'दुर्गा सप्तशती' के पाठ की सही विधि क्या है? आप पक्का नहीं जानते होंगे
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अनंत पुण्य फलदायक माना गया है। 'दुर्गा सप्तशती' के पाठ के बिना दुर्गा पूजा अधूरी मानी गई है। लेकिन दुर्गा सप्तशती के पाठ को लेकर श्रद्धालुओं में बहुत संशय रहता है।
शास्त्रानुसार दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का विधान स्पष्ट किया गया है। यदि 1 दिन में पू्र्ण शास्त्रोक्त विधि से दुर्गा सप्तशती का पाठ संपन्न करने की सामर्थ्य न हो तो निम्नानुसार क्रम व विधि से भी दुर्गा सप्तशती का पाठ करना श्रेयस्कर रहता है।
आइए जानते हैं 'दुर्गा सप्तशती' के पाठ की सही विधि क्या है? यदि 1 दिन में दुर्गा सप्तशती का पूर्ण पाठ करना हो तो निम्न विधि से किया जाना चाहिए-
1. प्रोक्षण (अपने ऊपर नर्मदा जल का सिंचन करना)
2. आचमन
3. संकल्प
4. उत्कीलन
5. शापोद्धार
6. कवच
7. अर्गला स्तोत्र
8. कीलक
9. सप्तशती के 13 अध्यायों का पाठ (इसे विशेष विधि से भी किया जा सकता है)
10. मूर्ति रहस्य
11. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र
12. क्षमा प्रार्थना
विशेष विधि-
दुर्गा सप्तशती के 1 अध्याय को प्रथम चरित्र, 2, 3, 4 अध्याय को मध्यम चरित्र एवं 5 से लेकर 13 अध्याय को उत्तम चरित्र कहते हैं। जो श्रद्धालुगण पूरा पाठ (13 अध्याय) एक दिन में संपन्न करने में सक्षम नहीं हैं, वे निम्न क्रम से भी दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं-
1. प्रथम दिवस- 1 अध्याय
2. द्वितीय दिवस- 2 व 3 अध्याय
3. तृतीय दिवस- 4 अध्याय
4. चतुर्थ दिवस- 5, 6, 7, 8 अध्याय
5. पंचम दिवस- 9 व 10 अध्याय
6. षष्ठ दिवस- 11 अध्याय
7. सप्तम दिवस- 12 व 13 अध्याय
8. अष्टम दिवस- मूर्ति रहस्य, हवन व क्षमा प्रार्थना