बेंगलुरू। कर्नाटक में कड़ी सुरक्षा के बीच शनिवार को टीपू जयंती मनाई गई। हालांकि, राज्य के कई हिस्सों में भाजपा और दक्षिणपंथी संगठनों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया। वहीं, मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री यहां मुख्य कार्यक्रम से दूर रहें, जो कांग्रेस विधायकों को नागवार गुजरा है।
राज्य में पिछली सिद्धरमैया नीत कांग्रेस सरकार ने भाजपा और कई हिंदू संगठनों के सख्त विरोध के बावजूद 2015 से हर साल 10 नवंबर को टीपू जयंती मनाने की शुरुआत की थी।
टीपू सुल्तान 18वीं सदी में मैसूर रियासत के शासक रहे थे। उनका जन्म दिवस राज्य में टीपू जयंती के तौर पर मनाया जाता है। अंग्रेजों की सेना से श्रीरंगपट्टनम के अपने किले को बचाते हुए वह मई 1799 में मारे गए थे।
राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने विपक्ष में रहने के दौरान इस तरह के समारोहों की जरूरत पर सवाल उठाया था। यहां विधान सौध में मुख्य कार्यक्रम फीका रहा क्योंकि मुख्यमंत्री एवं जद(एस) नेता कुमारस्वामी इसमें शरीक नहीं हुए। कुमारस्वामी ने कार्यक्रम में शरीक नहीं होने के लिए स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों ने उन्हें 11 नवंबर तक आराम करने की सलाह दी है।
मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर विधान सौध में मुख्य कार्यक्रम का उदघाटन करने वाले थे। लेकिन वह भी कार्यक्रम में शरीक नहीं हुए। वह कर्नाटक से कांग्रेस के एक वरिष्ठ एवं बीमार नेता का हालचाल जानने के लिए सिंगापुर में हैं।
भाजपा और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा टीपू जयंती के खिलाफ प्रदर्शन किए जाने के चलते विधान सौध को बहुस्तरीय सुरक्षा इंतजाम के साथ किले में तब्दील कर दिया गया। पुलिस ने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी व्यक्ति आयोजन स्थल के अंदर दवाएं, इत्र या पानी की बोतल तक नहीं ले जा सके।
सिंचाई मंत्री डी. के. शिवकुमार, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री बीजेड जमीर अहमद खान और विधायक रोशन बेग तथा एन ए हरीस मुख्य कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में यह आरोप लगाया गया कि भाजपा इस अवसर को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही है।
मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन के अदंर मतभेद उभरने शुरू हो गए हैं। दरअसल, कांग्रेस के एक विधायक ने इसे मुस्लिम समुदाय का अपमान करार दिया है।
विधायक एवं पूर्व मंत्री तनवीर सैत ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि वह जिस स्थान पर आराम कर रहे हैं, वहां नजदीक के किसी स्थल पर कम से कम एक कार्यक्रम में शरीक हो जाएं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के कई नेताओं, खासतौर पर मुस्लिम समुदाय के नेता कार्यक्रम से मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के दूर रहने से नाराज हैं।
विपक्ष में रहते हुए कुमारस्वामी ने इन समारोह की जरुरत पर सवाल उठाए थे। इन कार्यक्रमों की शुरुआत पिछली सिद्धरमैया नीत कांग्रेस सरकार ने की थी।
समझा जाता है कि कुमारस्वामी ने इस कार्यक्रम से दूर रहने का विकल्प इसलिए चुना कि वह कार्यक्रम में शामिल होकर पुराने मैसुरू क्षेत्र के अपनी पार्टी के गढ़ में मतदाताओं को नाराज नहीं करना चाहते थे। दरअसल, टीपू सुल्तान ने अपने पिता हैदर अली के साथ मैसुरू के महाराजाओं से सत्ता छीनी थी।
हालांकि, मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने कार्यक्रम में कुमारस्वामी के शरीक नहीं हो सकने पर एक बयान जारी किया। टीपू जयंती समारोहों की सफलता की शुभकामना देते हुए जद(एस) नेता ने कहा कि प्रशासन में टीपू के प्रगतिशील कार्य, नवोन्मेष के प्रति उनका रुझान सराहनीय है। उन्होंने कहा कि वह चिकित्सकों की सलाह के चलते आराम कर रहे हैं।
सीएमओ के बयान में कहा गया है, 'यह सच से परे है कि मुख्यमंत्री ने अपनी पार्टी के गढ़ पुराने मैसूर क्षेत्र में मतदाताओं को नाराज नहीं करने के लिए कार्यक्रम से दूर रहने का विकल्प चुना।' कुमारस्वामी नीत कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार के राज्य में सत्ता में आने के बाद से यह पहला टीपू जयंती समारोह है।
इस बीच, मुस्लिम नेताओं के एक समूह ने राज्य के मंत्री जमीर अहमद खान के साथ शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया से मुलाकात की और टीपू जयंती के अवसर पर उन्हें सम्मानित किया।
सिद्धरमैया ने टीपू को एक अच्छा प्रशासक बताया और टीपू जयंती समारोहों का विरोध करने को लेकर भाजपा पर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता सत्ता में रहने के दौरान इस तरह के कार्यक्रमों में शरीक हुए थे।
इन समारोहों का विरोध करते हुए भाजपा और कई दक्षिणपंथी संगठन राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रदेश भाजपा इकाई ने टीपू को एक धर्मांध शासक बताते हुए राज्य सरकार से टीपू जयंती मनाने का अपना फैसला बदलने का अनुरोध किया था।
कोडागू जिला में साल 2015 में जब पहली बार आधिकारिक तौर पर टीपू जयंती मनाई गई थी, तब वहां बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा हुई थी। जिले में टीपू जयंती विरोधी होराता समिति ने बंद का आह्वान किया है।
विधायक एमपी अप्पाचु रंजन के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं को पुलिस ने कोडागु जिले के मदीकेरी में हिरासत में ले लिया। ये लोग कार्यक्रम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।
पुलिस ने बताया कि भाजपा के अन्य विधायक और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष के जी बोपैया को प्रदर्शन के दौरान विराजपेट में हिरासत में ले लिया गया। मंगलूर में कुछ प्रदर्शनकारियों ने काले झंडे लेकर जिला पंचायत कार्यालय में घुसने की कोशिश की, जहां कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा था। प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
उत्तर कन्नड़ जिले के येल्लापुरा से भी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने की खबरें हैं। चिकमंगलूर, बेल्लारी, कारवार और राज्य के विभिन्न हिस्सों से भी प्रदर्शन की खबरें हैं। कोडागू और चित्रदुर्ग जिलों, तटीय जिलों सहित अन्य क्षेत्रों में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए हैं। इन इलाकों में स्थानीय लोग टीपू जयंती के विरोध में बताए जा रहे हैं। (भाषा)