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Last Modified: नई दिल्ली , सोमवार, 17 मार्च 2025 (00:14 IST)

पाकिस्तान, चीन, गुजरात दंगे, PM मोदी के पॉडकास्ट की बड़ी बातें

पीएम मोदी ने कहा कि बार-बार पाकिस्तान उस आतंक के केंद्र के रूप में उभरा है, जिससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को भारी पीड़ा का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के व्यवहार को विचारधारा समझने की भूल नहीं की जानी चाहिए।

पाकिस्तान, चीन, गुजरात दंगे, PM मोदी के पॉडकास्ट की बड़ी बातें - पाकिस्तान, चीन, गुजरात दंगे, PM मोदी के पॉडकास्ट की बड़ी बातें
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि गुजरात में 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों को लेकर एक झूठी कहानी गढ़ने का प्रयास किया गया था और केंद्र की सत्ता में बैठे उनके राजनीतिक विरोधी चाहते थे कि उन्हें सजा मिले, लेकिन अदालतों ने उन्हें निर्दोष साबित किया। अमेरिका के जाने-माने पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में, मोदी ने कहा कि यह धारणा गलत सूचना फैलाने का एक प्रयास था कि 2002 के दंगे गुजरात में अब तक के सबसे बड़े दंगे थे।
 
उन्होंने कहा कि अगर आप 2002 से पहले के आंकड़ों की समीक्षा करेंगे तो आप पाएंगे कि गुजरात में लगातार दंगे हुए। कहीं-कहीं तो लगातार कर्फ्यू लगाया जाता था। सांप्रदायिक हिंसा पतंगबाजी प्रतियोगिता या यहां तक कि साइकिल टक्कर जैसे छोटे मुद्दों पर भी भड़क जाया करती थी।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि 1969 में गुजरात में दंगे छह महीने से ज्यादा समय तक चले थे और उस समय वह राजनीतिक क्षितिज पर कहीं नहीं थे।
मोदी ने कहा कि गोधरा ट्रेन अग्निकांड उनके गुजरात विधानसभा का सदस्य चुने जाने के मुश्किल से तीन दिन बाद हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘यह अकल्पनीय त्रासदी थी, लोगों को जिंदा जला दिया गया। कंधार विमान अपहरण, संसद पर हमला या यहां तक कि 9/11 जैसी घटनाओं की पृष्ठभूमि में आप कल्पना कर सकते हैं और फिर इतने सारे लोगों को मार दिया गया और जिंदा जला दिया गया, आप कल्पना कर सकते हैं कि स्थिति कितनी तनावपूर्ण और अस्थिर थी।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए, हम भी ऐसा ही चाहते हैं। हर कोई शांति चाहता है।’’ उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे मोदी ने कहा कि गोधरा में हुई बड़ी घटना चिंगारी फैलने का केंद्र बिंदु थी और फिर हिंसा हुई। उन्होंने कहा कि गोधरा मामले को लेकर फर्जी विमर्श गढ़ा गया।
 
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, अदालतों ने मामले की पूरी तरह से जांच की और हमें पूरी तरह से निर्दोष पाया। जो लोग वास्तव में जिम्मेदार थे, उन्हें अदालतों से सजा मिली।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हिंसा हुई तब उनके राजनीतिक विरोधी केंद्र में सत्ता में थे और वे चाहते थे कि इन आरोपों पर उन्हें दंडित किया जा।
 
उन्होंने कहा, ‘‘उस समय हमारे राजनीतिक विरोधी सत्ता में थे और स्वाभाविक रूप से वे चाहते थे कि हमारे खिलाफ सभी आरोप टिके रहें। वे हमें सजा मिलते देखना चाहते थे। उनके अथक प्रयासों के बावजूद, न्यायपालिका ने दो बार सावधानीपूर्वक स्थिति का विश्लेषण किया और अंततः हमें पूरी तरह से निर्दोष पाया।’’
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गुजरात, जहां लगभग हर साल हिंसा होती थी, वहां 2002 के बाद से दंगे नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 22 साल में गुजरात में एक भी बड़ा दंगा नहीं हुआ।  मोदी ने कहा  कि गुजरात में पूरी तरह शांति है।’’
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका दृष्टिकोण हमेशा वोट बैंक की राजनीति से बचने का रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मंत्र रहा है, ‘सबका साथ सबका विकास और सबका प्रयास’। हम अपने पूर्ववर्तियों द्वारा अपनाई जाने वाली तुष्टीकरण की राजनीति को पीछे छोड़कर आकांक्षा की राजनीति की ओर बढ़ गए हैं।’’
 
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दंगों के बाद कुछ लोगों ने उनकी छवि खराब करने की कोशिश की, लेकिन अंततः न्याय की जीत हुई और अदालतों ने उन्हें बरी कर दिया।
 
चीन को लेकर क्या कहा 
पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-चीन के मौजूदा रिश्तों पर टिप्पणी की। चीन के साथ पूर्व में तनाव के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विवाद के बजाय बातचीत का समर्थन किया और कहा कि भारत और चीन के बीच मतभेद स्वभाविक हैं, लेकिन मजबूत सहयोग दोनों पड़ोसियों के हित में है और यह वैश्विक स्थिरता के लिए भी आवश्यक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और चीन सीमा पर 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर झड़पों से पहले वाली स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं। 1975 के बाद पहली बार दोनों देशों के बीच टकराव ने संघर्ष का रूप ले लिया था. इस संघर्ष में दोनों पक्षों के जवानों की मौतें हुई थी।
 
पीएम मोदी ने पिछले साल अक्टूबर में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ अपनी बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रपति चिनपिंग के साथ हाल में हुई बैठक के बाद हमने सीमा पर सामान्य स्थिति की वापसी देखी है. हम अब 2020 से पहले की स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं. धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से, विश्वास, उत्साह और ऊर्जा वापस आनी चाहिए, लेकिन स्वाभाविक रूप से, इसमें कुछ समय लगेगा, क्योंकि पांच साल हो गए हैं।
 
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच सहयोग न केवल दोनों देशों के लिए लाभकारी है, बल्कि वैश्विक स्थिरता और समृद्धि के लिए भी आवश्यक है. उन्होंने कहा कि चूंकि 21वीं सदी एशिया की सदी है, हम चाहते हैं कि भारत और चीन स्वस्थ और स्वाभाविक तरीके से प्रतिस्पर्धा करें. प्रतिस्पर्धा बुरी चीज नहीं है, लेकिन इसे कभी संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए.’’ पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच संबंध नये नहीं हैं, क्योंकि दोनों देशों की संस्कृति और सभ्यताएं प्राचीन हैं. उन्होंने कहा, ‘‘आधुनिक दुनिया में भी वे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यदि आप ऐतिहासिक रिकॉर्ड को देखें तो सदियों से भारत और चीन ने एक-दूसरे से सीखा है। 
  
कभी महसूस नहीं हुआ अकेलापन  
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उन्हें कभी अकेलापन महसूस नहीं हुआ क्योंकि भगवान हमेशा उनके साथ रहते हैं। मोदी ने रविवार को लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में अपने जीवन पर स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी के प्रभावों को भी साझा किया। उन्होंने रामकृष्ण परमहंस आश्रम में बिताए समय और स्वामी आत्मस्थानंद के साथ अपने संबंधों के किस्से भी साझा किए।
 
मोदी ने अकेलेपन के बारे में पूछे जाने पर कहा, “मैं कभी अकेलापन महसूस नहीं करता। मैं ‘वन प्लस वन’ सिद्धांत में विश्वास करता हूं। एक मोदी है और दूसरा ईश्वर। मैं वास्तव में कभी अकेला नहीं होता क्योंकि भगवान हमेशा मेरे साथ रहते हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके लिए “जन सेवा ही प्रभु सेवा है”। मोदी ने कहा कि उन्हें ईश्वर और 140 करोड़ भारतीयों का समर्थन प्राप्त है।
 
गायत्री मंत्र का जाप 
अमेरिका के लोकप्रिय पॉडकास्टर और कंप्यूटर वैज्ञानिक लेक्स फ्रीडमैन ने पॉडकास्ट के दौरान गायत्री मंत्र का जाप किया और मोदी से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उनका उच्चारण सही हो। प्रधानमंत्री ने इसके जवाब में खुद मंत्र का जाप किया और इसके गहन महत्व को साझा किया।
 
मोदी ने कहा, “गायत्री मंत्र सूर्य उपासना में गहराई से निहित है और इसमें गहरा आध्यात्मिक सार है। हर मंत्र सिर्फ शब्दों का समूह नहीं बल्कि इसका वैज्ञानिक संबंध है, जो जीवन और ब्रह्मांड के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है।”\ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्राचीन भारतीय परंपराएं आध्यात्मिकता और विज्ञान का सहज मिश्रण हैं, जो मानवता को कालातीत ज्ञान प्रदान करती हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि बचपन में वह अक्सर गांव के पुस्तकालय जाते थे, जहां उन्होंने स्वामी विवेकानंद के बारे में पढ़ा, जिनकी शिक्षाओं ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला।
 
उन्होंने कहा, “विवेकानंद से मैंने सीखा कि सच्ची संतुष्टि व्यक्तिगत उपलब्धियों से नहीं बल्कि दूसरों की निस्वार्थ सेवा से मिलती है।” मोदी ने रामकृष्ण परमहंस आश्रम में बिताए अपने समय को याद किया, जहां वे संतों के संपर्क में आए और उनसे अपार स्नेह मिला।
 
उन्होंने कहा, “स्वामी आत्मस्थानंद के साथ मेरा गहरा रिश्ता बन गया, जो मेरे जीवन में मार्गदर्शक शक्ति बन गए। स्वामी आत्मस्थानंद ने मुझे सलाह दी कि उनका असली उद्देश्य लोगों की सेवा करना और समाज के कल्याण के लिए काम करना है।” मोदी ने महात्मा गांधी की ‘जन शक्ति’ की ताकत को पहचानकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम को ‘जन आंदोलन’ में बदलने की क्षमता पर प्रकाश डाला।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह हमेशा हर पहल में अधिक से अधिक लोगों को शामिल करने का प्रयास करते हैं और इसे ‘जन भागीदारी’ के साथ एक जन आंदोलन में बदल देते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज की सामूहिक शक्ति असीम है। मोदी ने कहा, “महात्मा गांधी न केवल 20वीं सदी के बल्कि 21वीं सदी और आने वाली सदियों के भी महानतम नेता हैं।”
 
एआई को लेकर क्या कहा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता शक्तिशाली है, लेकिन यह कभी भी मानव कल्पनाशीलता की जगह नहीं ले सकती। उन्होंने कहा कि दुनिया चाहे एआई के साथ कुछ भी कर ले, लेकिन भारत के बिना यह अधूरी रहेगी।
 मोदी ने कहा कि वास्तविक मानवीय बुद्धिमत्ता के बिना, कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) विकसित नहीं हो सकती या स्थायी रूप से प्रगति नहीं कर सकती।
 
प्रधानमंत्री ने कहा, “यह सही है कि हर युग में प्रौद्योगिकी और मानवता के बीच प्रतिस्पर्धा का माहौल बना। कई बार इसे संघर्ष के रूप में भी चित्रित किया गया। अक्सर ऐसा दर्शाया गया, मानो प्रौद्योगिकी मानव अस्तित्व को ही चुनौती दे देगी।”
 
उन्होंने कहा, “लेकिन हर बार, जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी आगे बढ़ी, मनुष्य ने खुद को (उसके मुताबिक) ढाल लिया और एक कदम आगे रहा। हमेशा से ऐसा ही होता आया है। आखिरकार, यह मनुष्य ही है जो अपने लाभ के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के सर्वोत्तम तरीके खोजता है।”
 
मोदी ने यह भी कहा कि उनका मानना ​​है कि एआई के साथ, “मनुष्य अब यह सोचने के लिए मजबूर हो रहा है कि मानव होने का सही अर्थ क्या है”।
 
उन्होंने कहा, “यह एआई की असली ताकत है। एआई के काम करने के तरीके की वजह से, इसने हमारे काम को देखने के तरीके को चुनौती दी है। लेकिन मानवीय कल्पना ही ईंधन है। एआई इसके आधार पर कई चीजें बना सकता है और भविष्य में, यह और भी अधिक हासिल कर सकता है। फिर भी, मेरा दृढ़ विश्वास है कि कोई भी प्रौद्योगिकी मानव मस्तिष्क की असीम रचनात्मकता और कल्पनाशीलता की जगह नहीं ले सकती।”
 
एआई के विकास को मूलतः एक सहयोग बताते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि यह भारत के बिना अधूरा रहेगा। उन्होंने कहा, “दुनिया चाहे एआई के साथ कुछ भी करे, भारत के बिना यह अधूरा ही रहेगा। मैं यह बात बहुत जिम्मेदारी से कह रहा हूं। मेरा मानना ​​है कि एआई का विकास मूल रूप से सहयोग है। इसमें शामिल सभी लोग साझा अनुभवों और सीख के माध्यम से एक दूसरे का समर्थन करते हैं।”
 
मोदी ने कहा कि भारत सिर्फ सैद्धांतिक एआई मॉडल ही विकसित नहीं कर रहा है, बल्कि वह बहुत विशिष्ट उपयोग के मामलों के लिए एआई-संचालित अनुप्रयोगों पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है और उन्हें क्रियान्वित कर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) तक पहुंच समाज के हर वर्ग के लिए उपलब्ध हो।
 
उन्होंने कहा, “हमने इसकी व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए पहले से ही एक अद्वितीय बाजार-आधारित मॉडल बनाया है। भारत में मानसिकता में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहा है, हालांकि ऐतिहासिक प्रभावों, पारंपरिक सरकारी प्रक्रियाओं या मजबूत सहायक बुनियादी ढांचे की कमी के कारण हम दूसरों से पीछे दिखाई देते हैं।”
 
प्रधानमंत्री मोदी ने 5जी का उदाहरण देते हुए कहा, “शुरू में दुनिया को लगा कि हम बहुत पीछे हैं। लेकिन एक बार जब हमने शुरुआत की, तो हम विश्व में सबसे तेजी से व्यापक 5जी नेटवर्क शुरू करने वाला देश बन गए।”
 
उन्होंने कहा, “हाल ही में एक अमेरिकी कंपनी के अधिकारी मुझसे मिलने आये और उन्होंने इसी तथ्य के बारे में अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं अमेरिका में इंजीनियरों के लिए विज्ञापन दूं, तो मुझे सिर्फ एक कमरा भरने के लिए ही आवेदक मिलेंगे। लेकिन अगर मैं भारत में ऐसा ही करूं, तो एक फुटबॉल मैदान भी उन्हें रखने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।”
 
मोदी ने कहा, “इससे पता चलता है कि भारत के पास असाधारण रूप से विशाल प्रतिभा का भंडार है और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।” उन्होंने ने इस बात पर जोर दिया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता मूलतः मानवीय बुद्धिमत्ता द्वारा संचालित, निर्मित और निर्देशित होती है।
 
प्रधानमंत्री ने कहा, “वास्तविक मानवीय बुद्धिमत्ता के बिना, एआई स्थायी रूप से विकसित या प्रगति नहीं कर सकती। वास्तविक बुद्धिमत्ता भारत के युवाओं और प्रतिभाओं में प्रचुर मात्रा में मौजूद है, और मेरा मानना ​​है कि यह हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं।”
 
उन्होंने कहा, “मनुष्यों में एक-दूसरे का खयाल रखने की जन्मजात क्षमता होती है, एक-दूसरे के बारे में चिंतित होने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। अब, क्या कोई मुझे बता सकता है कि क्या एआई ऐसा करने में सक्षम है?”
 
पाकिस्तान को सदबुद्धि आए  
पाकिस्तान के साथ शांति बहाल करने के हर प्रयास से सिर्फ दुश्मनी और विश्वासघात ही मिला। उन्होंने उम्मीद जताई कि द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए पड़ोसी मुल्क के शीर्ष नेताओं को सद्बुद्धि आए। मोदी ने याद दिलाया कि उन्होंने 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ को विशेष रूप से आमंत्रित किया था और उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि दोनों देश एक नई शुरुआत कर सकते हैं।
 
प्रधानमंत्री ने कहा, “फिर भी, शांति बहाल करने के हर प्रयास के बदले दुश्मनी और विश्वासघात ही मिला। हम ईमानदारी से उम्मीद करते हैं कि उन्हें सद्बुद्धि आए और वे शांति का रास्ता चुनें।” मोदी ने कहा कि उनका मानना ​​है कि पाकिस्तान के लोग भी शांति चाहते हैं क्योंकि वे भी संघर्ष, अशांति और निरंतर आतंकी माहौल में रहने से थक चुके होंगे, जहां इस तरह की घटनाओं में मासूम बच्चों तक की हत्या की जाती है और अनगिनत लोगों की जिंदगी बर्बाद हो चुकी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने का उनका पहला प्रयास सद्भावना का संकेत था।
 
मोदी ने कहा, “ऐसा दशकों में कभी भी कूटनीतिक संबंधों में नहीं देखा गया था। जो लोग कभी विदेश नीति के प्रति मेरे दृष्टिकोण पर सवाल उठाते थे, वे तब हैरान रह गए जब उन्हें पता चला कि मैंने सभी सार्क (दक्षिण एशियाई राष्ट्रों का समूह) राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया था और हमारे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने थे।” मोदी ने आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की लंबे समय से चली आ रही भूमिका की आलोचना की और इस बात पर जोर दिया कि दुनिया को अब इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि आतंक की जड़ें कहां हैं।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि बार-बार पाकिस्तान उस आतंक के केंद्र के रूप में उभरा है, जिससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को भारी पीड़ा का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के व्यवहार को विचारधारा समझने की भूल नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान के एक घर में छिपे होने का जिक्र करते हुए कहा, “किस तरह की विचारधारा खून-खराबे और आतंक को पोषित करने पर पनपती है? और हम इस खतरे के अकेले पीड़ित नहीं हैं। दुनिया में जहां भी आतंकी हमला होता है, उसका सुराग किसी न किसी तरह पाकिस्तान की ओर जाता है। उदाहरण के लिए 11 सितंबर के हमलों को ही देखें।” भाषा Edited by : Sudhir Sharma