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Last Updated : शुक्रवार, 25 मार्च 2022 (19:45 IST)

हिन्दुत्व का ही नहीं, भारत का भी बड़ा चेहरा बन गए हैं योगी आदित्यनाथ

हिन्दुत्व का ही नहीं, भारत का भी बड़ा चेहरा बन गए हैं योगी आदित्यनाथ - Yogi Adityanath is not only the face of Hindutva, but also the big face of India
उत्तराखंड के एक साधारण गांव में जन्मे अजयसिंह बिष्ट (योगी आदित्यनाथ) अब भाजपा और हिन्दुत्व का एक बड़ा चेहरा हैं। 25 मार्च 2022, शुक्रवार को योगी ने दूसरी बार उत्तरप्रदेश के मुख्‍यमंत्री के रूप में शपथ ली। इससे पहले 19 मार्च 2017 को उन्होंने पहली बार यूपी के मुख्‍यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। योगी गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर भी हैं। साथ ही वे ऐसे नेता हैं जिन्होंने हिन्दुत्व के मुद्दे पर न सिर्फ यूपी बल्कि पूरे देश में अलग पहचान बनाई है।
 
प्रारंभिक जीवन : योगी आदित्‍यनाथ का जन्‍म 5 जून सन् 1972 को देवभूमि उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल जिले में स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूर गांव के एक गढ़वाली राजपूत परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट है, जो कि फॉरेस्ट रेंजर थे। माता सावित्रीदेवी की 5वीं संतान हैं योगी आदित्यनाथ। योगी की प्रारंभिक शिक्षा पौड़ी के प्राथमिक विद्यालय में हुई। हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय से गणित और विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद योगी ने गणित में एमएससी की शिक्षा प्राप्त करने के लिए दाखिला लिया, लेकिन राम मंदिर आंदोलन से जुड़ने के कारण वे शिक्षा आगे जारी नहीं रख पाए।

 
22 वर्ष की उम्र में संन्यास : योगी ने 22 वर्ष की आयु में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। गोरखनाथ मंदिर के तत्कालीन महंत अवैद्यनाथ से 15 फरवरी 1994 को दीक्षा प्राप्त करने के बाद इनका नाम अजय सिंह से 'योगी आदित्यनाथ' हो गया। संन्यास जीवन ग्रहण करने और घर-परिवार त्यागने के बाद देशसेवा और समाजसेवा करने का संकल्प लिया। 12 सितंबर 2014 को महंत अवैद्यनाथ के निधन के बाद योगी को गोरखनाथ मंदिर का महंत बनाया गया और नाथ पंथ के परंपरा के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया। मठाधीश होने के कारण योगी का प्रभाव हिन्दू समाज की सभी जातियों में है।
 
योगी ने पूर्वी उत्तरप्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। वृहद हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों धर्मांतरित हिन्दुओं की ससम्मान घरवापसी करवाई। गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरूक कर गोवंशों का संरक्षण एवं संवर्द्धन करवाया।

 
राजनीतिक जीवन : योगी आदित्‍यनाथ ने गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से पहली बार 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में के सबसे कम उम्र के सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली लगभग 1,500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से 5 बार सांसद चुने गए।
उन्‍होंने 1998 से 2017 तक भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 19 मार्च 2017 में उत्तरप्रदेश के भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया और वे पहली बार यूपी के मुख्‍यमंत्री बने।
 
हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगी को विश्व हिन्दू महासंघ जैसी हिन्दुओं की अंतरराष्ट्रीय संस्था ने अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए उन्‍होंने वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दू महासंघ के अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन को संपन्‍न कराया। योगी ने 'यौगिक षटकर्म', 'हठयोग : स्वरूप एवं साधना', 'राजयोग : स्वरूप एवं साधना' तथा 'हिन्दू राष्ट्र नेपाल' नामक पुस्तकें भी लिखी हैं।
 
विभिन्न समितियों में रहे : संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण केंद्र सरकार ने उन्‍हें खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थाई समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया।