• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Swati Maliwal raised questions on the decision of the Supreme Court
Written By
Last Updated : शनिवार, 17 दिसंबर 2022 (14:45 IST)

स्वाति मालीवाल ने उठाया सवाल, यदि शीर्ष अदालत में भी न्याय नहीं मिलेगा तो लोग कहां जाएंगे?

स्वाति मालीवाल ने उठाया सवाल, यदि शीर्ष अदालत में भी न्याय नहीं मिलेगा तो लोग कहां जाएंगे? - Swati Maliwal raised questions on the decision of the Supreme Court
नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने बिल्कीस बानो की पुनरीक्षण याचिका उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज कर दिए जाने के बाद शनिवार को सवाल किया कि यदि लोगों को शीर्ष अदालत से भी न्याय नहीं मिलेगा तो वे कहां जाएंगे? बानो के साथ 21 साल की उम्र में सामूहिक बलात्कार किया गया था और बेटे सहित परिवार के 6 अन्य लोगों का कत्ल कर दिया गया था।
 
बानो 2002 में गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई थीं और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। न्यायालय ने बानो की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें सामूहिक बलात्कार मामले के 11 दोषियों की सजा माफ करने की अर्जी पर गुजरात सरकार से विचार करने के लिए कहने संबंधी शीर्ष अदालत के आदेश की समीक्षा का अनुरोध किया गया था।
 
मालीवाल ने ट्वीट किया कि उच्चतम न्यायालय ने बिल्कीस बानो की याचिका खारिज कर दी। बिल्कीस बानो के साथ 21 साल की उम्र में सामूहिक बलात्कार किया गया था, उनके 3 साल के बेटे और परिवार के 6 अन्य लोगों का कत्ल कर दिया गया था, पर गुजरात सरकार ने सभी बलात्कारियों को आजाद कर दिया। अगर उच्चतम न्यायालय से भी न्याय नहीं मिलेगा तो लोग कहां जाएंगे?
 
प्रक्रिया के अनुसार शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका पर फैसला संबंधित निर्णय सुनाने वाले न्यायाधीश अपने कक्ष में करते हैं। कक्ष में विचार करने के लिए यह याचिका 13 दिसंबर को न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ के समक्ष आई थी।
 
शीर्ष अदालत के सहायक पंजीयक द्वारा बानो की वकील शोभा गुप्ता को भेजे गए संदेश में कहा गया है कि मुझे आपको यह सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि उच्चतम न्यायालय में दायर उक्त पुनरीक्षण याचिका 13 दिसंबर 2022 को खारिज कर दी गई है।
 
बानो ने एक दोषी की याचिका पर शीर्ष अदालत द्वारा 13 मई को सुनाए गए आदेश की समीक्षा किए जाने का अनुरोध किया था। शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार से 9 जुलाई 1992 की नीति के तहत दोषियों की समय से पूर्व रिहाई की मांग वाली याचिका पर 2 महीने के भीतर विचार करने को कहा था। गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों की सजा माफ करते हुए उन्हें 15 अगस्त को रिहा कर दिया था।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
ये भी पढ़ें
पीएम मोदी कल त्रिपुरा और मेघालय के दौरे पर, अनेक परियोजनाओं की रखेंगे आधारशिला