चैत्र नवरात्रि में राशि के अनुसार देवी का चयन कर साधना विधानपूर्वक की जाए तो अवश्य ही सफलता प्राप्त होगी। राशि के अनुसार साधना क्रम दिया जा रहा है-
(1) मेष राशि : इस राशि के जातक भगवती तारा, नील-सरस्वती या माता शैलपुत्री की साधना करें।
(2) वृषभ राशि : इस राशि के जातक भगवती षोडशी-श्री विद्या की साधना करें या माता ब्रह्मचारिणी की।
(3) मिथुन राशि : इन्हें माता भुवनेश्वरी की या माता चन्द्रघंटा की उपासना करनी चाहिए।
(4) कर्क राशि : कर्क राशि के जातकों को माता कमला अथवा माता सिद्धिदात्री की उपासना करनी चाहिए।
(5) सिंह राशि : इन्हें माता पीताम्बरा या माता कालरात्रि की उपासना करनी चाहिए।
(6) कन्या राशि : इन्हें माता भुवनेश्वरी या माता चन्द्रघंटा की उपासना करनी चाहिए।
(7) तुला राशि : इन्हें श्री विद्या में माता षोडशी या माता ब्रह्मचारिणी की उपासना करनी चाहिए।
(8) वृश्चिक राशि : इन्हें भगवती तारा या माता शैलपुत्री की उपासना करनी चाहिए।
(9) धनु राशि : इन्हें माता कमला या माता सिद्धिदात्री की उपासना करनी चाहिए।
(10) मकर राशि : इन्हें माता काली या माता सिद्धिदात्री की उपासना करनी चाहिए।
(11) कुंभ राशि : इन्हें माता काली या माता सिद्धिदात्री की उपासना करनी चाहिए।
(12) मीन राशि : इन्हें माता कमला या माता सिद्धिदात्री की उपासना करनी चाहिए।
इसके अलावा लग्न, पंचम तथा नवम भाव में जो ग्रह बने हों या उन पर शुभाशुभ ग्रहों की दृष्टि हो, उसके अनुसार भी निर्णय होता है, जैसे-
सूर्य- विष्णु, राम, शिव, दुर्गा, गायत्री, सूर्य आदि।
चन्द्रमा- लक्ष्मी, श्री विद्या, यक्षिणी, दुर्गा आदि।
मंगल- भैरव, हनुमान, मंगला आदि उग्र देवता।
बुध- गणेश, विष्णु, सरस्वती आदि।
गुरु- विष्णु, शिव, गायत्री, पीताम्बरा, गुरु आदि।
शुक्र- लक्ष्मी, यक्षिणी, मातंगी आदि।
शनि- काली, दुर्गा, तारा, भैरव, मृत्युंजय आदि।
राहू-केतु- शुद्र देवता, भूत-प्रेत, कर्ण पिशाचिनी आदि।
इस प्रकार देवी साधना कर सफलता पाई जा सकती है।