पहाड़ों से नीचे उतरते आतंकियों के साथ 1 माह में करीब 3 दर्जन एनकाउंटर, 16 दिनों में 12 आतंकी ढेर
जम्मू। जिस वादी-ए-कश्मीर में शांति लौटने के दावे किए जा रहे थे वहां पहाड़ों से नीचे उतरते आतंकियों के साथ लगातार मुठभेड़ हो रही है। पिछले कुछ एक माह के भीतर हुई करीब तीन दर्जन से अधिक मुठभेड़ों और हमलों ने सुरक्षाबलों की चिंता इसलिए बढ़ाई है क्योंकि यह मुठभेड़ें कुछ तालिबानियों तथा अल-कायदा सदस्यों से भी हुई थीं।
विशेषकर कुपवाड़ा और बारामुल्ला जिले में सर्दी के कारण पहाड़ों से नीचे उतर आए आतंकियों से हुई मुठभेड़ें चिंता का विषय बनती जा रही हैं। चिंता का स्पष्ट कारण मुठभेड़ों में लिप्त आतंकियों की लड़ने की क्षमता है।
रक्षाधिकारियों के बकौलःऐसी लड़ने की क्षमता से हमारा पहले कभी मुकाबला नहीं हुआ था। सेना प्रवक्ता भी दबे स्वर में कुछ ऐसा ही स्वीकारते है। लेकिन साथ ही कहते थे कि हमारे लिए आतंकी, आतंकी ही होता है चाहे वह किसी भी संगठन से संबंध रखता हो।
माना कि सेना के लिए तालिबान तथा अल-कायदा के कश्मीर में एक्टिव होने की खबर प्रत्यक्ष तौर पर अधिक चिंता का विषय नहीं हो लेकिन अन्य सुरक्षाबलों और कश्मीरियों के लिए यह परेशानी का सबब इसलिए बन रही है क्योंकि अगर अन्य सुरक्षाबल उनका मुकाबला करने में आपको सक्षम नहीं पा रहे तो दूसरी ओर कश्मीरी आने वाले दिनों में कश्मीर में पुनः बर्बादी की जंग के पुनजीर्वित होने की शंका से ग्रस्त हैं।
कश्मीर में औसतन प्रतिदिन एक भीषण मुठभेड़ लोगों को दहशतजदा और भयानक सर्दी में घरों से बेघर इसलिए कर रही है क्योंकि आतंकी होटलों, घरों पर कब्जे जमा कर सुरक्षाबलों पर हमले बोलने से परहेज नहीं करते हैं और फिर बदले में चलाए जाने वाले मुक्ति अभियानों में सुरक्षाबल उन इमारतों को ही खंडहरों में बदल रहे हैं जहां से आतंकी हमले बोलते हैं।
वैसे भीषण मुठभेड़ों में आई तेजी के लिए सेना प्रवक्ता आतंकियों की बौखलाहट बताते हैं। जबकि खबरें कहती हैं कि सेना की कोशिश के बावजूद पाक सेना आतंकियों को उस पार से इस ओर धकेलने में कामयाब रही है। इसकी पुष्टि पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह भी करते थे, जो स्वीकारते थे कि कश्मीर में कुछ नए पाकिस्तानी आतंकी आ चुके हैं।