर्ट पर रखने के निर्देश जरूर दिए हैं।
तीन दिन तक हुई बारिश के बाद कश्मीर में रविवार को मौसम में सुधार दिखा था। इससे झेलम सहित अन्य नदियों-नालों में पानी का बहाव और जलस्तर भी कम हो गया। फिलहाल कश्मीर में बाढ़ का खतरा टल गया हो मगर सभी की निगाहें आसमान पर टिकी हुई हैं।
मौसम विभाग ने अगले चौबीस घंटों में कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश की संभावना जताई है। बारिश से दक्षिण और मध्य कश्मीर में शनिवार को बाढ़ की स्थिति थी। झेलम दरिया कई जगहों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा था।
राममुंशीबाग, संगम, अशाम में झेलम का जलस्तर बारह फुट से लेकर 23 फुट तक था। कई नालों में भी जलस्तर काफी बढ़ गया था। इससे श्रीनगर शहर के निचले क्षेत्रों में कई जगहों पर पानी भर गया।
शनिवार रात से बारिश थमी हुई है। इससे झेलम का जलस्तर काफी कम हुआ लेकिन अभी भी खतरे के निशान के आसपास ही है। मौसम विभाग ने अगले चौबीस घंटों में कश्मीर के कई क्षेत्रों में फिर हल्की बारिश की संभावना जताई है।
ऐसे में कश्मीरियों को डर जायज है। वर्ष 2014 में झेलम के पानी ने कश्मीर में तबाही का वह तांडव मचाया था कि दो सौ से अधिक लोगों की जान चली गई थी और कई हजार करोड़ का नुकसान हुआ था। इस बार कश्मीर में फिर वैसे ही हालात हैं। तबाही का वह मंजर देख चुके लोग सहमे हुए हैं।
श्रीनगर के निचले क्षेत्रों में रह रहे कई लोग अपने घरों को छोड़ चुके हैं। साल 2014 में आई बाढ़ के कारण जम्मू कश्मीर में 2600 गांव प्रभावित हुए थे। कश्मीर के 390 गांव पानी में डूब गए थे। जेहलम का संगम के पास जलस्तर 33 फुट तक चला गया था और बहाव 70 हजार क्यूसिक पहुंच गया था। इस बार भी जेहलम का बहाव 55 हजार तक जा पहुंचा था और संगम के पास जलस्तर 21 फुट को पार कर गया था। इससे लोगों का भयभीत होना स्वाभाविक है।
श्रीनगर के राजबाग क्षेत्र के मोहम्मद अल्ताफ का कहना है कि जैसे ही झेलम में पानी बढ़ना शुरू हुआ उन्होंने घर का सामान ऊपरी मंजिल पर ले जाना शुरू किया। चार साल पहले उनका बहुत नुकसान हुआ था। पहली मंजिल पूरी तरह से पानी में डूब गई थी। सारा सामान पानी में बह गया था। आज मौसम ठीक हुआ है। खुदा करे, सब ठीक हो।
राजबाग क्षेत्र में जम्मू के रहने वाले निगम गुप्ता ने बताया कि साल 2014 में उनका पूरा कार्यालय पानी में डूब गया था और लाखों रुपयों की मशीनरी भी पानी से खराब हो गई थी। इस बार जब बाढ़ के बारे में सुना तो उन्होंने अपने कर्मचारियों को सामान सही जगह रखने के लिए कहा। उनका कहना है कि इस बार भी निचले क्षेत्रों में पानी भर गया है। उम्मीद है कि मौसम में सुधार जारी रहेगा और कुछ भी नहीं होगा।
श्रीनगर के राममुंशी बाग क्षेत्र में रहने वाले 28 वर्षीय वसीम ने बताया कि वह जहां पर रहते हैं, वहां पर शनिवार को झेलम का जलस्तर 23 फुट के ऊपर था। यह खतरे के निशान से करीब पांच से छह फुट अधिक था। सभी घर वाले गए थे। पूरी नजर झेलम के पानी पर थी।
निचले क्षेत्रों में रहने वाले बहुत से लोग प्रशासन द्वारा अलर्ट करने के बाद घर छोड़ गए थे। मगर देर शाम को बारिश रुकने और उसके बाद पानी का बहाव कम होने पर ही कम हुआ। आज भी याद है वह चार साल पहले आई तबाही मचाने वाली बाढ़, जिसमें राज्य में ढाई लाख से अधिक ढांचे क्षतिग्रस्त हो गए थे।
तीन लाख हेक्टेयर कृषि भूमि और चार लाख हेक्टेयर बागवानी भूमि प्रभावित हुई थी। उस समय 700 बिलियन से अधिक का व्यापार में नुकसान होने की बात कही गई थी। पचास पुल पूरी तरह से तबाह हो गए थे। जम्मू संभाग के रियासी जिले में सद्दल गांव में भारी तबाही हुई थी।