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Written By वेबदुनिया न्यूज डेस्क

मुलायम ने अयोध्या में 1990 में कारसेवकों पर चलवाई थीं गोलियां

मुलायम ने अयोध्या में 1990 में कारसेवकों पर चलवाई थीं गोलियां - orders of Mulayam In 1990 kar sevaks were fired upon in Ayodhya
समाजवादी पार्टी के संस्थापक एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को (10 अक्टूबर 2022) को निधन हो गया। भारत के रक्षामंत्री रहे मुलायम के नाम यूं तो कई उपलब्धियां दर्ज हैं, लेकिन 1990 में अयोध्या में कारसेवकों पर हुई गोलीबारी की घटना का दाग भी उनके खाते में दर्ज है। गोलीबारी की घटना के बाद से ही उन्हें मुल्ला मुलायम सिंह कहा जाने लगा था। 
 
दरअसल, 1990 के दशक मे राम मंदिर आंदोलन पूरे उभार पर था। उसी दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकाली थी। हालांकि बिहार में लालू यादव ने उन्हें गिरफ्तार करवाकर रथयात्रा को रोक दिया था। मुलायम सिंह यादव उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री थे। 
 
उस समय मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि विवादित स्थल पर परिंदा पर नहीं मार सकेगा। 30 अक्टूबर 1990 को लाखों की तादाद में कारसेवक अयोध्या पहुंचे चुके थे। इसी बीच, कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई और 30 अक्टूबर को कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया गया। इस गोलीबारी में 5 कारसेवकों की मौत हुई थी। 
 
इस गोलीकांड के बाद देशभर में माहौल तनावपूर्ण हो गया। कारसेवक और उग्र हो गए। 2 नवंबर को हजारों की संख्‍या में कारसेवक हनुमानगढ़ी की तरफ बढ़ रहे थे। बड़ी संख्या में कारसेवक हनुमानगढ़ी के निकट पहुंच गए। यह विवादित ढांचे के बिलकुल करीब था। दूसरी ओर छतों पर बंदूकधारी पुलिसकर्मी तैनात थे। इसी बीच, सामने से आ रहे कारसेवकों पर सुरक्षाकर्मियों ने फायरिंग शुरू कर दी। इस गोलीबारी में करीब डेढ़ दर्जन कारसेवकों की मौत हुई थी। इनमें कोलकाता के कोठारी बंधु भी शामिल थे। 
 
अयोध्या में कारसेवकों पर गोलीबारी की घटना के बाद हिन्दू समुदाय में मुलायम सिंह के खिलाफ काफी गुस्सा देखा गया। लोगों ने उन्हें मुल्ला मुलायम सिंह कहना शुरू कर दिया। इस घटना का मुलायम सिंह को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि मुस्लिम सपा के करीब आए, लेकिन 1990 के गोलीकांड के बाद हुए विधानसभा चुनाव में मुलायम बुरी तरह चुनाव हार गए। इसके बाद भाजपा के कल्याण सिंह मुख्‍यमंत्री बने। 
 
हालांकि बाद में मुलायम सिंह ने इस घटना पर अफसोस व्यक्त करते हुए कहा था कि उनके पास कोई विकल्प नहीं था। मेरे सामने मंदिर-मस्जिद के साथ ही देश की एकता का भी सवाल था। देश की एकता के लिए मुझे गोली चलवानी पड़ी। 
 
अधिकारियों की पत्नियों ने किया था कमिश्नर का घेराव : मुलायम के गोली चलाने के फैसले के खिलाफ उस समय अयोध्या में एक और दृश्य नजर आया था। फैजाबाद के सेना और सरकारी अधिकारियों की पत्नियां कारसेवकों पर गोलीबारी के खिलाफ सड़कों पर उतर आईं। उन्होंने तत्कालीन कमिश्नर का घेराव कर उनसे सवाल किया कि निहत्थे कारसेवकों पर गोलियां क्यों चलाई गईं? वे मुख्‍यमंत्री के गलत आदेश को मान रहे हैं। उस समय कमिश्नर के पास महिलाओं के सवालों को कोई जवाब नहीं था। 
 
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