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Last Modified: शुक्रवार, 17 नवंबर 2023 (21:16 IST)

सिलक्यारा सुरंग में अटकी सांसें, मलबे में 22 मीटर तक पाइप डाले

सिलक्यारा सुरंग में अटकी सांसें, मलबे में 22 मीटर तक पाइप डाले - Pipes up to 22 meters long were laid in debris of Silkyara tunnel
Uttarkashi Silkyara Tunnel Accident: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने के कारण उसके अंदर पिछले 130 घंटों से अधिक समय से फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए 'एस्केप टनल' बनाने के लिए नई और शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन ने शुक्रवार को मलबे को 22 मीटर तक भेद दिया।
 
रविवार सुबह हुए हादसे के बाद से लगातार चलाए जा रहे बचाव अभियान की अद्यतन स्थिति बताते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास कारपोरेशन लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के निदेशक अंशु मनीष खाल्को ने कहा कि मलबे में ड्रिलिंग कर 6 मीटर लंबे चार पाइप डाल दिए गए हैं जबकि पांचवें पाइप को डालने की कार्रवाई जारी है।
 
उन्होंने बताया कि चौथे पाइप का अंतिम दो मीटर हिस्सा बाहर रखा गया है जिससे पाचवें पाइप को ठीक तरह से जोड़कर उसे अंदर डाला जा सके। उन्होंने बताया कि सुरंग में कुल 45 से 70 मीटर तक मलबा जमा है जिसमें ड्रिलिंग की जानी है।
 
यह पूछे जाने पर कि मशीन प्रति घंटा चार-पांच मीटर मलबे को भेदने की अपनी अपेक्षित गति क्यों नहीं हासिल कर पाई, उन्होंने कहा कि पाइपों को डालने से पहले उनका संरेखण करने तथा जोड़ने में समय लगता है। खाल्को ने यह भी दावा किया कि डीजल से चलने के कारण ड्रिलिंग मशीन की गति भी धीमी है।
 
उन्होंने कहा कि बीच-बीच में ड्रिलिंग को रोकना भी पड़ता है क्योंकि भारी मशीन में कंपन होने से मलबा गिरने का खतरा हो सकता है। निदेशक ने कहा कि यह डीजल से चलने वाली मशीन है, जो एक बंद जगह पर काम कर रही है। इसे कुछ निश्चित अंतराल पर हवा संचालन भी चाहिए। मशीन चलने से कंपन भी होता है जिससे आसपास का संतुलन खराब हो सकता है और मलबा गिरने की संभावना हो सकती है।
 
खाल्को ने कहा कि हम एक रणनीति से काम कर रहे हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि बीच में कुछ गलत न हो जाए। उन्होंने कहा कि बैक अप योजना के तहत इंदौर से हवाई रास्ते से एक और ऑगर मशीन मौके पर लाई जा रही है जिससे बचाव अभियान निर्बाध रूप से चलता रहे।
 
मशीन में तकनीकी खराबी : इस बीच, सूत्रों ने बताया कि मशीन में तकनीकी खराबी आ गई है और इसलिए इंदौर से नई मशीन मंगाई जा रही है। ड्रिलिंग कार्य भी दोपहर से बंद है। बचाव अभियान में लगे एक अधिकारी ने नाम उजागर न किए जाने की शर्त पर बताया कि इंदौर से हैवी ऑगर मशीन आने के बाद ही पुन: कार्य शुरू होगा। इससे पहले, मंगलवार देर रात एक छोटी ऑगर मशीन से मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गई थी, लेकिन इस दौरान भूस्खलन होने तथा मशीन में तकनीकी समस्या आने के कारण काम को बीच में रोकना पड़ा था।
 
इसके बाद भारतीय वायुसेना के सी-130 हरक्यूलिस विमानों के जरिए 25 टन वजनी बड़ी, अत्याधुनिक और शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन दो हिस्सों में दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचाई गई जिससे बृहस्पतिवार को दोबारा ड्रिलिंग शुरू की गई। 
 
योजना यह है कि ड्रिलिंग के जरिए मलबे में रास्ता बनाते हुए उसमें 900 मिमी व्यास के छह मीटर लंबे पाइपों को एक के बाद एक इस तरह डाला जाएगा कि मलबे के एक ओर से दूसरी ओर तक एक ‘वैकल्पिक सुरंग’ बन जाए और श्रमिक उसके माध्यम से बाहर आ जाएं।
 
मलबे ने बढ़ाई मुसीबत : मौके पर बचाव कार्यों की निगरानी कर रह एक विशेषज्ञ आदेश जैन ने बताया कि अमेरिकी ऑगर मशीन को बचाव कार्यों की गति तेज करने के लिए मंगाया गया। उन्होंने कहा कि पुरानी मशीन की भेदन क्षमता मलबे को 45 मीटर भेदने की थी जबकि ऊपर से लगातार मलबा गिरने के कारण वह 70 मीटर तक फैल गया है।
 
इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को लगातार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। उन्हें ऑक्सीजन, बिजली, दवाइयां और पानी भी पाइप के जरिए निरंतर पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्रमिकों से निरंतर बातचीत जारी है और बीच-बीच में उनकी उनके परिजनों से भी बात कराई जा रही है।
 
झारखंड सरकार की टीम मौके पर पहुंची : इस बीच, झारखंड सरकार की एक टीम अपने श्रमिकों की कुशलक्षेम जानने के लिए मौके पर पहुंची। आईएएस अधिकारी भुवनेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में पहुंची तीन सदस्यीय टीम ने झारखंड के मजदूर विश्वजीत एवं सुबोध से पाइप के जरिए बातचीत कर उनका हालचाल लिया।
 
इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए सिंह ने केंद्र एवं उत्तराखंड सरकार द्वारा बचाव एवं राहत के लिए चलाए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि प्रशासनिक स्तर पर इस हादसे के प्रबंधन और बचाव कार्य हेतु मुकम्मल इंतजाम किए गए हैं। उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएस पंवार ने कहा कि सुरंग के पास एक छह बिस्तरों का अस्थाई चिकित्सालय तैयार कर लिया गया है।
 
उन्होंने बताया कि मौके पर 10 एंबुलेंस के साथ मेडिकल टीम भी तैनात हैं ताकि श्रमिकों को बाहर निकलने पर उनको तत्काल चिकित्सकीय मदद दी जा सके। चारधाम परियोजना के तहत निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर के मुहाने से 270 मीटर अंदर एक हिस्सा रविवार सुबह ढह गया था जिसके बाद से उसमें फंसे 40 श्रमिकों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है। (भाषा)