Last Modified: अहमदाबाद ,
मंगलवार, 30 अप्रैल 2013 (18:34 IST)
फर्जी मुठभेड़ : आईपीएस के खिलाफ फैसला सुरक्षित
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अहमदाबाद। केंद्रीय जांच ब्यूरो की एक विशेष अदालत ने इशरत जहां और तीन अन्य के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी आईपीएस अधिकारी पीपी पांडे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के लिए दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली। अदालत इस पर अपना निर्णय बाद में सुनाएगी। सीबीआई की विशेष न्यायाधीश गीता गोपी ने कहा कि वह दो मई को इस संबंध में अपना आदेश सुनाएंगी।
सीबीआई के पुलिस उपाधीक्षक और मुठभेड़ मामले के जांच अधिकारी जी कलाईमणि ने सीबीआई अदालत के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के 25 अप्रैल आदेश को चुनौती देते हुए पुनरीक्षण याचिका दायर की थी। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध) पीपी पांडे के खिलाफ गिफ्तारी वारंट जारी करने की सीबीआई की मांग खारिज कर दी थी।
गुजरात काडर के 1980 बैच के आईपीएस अधिकारी पांडे 2004 में अहमदाबाद में संयुक्त पुलिस आयुक्त थे। उसी वर्ष 15 जून को इशरत जहां के अलावा जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै, अमजद अली, अकबर अली राणा और जीशान जौहर इस मुठभेड़ में मारे गए थे।
सीबीआई ने आपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 73 के तहत पांडे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अनुरोध करते हुए यह पुनरीक्षण याचिका दायर की है। सीबीआई का कहना है कि अधिकारी सीबीआई से बच रहा है और एजेंसी के लिए अदालत की मदद लेना जरूरी हो गया है।
सीबीआई के वकील एलडी तिवारी ने कहा, हमने अधिकारी को 22 और 24 अप्रैल को दो समन जारी किए थे लेकिन उन्होंने इनका कोई जवाब नहीं दिया। हम जब अहमदाबाद में उनके निवास पर गए तो उनके बेटे ने अपने पिता के बारे में कोई भी जानकारी देने से इंकार कर दिया। इस अधिकारी का मोबाइल नंबर भी पहुंच के बाहर है।
उन्होंने गिरफ्तारी वारंट जारी करने के लिए अदालत से एसीजेएम को निर्देश देने की अपील करते हुए कहा, हम पूछताछ के लिए पांडे को हिरासत में लेने में सफल नहीं हो सके हैं। इसलिए इन परिस्थितियों में अदालत की ओर से गिरफ्तारी वारंट जारी करना आवश्यक हो गया है। (भाषा)