गोल्डन वीजा : अमेरिकी नागरिकता हासिल करने का आसान तरीका
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके प्रशासन ने जहां एक ओर एच-1 बी को हासिल करने में परेशानियां पैदा करने का काम किया है, वहीं बहुत से भारतीय पेशेवर लोगों से कहा जा रहा है कि वे ईबी5 वीजा हासिल कर लें, जिससे कि उनकी अमेरिकी नागरिकता मिलने की संभावनाएं और बेहतर हो जाएं। विदित हो कि ईबी 5 वीजा को आमतौर पर गोल्डन वीजा भी कहा जाता है। इस नए परिवर्तन से संपन्न भारतीयों की जेबें हल्की हो सकती हैं।
विदित हो कि यूएस इमीग्रेंट्स फंड ने इसी वर्ष से अपना भारतीय ऑपरेशन्स शुरू किए है। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि टारगेटेड एम्पलॉयमेंट एरिया में दस या ज्यादा नौकरियां पैदा करने के लिए सम्पन्न भारतीयों को पांच लाख डॉलर या इससे अधिक की राशि का निवेश करना होगा। इस कार्यक्रम का लाभ यह है कि निवेशकों को अमेरिकी नागरिकता अपेक्षाकृत कम समय में मिल सकती है।
यूएसआईएफ के कारोबारी विकास के निदेशक आंद्रे ग्रेव्स का कहना है कि 'एच-1बी को लेकर अमेरिका में माहौल में सख्ती को देखते हुए यहां बसे भारतीय अब गोल्डन वीजा (या ईबी5 वीजा कार्यक्रम) को लेकर बहुत आकर्षित हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इसे अमेरिकी कांग्रेस ने वर्ष 1990 में शुरू किया था ताकि इस नए कार्यक्रम के जरिए कोई भी व्यक्ति दो टारगेटेड एम्पलॉयमेंट एरिया (टीईएज) में पांच लाख डॉलर का निवेश करना पड़ेगा।
जहां तक ईटीएस अमेरिकी नागरिक को अमेरिकी महानगरों में या किसी भी महानगर के बाहर अपना पैसा निवेश कर सकेंगे। इसमें एक विकल्प यह भी है कि संबंधित व्यक्ति किसी गैर-टीईएज क्षेत्रों में दस लाख डॉलर का निवेश कर सकते हैं जिसके निवेश इस स्थान विशेष दस या अधिक लोगों को नौकरियां मिल सकें। हालांकि इस कार्यक्रम को लेकर आवेदकों की योग्यताओं को लेकर कांग्रेस में सवाल उठाए गए थे। विदित हो कि इस माह की शुरुआत से अमेरिकी कांग्रेस ने इसकी समय सीमा को 30 सितंबर, 2017 में बढ़ा लिया है।
इस तरह भरें फार्म : इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए ग्रेव्स ने कहा था कि जब एक बार कोई आदमी अमेरिका में इस तरह से प्रवेश से संबंधित कार्यक्रम में निवेश करता है तो अमेरिकी सरकार पर रोग किसी अमेरिकी वकील के जरिए फॉर्म आई-526 भरना पड़ता है। इसके तुरंत बाद ही संबंधित आवेदक को 16 महीनों के लिए एक अस्थायी ग्रीन कार्ड जारी कर दिया जाता है।
एक बार जब सारी शर्तें पूरी हो जाती हैं तो इसके करीब दो साल बाद आवेदक को अमेरिका में कानूनी तौर पर स्थायी निवास के लिए फॉर्म आई-829 भरना होता है और उसे स्थायी प्रवास की अनुमति दी जाती है। इस मामले में ग्रेव्स का कहना है कि ईबी5 ऐसा प्रावधान है जिसके चलते संबंधित व्यक्ति को मोटे तौर पर 5 वर्षों के अंदर अमेरिकी नागरिकता मिल जाती है। इस वीजा के अंतर्गत शत प्रतिशत लोगों को नागरिकता मिल जाती है।
चीनी सबसे ऊपर : विदित हो कि इस प्रकार के वीजा से सबसे ज्यादा लाभ उठाने वाले चीनी रहे हैं। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 7500 से ज्यादा वीजा जारी किए गए जिनमें से चीनियों की संख्या 75.6 फीसदी रही है। इस कार्यक्रम के तहत भारतीयों ने 149 वीजा हासिल किए हैं जो कि छठवीं बड़ी संख्या है। जबकि वियतनामियों ने 334, दक्षिण कोरिया के 260 आवेदकों ने, ताइवान के 205 और ब्राजील के 130 आवेदकों ने इसका लाभ उठाया। उनका कहना है कि उन्हें भरोसा है कि आगामी समय में भारतीय आवेदक इस सूची में दूसरे स्थान पर आ सकते हैं। वास्तव में, यह एक ऐसी सुविधा है जिसका लाभ उठाने के लिए आपको पांच से लेकर 10 लाख डॉलर तक का निवेश करना होता है।