दुर्गा अष्टमी 2023 : महाष्टमी पर घर में ही कैसे करें हवन, जानें सरल विधि
Maha Ashtami Havan Vidhi: शारदीय नवरात्रि में 22 अक्टूबर 2023 रविवार के दिन दुर्गा अष्टमी की पूजा होगी। इसी दिन कई घरों में व्रत का समापन होता है और हवन के साथ कन्या भोज होता है। यदि आप इस दिन हवन करने जा रहे हैं तो जानिए मुहूर्त के साथ ही हवन करने की सरल विधि।
अष्टमी तिथि:-
अष्टमी आरम्भ : 21 अक्टूबर 2023 को रात्रि 09:55:15 से।
अष्टमी समाप्त : 22 अक्टूबर 2023 को रात्रि 08:00:57 पर।
नोट : स्थानीय समय के अनुसार तिथि प्रारंभ और समाप्ति के समय में 2 से 5 मिनट की घट-बढ़ रहती है।
हवन का शुभ मुहूर्त :-
- दोपहर 12:38 से 02:10 के बीच।
- शाम को 07:34 से 08:22 के बीच।
घर पर हवन करने की सरल विधि | How to do Havan at home:
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पहले हवन सामग्री एकत्रित कर लें। जैसे, काष्ठ, नवग्रह की नौ समिधा, घी, चौ, चावल, तिल, बूरा, फल, शहद, आदि।
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उचित स्थान पर 8 ईंट जमाकर हवन कुंड बना लें या बाजार से बने बनाए हवन कुंड ले आएं।
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हवन कुंड के पास धूप-दीप प्रज्वलित करके कुंड पर स्वास्तिक बनाकर नाड़ा बांधें और फिर उसकी पूजा करें।
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अब हवन कुंड में आम की आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित करें।
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अब हवन कुंड की पवित्र अग्नि में फल, शहद, घी, काष्ठ इत्यादि पदार्थों की मंत्रों के साथ आहुति दें।
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सबसे पहले ॐ आग्नेय नम: स्वाहा बोलकर आहुति दें। ॐ गणेशाय नम: स्वाहा। नाम से आहुति दें।
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अब इसके बाद सभी नवग्रहों के देवाताओं के नाम की आहुति दें। फिर कुल देवता और स्थान देवता की आहुति दें।
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इसके बाद माता दुर्गा के सभी नामों से आहुति दें। जैसे ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा। ॐ गौरियाय नम: स्वाहा। आदि।
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इसके बाद सप्तशती या नर्वाण मंत्र से जप करते हुए आहुति दें। सप्तशती में प्रत्येक मंत्र के पश्चात स्वाहा का उच्चारण करके आहुति दें।
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हवन के बाद गोला में कलावा बांधकर फिर चाकू से काटकर ऊपर के भाग में सिन्दूर लगाकर घी भरकर चढ़ा दें।
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सप्तशती प्रथम से अंत अध्याय के अंत में पुष्प, सुपारी, पान, कमल गट्टा, लौंग 2 नग, छोटी इलायची 2 नग, गूगल व शहद की आहुति दें तथा पांच बार घी की आहुति दें।
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फिर पूर्ण आहूति में नारियल में छेद कर उसमें पान, सुपारी, लौंग, जायफल, बताशा, अन्य प्रसाद रखकर पूर्ण आहुति दें।
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पूर्ण आहुति में ये मंत्र बोले- 'ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।'
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पूर्ण आहुति के बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें, फिर परिवार सहित आरती करके हवन संपन्न करें। और माता से क्षमा मांगते हुए मंगलकामना करें।
हवन के सभी मंत्र:
ॐ आग्नेय नम: स्वाहा (ॐ अग्निदेव ताम्योनम: स्वाहा)।
ॐ गणेशाय नम: स्वाहा।
ॐ गौरियाय नम: स्वाहा।
ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा।
ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा।
ॐ महाकालिकाय नम: स्वाहा।
ॐ हनुमते नम: स्वाहा।
ॐ भैरवाय नम: स्वाहा।
ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा।
ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा
ॐ ब्रह्माय नम: स्वाहा।
ॐ विष्णुवे नम: स्वाहा।
ॐ शिवाय नम: स्वाहा।
ॐ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा।
ॐ स्वधा नमस्तुति स्वाहा।
ॐ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: क्षादी: भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शक्रे शनि राहु केतो सर्वे ग्रहा शांति कर: स्वाहा।
ॐ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम्/ उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मृत्युन्जाय नम: स्वाहा।
ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।