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Margashirsha Guruvar: मार्गशीर्ष मास का पहला गुरुवार, जानें महत्व और पूजा विधि

Margashirsha Guruvar: मार्गशीर्ष मास का पहला गुरुवार, जानें महत्व और पूजा विधि - First Thursday of Agahan Maas
Margashirsha Guruvar 2023: महत्व : मार्गशीर्ष/ अगहन महीने के हर गुरुवार को मां लक्ष्मी की पूजा होती है। इसके संदर्भ में सनातन धर्म में भी उल्लेख किया गया है। पौराणिक ग्रंथों में इसका वर्णन मिलता है कि अगहन गुरुवार को अगर सुहागिनें बुधवार की रात घर की साफ-सफाई करने के बाद निष्ठा से लक्ष्मी की उपासना करें तो वे प्रसन्न होकर उपासक के घर स्थायी तौर पर आती हैं। इस परंपरा का निर्वाह आज के दौर में भी बड़े हर्ष और उल्लास के साथ किया जाता है। 
 
इस बार 30 नवंबर 2023 को अगहन मास का पहला गुरुवार है। इस दिन मां लक्ष्मी की स्थापना और पूजा की परंपरा है। मान्यता है कि तुलसी और लक्ष्मी की पूजा पूरे अगहन मास या फिर इस महीने के हर गुरुवार को करने और अन्न दान करने से मां लक्ष्मी खुश होती हैं और उनके आगमन के बाद उनका स्थायित्व बना रहता है। सुहागन यह व्रत करने के बाद घर की लक्ष्मी को खर्च करने से परिवार के लोगों को रोकती हैं। 
 
इस माह जो सुहागन माता लक्ष्मी की श्रद्धा से उपासना करती हैं, उनके घर में धन के साथ खुशहाली आती है। साथ ही लक्ष्मी और तुलसी साथ में पूजी जाती है। इसके चलते परिवार में लक्ष्मी का वास हमेशा रहता है। इस दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करके घर के द्वार पर दीपों से रोशनी की जाती है। इस दिन महिलाएं व्रत रख सुबह ही पूजा कर लेती हैं तथा दोपहर में अगहन बृहस्पतिवार की कहानी सुनी जाती है।
 
इस दिन महिलाएं हर घर के मुख्य द्वार से लेकर आंगन और पूजा स्थल तक चावल आटे के घोल से आकर्षक अल्पनाएं बनाएंगी। इन अल्पनाओं में मां लक्ष्मी के पांव विशेष रूप से बनाए जाएंगे। इसके बाद गुरुवार सुबह ब्रह्म मुहूर्त से ही मां लक्ष्मी की भक्तिभाव के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके बाद उन्हें विशेष प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाएगा। अगहन महीने के गुरुवारी पूजा में मां लक्ष्मी को प्रत्येक गुरुवार को अलग-अलग पकवानों का भोग लगाने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
 
बता दें कि आज मार्गशीर्ष मास की भगवान गणेश की गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भी है और इसी के साथ अगहन मास के प्रथम गुरुवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है, जो कि बहुत ही लाभकारी संयोग बना है। बता दें कि स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने मार्गशीर्ष मास को अपना स्वरूप बताया है और कृष्ण भगवान श्रीहरि विष्णु का ही अवतार है। अत: श्रीविष्णु की पूजा मां लक्ष्मी के बिना अधूरी मानी जाती है। साथ ही आज गुरुवार के दिन का भी विशेष संयोग बना है। 
 
पूजा विधि- 
 
बता दें कि 28 नवंबर 2023 से अगहन मास का प्रारंभ हो गया है। और बुधवार शाम से लेकर गुरुवार की शाम तक गुरुवारी पूजा की धूम रहती है।
 
अगहन मास के प्रथम गुरुवार का पूजन 30 नवंबर 2023, गुरुवार को किया गया।
 
इस दिन हर घर में धन की देवी मां लक्ष्मी जी का पूजन-अर्चन होगा।
 
हिन्दू पंचांग के अनुसार इसे मार्गशीर्ष मास भी कहा जाता है।
 
अगहन मास में गुरुवार के पूजा की तैयारी कई घरों में बुधवार शाम से ही शुरू हो जाती है।
 
इस दौरान हर घर में मां लक्ष्मी की स्थापना कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी। 
 
मां को प्रसन्न करने की इच्छा से घर के द्वार पर दीपों से रोशनी होगी, घर के मुख्य द्वार से लेकर आंगन और पूजा स्थल तक चावल के आटे के घोल से आकर्षक अल्पनाएं बनाई जाएंगी। 
 
प्रथम गुरुवार को इन अल्पनाओं में मां लक्ष्मी के पांव विशेष रूप से बनाए जाएंगे।
 
तत्पश्चात मां लक्ष्मी के सिंहासन को आम, आंवला और धान की बालियों से सजाया जाएगा और कलश की स्थापना कर मां लक्ष्मी की पूजा की जाएगी तथा विशेष प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाएगा। 
 
मान्यता है कि अगहन महीने के गुरुवारी पूजा में मां लक्ष्मी को प्रत्येक गुरुवार अलग-अलग पकवानों का भोग लगाने से उनका शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है।
 
गुरुवार को पूजा-अर्चना के बाद शाम होते ही प्रसाद खाने-खिलाने का दौर शुरू हो जाता है। 
 
इस अवसर पर आस-पड़ोस की महिलाओं, बहू-बेटियों को प्रसाद खाने के लिए विशेष रूप से निमंत्रण दिया जाता है। 
 
इस माह में देवी भगवती की उपासना शुभ फलदायी होती है।
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