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Last Modified: शुक्रवार, 5 जून 2020 (17:55 IST)

आतंकियों के साथ ही अफीम की खेती का भी सफाया कर रहे सुरक्षाबल

आतंकियों के साथ ही अफीम की खेती का भी सफाया कर रहे सुरक्षाबल - Security forces are also eliminating poppy cultivation
जम्मू। कश्मीर में सुरक्षाबलों को एकसाथ कई मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है। इनमें आतंकियों के हमलों और 
सीमा पार से घुसपैठ तो है ही, अफीम की बड़े पैमाने पर की जाने वाली खेती भी है। हर साल गर्मियों की शुरुआत के साथ ही उन्हें अफीम की खेती के विरुद्ध व्यापक अभियान छेड़ना पड़ता है।

इसी क्रम में कश्मीर में नशे का कारोबार कर रहे राष्ट्र विरोधी तत्वों के खिलाफ अपनी कार्रवाई करते हुए अवंतीपोरा पुलिस ने अवैध अफीम की खेती को नष्ट करते हुए आज करीब पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया। अवंतीपोरा के गांव काखेरवन में यह खेती पांच कनाल से अधिक भूमि पर लगाई हुई थी।

पुलिस ने खेती को नष्ट करने के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया। सारी अफीम की खेती को एक जगह इकट्ठा किया और बाद में उसे सुरक्षित तरीके से नष्ट कर दिया। यही नहीं खेती लगाने वाले जिन पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनके खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शौकत अहमद मीर, नजीर अहमद मीर, गुलाम मोहम्मद मीर सभी निवासी वखरवान, मोहम्मद सबान, गुलाम हसन शेख दो निवासी ख्वानी के तौर पर हुई है।

अधिकारियों ने बताया कि इन जगहों पर अफीम को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में महंगे दामों पर बेचने के उद्देश्य से लगाया जा रहा है। खेती के बकायदा उन्नत तथा संशोधित बीजों का प्रयोग किया जा रहा है, ताकि अफीम की अधिक से अधिक खेती मुमकिन हो पाए और अच्छे दामों पर बिक पाए। कश्मीरी अफीम की खेती अक्‍सर जंगलों में करते हैं, ताकि किसी को भनक न लगे।

यह भी सच है कि अधिकतर अफीम के खेत केसर की क्यारियों में ही उगाए जा रहे हैं। अवंतीपोरा के पुलिस अधीक्षक भी मानते हैं कि केसर जैसी महंगी फसल भी अब कश्मीरियों को आकर्षित इसलिए नहीं कर पा रही क्योंकि यह बहुत समय लेती है और हमेशा ही इस पर मौसम की मार भी अपना असर दिखाती है।
ऐसे में बिना किसी मेहनत, बिना पानी देने की परेशानी के पैदा होने वाली और केसर की फसल से कहीं अधिक 
धन दिलाने वाली अफीम की खेती अब केसर क्यारियों का स्थान ले रही है। नतीजतन एक्साइज विभाग तथा पुलिस के लिए दिन-ब-दिन अफीम की खेती के बढ़ते रकबे पर इसकी पैदावार को रोक पाना मुश्किल होता जा रहा है।
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