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प्रयागराज कुंभ मेला, 16 नहीं नागा बाबा करते हैं 17 श्रृंगार

प्रयागराज कुंभ मेला, 16 नहीं नागा बाबा करते हैं 17 श्रृंगार | naga baba sadhu 17 shringar
महिलाएं तो सोलह लेकिन नागा बाबा सत्रह श्रृंगार करते हैं। वैसे माना जाता है कि महिलाएं अपने साज-श्रृंगार पर सबसे ज्यादा ध्यान देती हैं, लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी की नागा बाबा भी अपने श्रृंगार पर ध्यान देते हैं। हर नागा बाबा का श्रृंगार अलग ही होता है तभी तो उनकी अलग पहचान बनती है। आओ जानते हैं नागा बाबाओं के श्रृंगार के बार में संक्षिप्त जानकारी।
 
 
17 श्रृंगार :
जहां तक सवाल नागा बाबाओं के श्रृंगार का है तो उनके अनुसार 1.लंगोट, 2.भभूत- बदन में विभूति का लेप, 3.चंदन, 4.पैरों में लोहे या ड्डिर चांदी का कड़ा, 5.अंगूठी, 6.पंचकेश, 7.कमर में ड्डूलों की माला, 8.माथे पर रोली का लेप, 9.कुंडल, 10.हाथों में चिमटा, 11.डमरू, 12.कमंडल, 13.गुथी हुई जटाएं और 14.तिलक, 15.काजल, 16.हाथों में कड़ा और 17.बाहों पर रुद्राक्ष की मालाएं 17 श्रृंगार में शामिल होते हैं।
 
 
शाही स्नान से पहले नागा साधु पूरी तरह सज धज कर तैयार होते हैं और ड्डिर अपने ईष्ट की प्रार्थना करते हैं। नागा संत के मुताबिक लोग नित्य क्रिया करने के बाद खुद को शुद्ध करने के लिए गंगा स्नान करते हैं लेकिन नागा संन्यासी शुद्धीकरण के बाद ही शाही स्नान के लिए निकलते हैं।
 
 
नागा स्वभाव :
इन श्रृंगार के अलावा नागा बाबाओं की यह भी खासियत है कि कुछ नरम दिल तो कुछ अक्खड़ स्वभाव के होते हैं। कुछ नागा संतों के तो रूप रंग इतने डरावने हैं कि उनके पास जाने से ही डर लगता है। महाकुंभ पहुंचे नागा संन्यासियों की एक खासियत ये भी है कि इनका मन बच्चों के समान निर्मल होता है। ये अपने अखाड़ों में हमेशा धमा.चौकड़ी मचाते रहते हैं। इनका मठ इनकी अठखेलियों से गूंजता रहता है। अखाड़ों की बात करें तो महानिर्वाणी, जूना और निरंजनी अखाड़ों में सबसे अधिक नागा साधुओं की तादाद है।