माया मिली न राम! जानिए कौन हैं साध्वी अनादि सरस्वती?
Sadhvi Anadi Saraswati Ajmer: राजस्थान की अजमेर उत्तर सीट से कांग्रेस द्वारा महेन्द्र सिंह रलावता को टिकट दिए जाने के बाद हाल ही में भाजपा से कांग्रेस में आईं साध्वी अनादि सरस्वती को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, साध्वी भाजपा से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर ही कांग्रेस में आई थीं। हालांकि कांग्रेस की ओर से ही एक अन्य दावेदार धर्मेन्द्र सिंह राठौड़ भी चाहते थे कि साध्वी को टिकट मिल जाए। साध्वी को कांग्रेस में लाने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
साध्वी अनादि सरस्वती भाजपा से टिकट चाहती थीं, लेकिन भाजपा ने एक बार फिर वर्तमान विधायक वासुदेव देवनानी पर ही दांव लगाना सही समझा। 2018 में देवनानी ने रलावता को करीब 8000 वोटों से हराया था। देवनानी 2013 में भी भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीते थे।
देवनानी सिंधी समाज से आते हैं और इस सीट पर सिंधी वोटरों की संख्या काफी है। साध्वी अनादि भी सिंधी समुदाय से आती हैं। ऐसे में उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस से उन्हें टिकट मिल जाएगा। लेकिन, ऐन वक्त पर पार्टी ने महेन्द्र सिंह रलावता को टिकट दे दिया। रलावता को कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट का करीबी माना जाता है।
कौन हैं साध्वी अनादि सरस्वती? : भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने वाली साध्वी अनादि को लेकर अटकलें थीं कि कांग्रेस उन्हें अजेमर उत्तर सीट से उम्मीदवार बना सकती है, लेकिन विरोध के चलते साध्वी की उम्मीदों को झटका लग गया। खुद को हेमू कालानी का वंशज कहने वाली साध्वी का असली नाम ममता कालानी है।
अजमेर निवासी साध्वी ने समाज शास्त्र में एमएम किया है। इसके बाद उनकी रुचि अध्यात्म में हो गई। 2008 में उन्होंने प्रेमानंद सरस्वती से महानिर्वाण अखाड़े की परंपरा के अनुसार दीक्षा ली। उन्होंने पतंजलि योग दर्शन, भागवत गीता और वेदांत का भी अध्ययन किया है।
साध्वी अनादि को भाजपा की फायर ब्रांड नेता के रूप में भी जाना जाता था। वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना आदर्श मानती रही हैं। भाजपा में रहने के दौरान उन्होंने कहा था कि वे योगी आदित्यनाथ की तरह समाज की सेवा करना चाहती हैं। सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाली साध्वी के फेसबुक, ट्विटर आदि काफी फॉलोअर्स हैं। वे चिती संधान योग नाम की एक संस्था भी चलाती हैं। इसके माध्यम से वे अपनी विचारधारा का प्रचार करती हैं। मोटिवेशन स्पीकर के रूप में भी उनकी पहचान है।
भाजपा के बाद कांग्रेस के टिकट से भी वंचित साध्वी फिलहाल तो न उधर की रहीं न ही इधर की। संभव है आने वाले समय में कांग्रेस उन्हें संगठन में कोई पद दे दे। क्योंकि मध्यप्रदेश में भी ऐन वक्त पर कांग्रेस में शामिल हुईं निशा बांगरे को आमला सीट से टिकट तो नहीं मिला, लेकिन पार्टी ने उन्हें प्रदेश महामंत्री जरूर बना दिया। (फोटो : सोशल मीडिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala