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Last Modified: बुधवार, 3 जुलाई 2019 (11:39 IST)

दुर्बल वर्ग को आरक्षण मामले की सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

दुर्बल वर्ग को आरक्षण मामले की सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई - Weak section will be heard in the Supreme Court of the reservation case
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि आर्थिक रूप से दुर्बल वर्गों के लिए नौकरियों तथा शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 30 जुलाई से सुनवाई की जाएगी।
 
न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने कहा कि इस विवादास्पद कानून के अमल पर अंतरिम रोक के आवेदन पर भी वह सुनवाई करेगा। पीठ ने कहा कि इस मामले में विस्तार से सुनवाई की आवश्यकता है।
 
गैर सरकारी संगठन 'जनहित अभियान' सहित कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि इस कानून के अमल पर रोक लगाने की आवश्यकता है। पीठ ने कहा कि इस मामले में विस्तार से सुनवाई की आवश्यकता है और वह सभी आवेदनों के साथ याचिकाओं पर 30 जुलाई से सुनवाई करेगी।
 
न्यायालय ने इससे पहले सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिए सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से दुर्बल वर्गों अभ्यर्थियों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था के केंद्र सरकार के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था, हालांकि न्यायालय संबंधित कानून की वैधानिकता पर विचार के लिए तैयार हो गया था और उसने केंद्र को नोटिस जारी किया था।
 
इस फैसले को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता ने संविधान (103वें संशोधन) कानून, 2019 को निरस्त करने का अनुरोध किया है। याचिका में तर्क दिया गया है कि आरक्षण के लिए सिर्फ आर्थिक आधार को एकमात्र आधार नहीं बनाया जा सकता है।
 
याचिका में कहा गया है कि इस कानून से संविधान के बुनियादी ढांचे का हनन होता है, क्योंकि आर्थिक आधार पर आरक्षण सिर्फ सामान्य वर्ग तक ही सीमित नहीं किया जा सकता है और वैसे भी आरक्षण 50 फीसदी की सीमा से ज्यादा नहीं हो सकता है। आर्थिक रूप से दुर्बल वर्गों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को मिल रहे 50 फीसदी आरक्षण से इतर है।