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Last Updated : मंगलवार, 9 मार्च 2021 (16:47 IST)

क्‍यों भाजपा का कोई मुख्‍यमंत्री उत्‍तराखंड में पूरा नहीं कर पाया अपना कार्यकाल?

क्‍यों भाजपा का कोई मुख्‍यमंत्री उत्‍तराखंड में पूरा नहीं कर पाया अपना कार्यकाल? - uttarakhand, trivendra singh rawat
उत्‍तराखंड में भाजपा तीसरी बार सत्‍ता में आ चुकी है, लेकिन कमाल की बात है कि यहां मुख्‍यमंत्री कई बार बदल चुके हैं। अब तक नारायण दत्‍त तिवारी ही एक ऐसे नेता रहे हैं, जिन्‍होंने मुख्‍यमंत्री का अपना कार्यकाल किया है। भाजपा का तो कोई भी मुख्‍यमंत्री ने ऐसा नहीं कर सका।

उत्‍तराखंड राज्‍य का गठन साल 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की सरकार के कार्यकाल में हुआ था। यूपी से अलग होने के बाद उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनी थी, लेकिन करीब दो साल में ही राज्‍य ने दो मुख्यमंत्री देखे।

नित्‍यानंद स्‍वामी राज्‍य के पहले मुख्‍यमंत्री थे। उन्‍होंने 9 नवंबर 2000 को शपथ ली थी, लेकिन एक साल में ही उन्‍हें कुर्सी से हटना पड़ा था। उनके खिलाफ भाजपा नेताओं ने मोर्चा खोल दिया था। 29 अक्टूबर 2001 को उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। नित्यानंद के इस्तीफा देने के के बाद भाजपा ने भगत सिंह कोश्यारी को कमान सौंपी।

भगत सिंह कोश्यारी ने 30 अक्टूबर 2001 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन वे भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। एक मार्च 2002 तक ही वह अपनी कुर्सी पर रहे। साल 2002 का चुनाव भाजपा ने भगत सिंह कोश्यारी की अगुवाई में लड़ा। लेकिन इस चुनाव में पार्टी हार गई। सत्‍ता कांग्रेस के हाथ लगी। भगत सिंह कोश्यारी सिर्फ 123 दिन ही मुख्यमंत्री पद पर रह सके।

कांग्रेस ने नारायण दत्‍त तिवारी को मुख्‍यमंत्री बनाया। नारायण दत्‍त तिवारी उत्‍तराखंड के अकेले ऐसे मुख्‍यमंत्री रहे, जिन्‍होंने साल-2002 से 2007 तक अपना कार्यकाल पूरा किया। साल 2007 के चुनाव में कांग्रेस की हार हुई। राज्‍य की सत्‍ता में एक बार फिर भाजपा की वापसी हुई। साल 2007 से 2012 के बीच अपने पांच साल के कार्यकाल में भाजपा ने उत्तराखंड में तीन बार मुख्यमंत्री बदले।

2007 में सत्ता वापसी के बाद भाजपा ने आठ मार्च 2007 को भुवन चन्द्र खंडूरी को सीएम बनाया। वह 23 जून 2009 तक ही इस पद रह सके। उनके बाद भाजपा ने रमेश पोखरियाल निशंक को सत्ता की कमान सौंपी। निशंक 24 जून 2009 को सीएम बने, लेकिन चार महीने बाद ही उनकी कुर्सी चली गई। 10 सितम्बर 2011 में भाजपा ने भुवन चन्द्र खंडूरी को दोबारा सीएम बना दिया। 2012 का चुनाव खंडूरी के नेतृत्‍व में लड़ा गया, लेकिन सत्‍ता में भाजपा की वापसी नहीं हो सकी।

2012 के चुनाव में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी, लेकिन पांच साल में दो बाद सीएम बदले गए। 13 मार्च 2012 को विजय बहुगुणा तो दो साल बाद एक फरवरी 2014 को हरीश रावत ने सीएम पद की शपथ ली।हरीश रावत को भी अपनों की राजनीति का सामना करते रहा पड़ा। कांग्रेसी विधायकों की बगावत के चलते 2016 में राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन लग गया। हालांकि बाद बाद में कोर्ट से राहत मिल गई और दोबारा सत्ता में वापसी हुई।

2017 के चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को हरा दिया। राज्‍य की सत्‍ता में प्रचंड बहुमत से भाजपा की वापसी हुई। 18 मार्च 2017 को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन चार साल बाद अब उनके खिलाफ पार्टी में विधायकों का एक धड़ा आवाज उठा रहा है।
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