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Written By Author संदीप श्रीवास्तव

रावण की ससुराल से आए घी से होगी अयोध्या में रामलला की पहली आरती

जोधपुर से 1150 किलोमीटर का सफर तय कर अयोध्या पहुंचेगा 600 किलो घी

रावण की ससुराल से आए घी से होगी अयोध्या में रामलला की पहली आरती - Ramlalas first aarti will be performed in Ayodhya with ghee brought from Ravanas in-laws
Ram temple Ayodhya: राम नगरी अयोध्या में 500 वर्ष के लंबे संघर्ष के बाद करोड़ों भक्तों के आराध्य श्रीराम लला के भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण बड़ी ही तीव्र गति से चल रहा है। वर्ष 2024 में मकर संक्रांति के उपरांत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रामलला को गर्भगृह में विराजित करेंगे। विराजमान होने के बाद रामलला की पहली आरती रावण की ससुराल मंडोर (जोधपुर) से 108 रथों पर आने वाले 600 किलोग्राम देसी घी से होगी।  
 
राजस्थान के जोधपुर को रावण ससुराल माना जाता है। दरअसल, रामलला की पहली आरती के लिए बनाड़ रोड पर स्थित संदीपन की राज म गौशाला में गाय का घी एकत्र किया जा रहा है। गौशाला के संचालक के अनुसार वर्ष 2014 से गाय का घी एकत्रित किया जा रहा है। संदीपन ने बताया की वर्ष 2014 में 60 गायों को ट्रक में भरकर काटने के लिए ले जाया जा रहा था। इन गायों को मुक्त कराकर उन्हें स्थानीय गौशालाओं को देनी की कोशिश की, लेकिन सभी ने इंकार कर दिया। 
 
इसके बाद संदीपन ने प्रण किया कि इन सभी गायों को खुद ही रखेंगे और उनके लिए राम गौशाला के नाम से गौशाला बनवाई। इसके बाद उन्होंने संकल्प किया कि यहां से जितना भी देशी घी निकलेगा, उसको रामलला के विराजमान होने के बाद पहली आरती और यज्ञ के लिए भेजा जाएगा।  
 
उन्होंने बताया कि आज उनके पास गायों की संख्या बढ़कर 350 हो गई है। जब गायों की संख्या बढ़ी तो घी की मात्रा भी बढ़ने लगी और देसी गी को हर तीसरे वर्ष 5 जड़ी-बूटियों को मिलाकर उबाला जाता है और घी के बर्तनों को फिर से साफ कर उसमें रखा जाता है। उन्होंने बताया कि 9 वर्षों के बाद भी यह घी खराब नहीं होगा। इसमें हरिद्वार से 5 जड़ी बूटियां लाकर मिलाई गई हैं।
 
इतना ही नहीं घी को स्टील की टंकी में डालकर 16 डिग्री तक के तापमान में रखा गया है। इस घी को अब राम मंदिर को समर्पित किया जाएगा। संदीपन ने बताया कि घी अधिक से अधिक निकले इसके लिए गायों की समुचित देखभाल के साथ ही गौशाला में 24 घंटे भगवत गीता का श्लोक बजते रहते हैं।
 
उन्होंने बताया कि यह 600 किलो घी जोधपुर से 27 नवंबर को 108 बैलों के रथ से अयोध्या के लिए निकलेगा। हर रथ में दो बैल होंगे। यात्रा के दौरान हर रथ के लिए एक ट्रॉला भी होगा। एक शहर से दूसरे शहर की दूरी ट्रॉले के माध्यम से की जाएगी, जबकि नगर में पहुंचने पर रथयात्रा निकाली जाएगी। शहर से बाहर उन्हें फिर ट्रॉले में चढ़ा दिया जाएगा। 
जोधपुर से अयोध्या की दूरी 1150 किलोमीटर की है और यह दूरी 21 दिनों में पूरी की जाएगी। हर दिन 50 से 60 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी और यात्रा 18 दिसंबर को अयोध्या पहुंच जाएगी। यात्रा के दौरान शहर के प्रमुख 4 से 5 मंदिरों के दर्शन भी करने की योजना है। यह सिलसिला जोधपुर से शुरू होकर अयोध्या तक जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि इस यात्रा में भगवान राम के जन्म से लेकर राजतिलक तक के विभिन्न प्रसंगों की झांकियां भी रहेंगी। 
 
क्या है रावण का जोधपुर से कनेक्शन : मंडोर यानी जोधपुर को रावण की ससुराल माना जाता है। स्थानीय लोग आज भी रावण को अपना दामाद मानते हैं। यहां दवे, गोधा और श्रीमाली समाज के लोग रावण की पूजा-अर्चना भी करते हैं। कहा जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी के पिता मयासुर ने ब्रम्हाजी से वरदान प्राप्त कर अपनी प्रेमिका अप्सरा हेमा के लिए मंडोर जैसा खूबसूरत नगर बनाया था। यही कारण है कि इस स्थान को रावण की ससुराल कहा जाता है। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala