इलाहाबाद। प्रयाग के कुंभ में पहली बार किन्नर अखाड़ा अपना शिविर लगाएगा, जिसमें देश के साथ ही विदेशों से भी बड़ी संख्या में किन्नर जुटेंगे। अन्य अखाड़ों की पेशवाई की तरह किन्नर अखाड़ा अपनी देवत्व यात्रा भी निकालेगा।
किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने पीटीआई भाषा के साथ विशेष बातचीत में बताया, 'इस शिविर में सभी महामंडलेश्वर का पट्टाभिषेक कराया जाएगा। देश विदेश से भारी तादाद में किन्नर समुदाय से लोग यहां आएंगे।'
दरअसल कुंभ के मौके पर विभिन्न अखाड़ों द्वारा निकाली जाने वाली शोभा यात्रा को किन्नर देवत्व यात्रा कहते हैं। अप्रैल 2016 में सिंहस्थ कुंभ के दौरान निकाली गई देवत्व यात्रा में विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों ने शिरकत की थी। सिंहस्थ कुंभ में किन्नर अखाड़े ने पहली बार अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी।
किन्नर अखाड़ा ने कुंभ मेला के नोडल अधिकारी आशीष गोयल से शिविर के लिए 25 बीघा जमीन, 200 स्विस कॉटेज, 200 फैमिली काटेज टेंट, 250 अपर फ्लाई टेंट, प्रवचन के लिए मैटिंग के साथ 500x500 पाइप टिन, 500 वीवीआईपी कुर्सी, 200 सोफा, 250 तख्त, 500 ट्यूबलाइट, 500 शौचालय की सुविधा और दो कंपनी पीएसी सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।
उन्होंने बताया, 'गोयल ने कहा है कि जैसे ही अन्य लोगों को जमीन एवं सुविधाओं का आवंटन होगा, वह हमें भी जमीन देंगे। यह कोई बड़ी चीज नहीं है। उन्होंने हर तरह के सहयोग का आश्वासन दिया है। कुंभ में किन्नर अखाड़ा सनातन धर्म को लेकर फैलाई जा भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास करेगा।'
त्रिपाठी ने कहा, 'धर्म सबका है, यह किसी की बपौती नहीं है, हम यही कोशिश करेंगे कि सामान्य व्यक्ति भी धर्म से जुड़े और आने वाली पीढ़ी को सनातन धर्म के बारे में पता चले। हमारे अखाड़े में औरतें भी महामंडलेश्वर, पीठाधीश्वर हैं। हमारा अखाड़ा लैंगिकता में विश्वास नहीं रखता।'
उन्होंने कहा, 'साधुओं जैसी दीक्षा हमारी नहीं हो सकती क्योंकि हम किन्नर हैं। सनातन धर्म में हमारी व्यवस्था पहले से अलग है। विभिन्न शास्त्रों में हमारा वजूद बहुत उत्तम तरीके से दर्शाया गया है। नरों की श्रेणी हो सकती है, किन्नरों की कोई श्रेणी नहीं होती।'
आसाराम प्रकरण का जिक्र करने पर त्रिपाठी कहते हैं, 'हमारा सनातन धर्म इतना छोटा नहीं है कि किसी एक व्यक्ति के कृत्य की वजह से इस धर्म पर कुछ आंच आए। जब हम धर्म की ध्वजा और मर्यादा लेकर चलते हैं तो उस धर्म की कसौटी पर खरा उतरना जरूरी है।'
उज्जैन मुख्यालय स्थित किन्नर अखाड़े में पांच महामंडलेश्वर, 20-25 पीठाधीश्वर और बहुत सारे महंत हैं। किन्नर अखाड़े की योजना काशी, प्रयाग, हरिद्वार और नासिक में अपना आश्रम स्थापित करने की है।
त्रिपाठी ने कहा, 'जिस समाज ने कटाक्ष भरी नजरों से हमारे मनुष्य होने का वजूद छीन लिया, हम उसी समाज से अनुरोध करेंगे कि हम भी तुम्हारे ही बच्चे हैं और सनातन धर्म से जुड़े हैं और जुड़ना चाहते हैं। हम प्रेम के भूखे हैं, हमारा कोई परिवार नहीं है। अगर आप प्रेम देंगे तो हम समाज को बहुत कुछ देकर जाएंगे।' (भाषा)