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Written By BBC Hindi
Last Updated : मंगलवार, 9 मार्च 2021 (08:28 IST)

पश्चिम बंगाल चुनावः क्या ममता और बीजेपी को स्टार पावर जीत दिला पाएगा?

पश्चिम बंगाल चुनावः क्या ममता और बीजेपी को स्टार पावर जीत दिला पाएगा? - West Bengal election : Mamata, BJP and star power
पश्चिम बंगाल की राजनीति में फ़िल्मकारों को उतारने का चलन कोई बहुत पुराना नहीं है। लेफ्ट फ्रंट के शासन में राजनीति और सिनेमा से जुड़े लोगों के बीच एक मोटी विभाजन रेखा होती थी। लेकिन वर्ष 2006 के बाद ख़ासकर नंदीग्राम और सिंगुर आंदोलनों के ज़रिए मज़बूती से पैठ बनाती तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने पहली बार बड़े पैमाने पर फ़िल्मकारों को राजनीति में लाने की परंपरा शुरू की थी और इसमें उनको काफ़ी कामयाबी मिली।
 
कहा जा सकता है कि यह ममता के लिए तुरुप का इक्का साबित होता रहा है। अब इसकी काट के लिए बीजेपी भी इसी रणनीति पर चलने लगी है। वैसे, पार्टी पहले भी लॉकेट चटर्जी, रूपा गांगुली, बाबुल सुप्रियो और बप्पी लाहिड़ी जैसी फ़िल्मी हस्तियों को मैदान में उतारती रही है। लेकिन अबकी सत्ता के प्रमुख दावेदार के तौर पर उभरते हुए दो सौ सीटों से ज़्यादा जीतने का दावा करने वाली बीजेपी ने बड़े पैमाने पर फ़िल्मकारों को मैदान में उतारने की योजना बनाई है। इसी मुहिम के तहत हाल में बांग्ला फ़िल्मोद्योग से जुड़ी कई हस्तियों को पार्टी में शामिल किया गया है।
 
इस महीने होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले बांग्ला रंगमंच और सिनेमा से जुड़ी हस्तियां थोक भाव में टीएमसी और बीजेपी के ख़ेमे में शामिल हुई हैं। इनमें टीएमसी के ख़ेमे में जाने वालों में सायोनी घोष, कंचन मल्लिक, निर्देशक राज चक्रवर्ती और अभिनेत्री सायंतिका बनर्जी शामिल हैं। ममता ने बीते सप्ताह 291 सीटों के लिए उम्मीदवारों की जो सूची जारी की उनमें कम से कम एक दर्जन ऐसे उम्मीदवार हैं जो बांग्ला सिनेमा उद्योग से जुड़े रहे हैं।
 
उनमें जून मालिया, सायोनी घोष, सायंतिका बनर्जी, कंचन मल्लिक, गायिका अदिति मुंशी, और निर्देशक राज चक्रवर्ती शामिल हैं। इनमें से कुछ लोग एकाध सप्ताह पहले ही टीएमसी के सदस्य बने थे। उनके अलावा क्रिकेटर मनोज तिवारी को भी टिकट दिया गया है।
 
टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता नाम ना बताने की शर्त पर कहते हैं, "इन हस्तियों को मैदान में उतारने का मक़सद युवा और ऊर्जावान नेताओं को सक्रिय राजनीति में लाकर जीत सुनिश्चित करना है। पार्टी बंगाल में युवाओं को राजनीति में लाने का प्रयास कर रही है।"
 
आसनसोल (नार्थ सीट) से मैदान में उतरने वाली अभिनेत्री सायोनी कहती हैं, "मैं हमेशा अन्याय के ख़िलाफ़ मुखर रही हूं। अब मैं इस सिस्टम से जुड़ कर बेहतर काम कर सकूंगी। ममता बनर्जी की सैनिक के तौर पर काम करते हुए मैं पूरे राज्य में उनका संदेश पहुँचाना चाहती हूं।"
 
बीजेपी में मिथुन चक्रवर्ती की एंट्री
टीएमसी में पहले से ही जाने-माने बांग्ला अभिनेता दीपंकर डे, कौशानी मुखर्जी, श्रीतमा भट्टाचार्य, रंजीता दास, नुसरत जहां, मिमी चक्रवर्ती, शताब्दी राय और देवश्री राय जैसे सितारे शामिल हैं। इससे पहले पार्टी तापस पाल, मुनमुन सेन और शीर्ष अभिनेता देब जैसे सितारों को भी लोकसभा चुनावों में टिकट देकर जीत दिला चुकी है।
 
दूसरी ओर, बीजेपी ने भी ममता की रणनीति की काट के लिए हाल में श्रावंती चटर्जी, सौमिली विश्वास, पायल सरकार, रूद्रनील घोष, बीरेन चटर्जी, पापिया अधिकारी, यश दासगुप्ता और हिरण चटर्जी जैसे कई सितारों को अपनी पार्टी में शामिल किया है।
 
इससे पहले आसनसोल सीट से गायक बाबुल सुप्रियो को मैदान में उतारना भी बीजेपी के लिए फ़ायदेमंद रहा है। हालांकि तमाम ताम-झाम के बावजूद एक अन्य गायक बप्पी लाहिड़ी वर्ष 2014 में चुनाव हार गए थे। अब इस सूची में सबसे नया नाम है मिथुन चक्रवर्ती का। मिथुन की राजनीति में यह दूसरी पारी है। इससे पहले टीएमसी टिकट पर वह राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। लेकिन सारदा चिटफ़ंड घोटाले में नाम आने के बाद उन्होंने सेहत के आधार पर समय से पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया था।
 
बीजेपी में शामिल अभिनेता यश दासगुप्ता कहते हैं, "देश के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न ने ही उनको बीजेपी में शामिल होने की प्रेरणा दी है। मैं राजनीति में सक्रिय होकर बंगाल में सामाजिक बदलाव की दिशा में काम करना चाहता हूं। राज्य में आधारभूत ढांचे के विकास और रोज़गार के मौक़े मुहैया कराना ज़रूरी है। इसके लिए निवेश बढ़ाना होगा।"
 
ममता की राह पर बीजेपी
बीजेपी ने अब भले ममता की इसी रणनीति से उनके मुक़ाबले की योजना बना रही हो लेकिन राजनीति से फ़िल्मी दुनिया को जोड़ने की पहल ममता बनर्जी ने ही की थी।
 
टीएमसी ने उम्मीदवारों की सूची घोषित होने के बाद राजनीति में उतरी फ़िल्मी हस्तियों को लिए एक वर्कशॉप का भी आयोजन किया है जहां इन लोगों को बताया गया कि चुनाव अभियान के दौरान क्या और कैसे बोलना है और क्या नहीं बोलना है। उनको विपक्षी उम्मीदवारों पर निजी हमलों से बचने की भी सलाह दी गई है।
 
ममता ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में मुनमुन सेन और संध्या राय के अलावा बांग्ला अभिनेता तापस पाल, अभिनेत्री शताब्दी राय और शीर्ष बांग्ला अभिनेता दीपक अधिकारी उर्फ़ देब को मैदान में उतारा था। अपने ग्लैमर और तृणमूल कांग्रेस के संगठन के सहारे यह तमाम लोग जीत गए थे। फ़िल्मी सितारों के सहारे ही उन्होंने पार्टी की सीटों की तादाद वर्ष 2009 के चुनाव में जीती गई 19 से बढ़ा कर 34 करने में कामयाबी हासिल की थी।
 
क्या सत्ता के लिए बीजेपी भी टीएमसी के आजमाए फ़ॉर्मूले की नक़ल करने का प्रयास कर रही है। इस सवाल पर बीजेपी उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजुमदार का कहना था कि राज्य में पार्टी का बढ़ते असर और जीत तय होने की वजह से ही टीएमसी से परेशान फ़िल्मी हस्तियां बीजेपी का दामन थाम रही हैं। हम किसी को ज़ोर-ज़बरदस्ती करके पार्टी में शामिल नहीं कर रहे हैं।
 
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि ममता ने अपने लंबे राजनीतिक करियर की सबसे गंभीर चुनौती से निपटने के लिए एक बार फिर स्टार पावर का अपना आज़माया और कामयाब फ़ॉर्मूला अपनाया है।
 
अस्सी के दशक से ही बंगाल की राजनीति पर नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार तापस मुखर्जी मानते हैं, "ममता ने पिछले कई चुनावों में फ़िल्मी सितारों को ज़मीन पर उतार कर राजनीति में कामयाबी हासिल की है। इसलिए अब बीजेपी भी इसी आज़माए फ़ॉर्मूले को अपना रही है।"
 
सितारों की इस जंग में कौन धरती पर गिरता है और कौन आसमान में टिकता है, यह तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे। लेकिन फ़िलहाल दोनों राजनीतिक दल राजनीति में स्टार अपील का जमकर इस्तेमाल करने में जुटे हैं।
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