भाजपा के लिए मुश्किल है चुनावी डगर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 6 बड़ी चिंताएं...
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव 2019 के लिए भाजपा ने कमर कस ली है। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा की चुनावी तैयारियों की समीक्षा हुई। आइए जानते हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा के सामने कौन सी बड़ी परेशानियां है-
मॉब लिंचिंग : पिछले कुछ दिनों से देशभर में मॉब लिंचिंग की घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं ने कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। भीड़ किसी भी अफवाह और भड़काऊ मैसेज के चलते हिंसक हो जाती है। गौहत्या, लव जिहाद, भूत-प्रेत जैसी अफवाहों के बाद पिछले दिनों ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। मॉब लिंचिंग की कई घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को गाइडलाइंस के प्रचार के निर्देश दिए थे। केंद्र सरकार ने भी व्हाट्सएप को चेतावनी दी थी कि वह अफवाह, भड़काऊ और फेक न्यूज पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए। लेकिन इसके बाद भी हिंसक भीड़ द्वारा किसी की जान लेने की घटनाओं पर रोक नहीं लगी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा सरकार के लिए मॉब लिंचिंग एक बड़ी चिंता की बात बनती जा रही है।
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते भाव : जीएसटी और नोटबंदी के बाद पेट्रोल और डीजल के लगातार बढ़ते दाम भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए चिंता का एक कारण बने हुए हैं। विपक्षी पार्टियां बढ़ते दामों को लेकर सरकार पर लगातार निशाना साध रही हैं। कांग्रेस ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के खिलाफ 10 सितंबर को 'भारत बंद' का ऐलान किया है। शिवसेना भी बढ़ते दामों को लेकर भाजपा पर निशाना साथ रही है। शिवसेना ने मुंबई में पोस्टर लगाकर 2015 से लेकर 2018 के बीच पेट्रोल-डीजल और गैस की बढ़ोतरी को दर्शाया है।
डॉलर के मुकाबले गिरता रुपया : 2014 से पहले नरेन्द्र मोदी अपने चुनावी भाषण में रुपया गिरने का जिक्र बार-बार करते थे, लेकिन अब यही गिरता रुपया उनकी चिंता का कारण बना हुआ है। डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार गिरावट आ रही है। गुरुवार को पहली बार रुपया डॉलर के मुकाबले 72 के पार चला गया है। यह रुपए की ऐतिहासिक गिरावट थी। गिरते रुपए का असर सीधे कच्चे तेल के आयात पर पड़ता है, इससे पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि होती है और महंगाई बढ़ती है। आने वाले चुनावों को देखते हुए गिरता रुपया भी मोदी सरकार के लिए एक बड़ी चिंता बनी हुई है।
किसानों की नाराजगी : मोदी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की है, लेकिन बड़ा सवाल यह कि क्या न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों तक पहुंचता है। हाल ही वामपंथी संगठनों ने दिल्ली में देशभर के किसानों और मजदूरों को लेकर एक बड़ी रैली का आयोजन किया था। इसमें लाखों किसानों ने दिल्ली में रैली का आयोजन किया था। चुनावी वर्ष को देखते हुए सरकार को अपनी योजनाओं का प्रचार-प्रसार किसानों तक करना होगा तथा किसानों का दिल जीतना होगा।
SC/ST एक्ट : केंद्र सरकार द्वारा SC/ST एक्ट में संशोधन के बाद सवर्ण समाज केंद्र सरकार से नाराज है। इस एक्ट के खिलाफ सवर्ण संगठनों ने 6 सितंबर को बंद का आयोजन भी किया था। इस बंद का असर उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार में अधिक देखने को मिला। उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकारें हैं। एक ओर 25 प्रतिशत SC/ST हैं तो दूसरी ओर 75 प्रतिशत अन्य वर्गों के लोग। ऐसे में सरकार खुद पसोपेश में है कि वह क्या करे। करणी सेना ने तो घोषणा की है कि वह भाजपा के दोहरे रवैए को देखते हुए उसका घेराव करेगी।
सोशल मीडिया : 2014 के लोकसभा चुनावों में जिस सोशल मीडिया ने नरेन्द्र मोदी को गुजरात से दिल्ली तक के सफर को आसान किया था, आज वही प्रधानमंत्री की चिंता का बड़ा कारण बना हुआ है। सोशल मीडिया पर भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ कई आंदोलनों की रूपरेखा तैयार हुई है। किसान आंदोलन से लेकर आरक्षण और एससी एसटी एक्ट के खिलाफ हुए आंदोलनों में सोशल मीडिया बड़ा प्लेटफॉर्म बना।