नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 18 जून को गुजरात के वडोदरा में 'गुजरात गौरव अभियान' कार्यक्रम के अंतर्गत 21,000 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाली विभिन्न विभागों की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'मुख्यमंत्री मातृशक्ति योजना' (एमएमवाय) का राज्यव्यापी शुभारंभ करेंगे।
गुजरात सरकार ने महिला की गर्भावस्था से लेकर मातृत्व के पहले 1,000 दिनों तक माता और शिशु दोनों को पोषणयुक्त आहार उपलब्ध कराने तथा उनकी पोषण स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से 'मुख्यमंत्री मातृशक्ति योजना' की घोषणा की है। इसके साथ ही राज्य की सभी आदिवासी बहुल तहसीलों में 'पोषण सुधा योजना' को लॉन्च कर आदिवासी क्षेत्र की महिलाओं को इस योजना के तहत शामिल किया जाएगा।
क्या है मुख्यमंत्री मातृशक्ति योजना? : माता का खराब पोषण स्तर गर्भ में मौजूद बच्चे (भ्रूण) के विकास को बाधित करता है, जो आगे चलकर बच्चे के खराब स्वास्थ्य की वजह बनता है। गर्भवती माताओं में कुपोषण और एनीमिया बच्चे की वृद्धि और विकास पर गंभीर प्रभाव डालता है। महिला के गर्भकाल के 270 दिन और बच्चे के जन्म से 2 वर्ष तक के 730 दिन यानी कुल 1,000 दिनों की अवधि को 'फर्स्ट विंडो ऑफ अपॉर्चुनिटी' कहा जाता है।
इस समय के दौरान माता और बच्चे के पोषण स्तर को सुदृढ़ बनाना आवश्यक है। इस विषय के महत्व को समझते हुए भारत सरकार के 'पोषण अभियान' के अंतर्गत माता और बच्चे के इन 1,000 दिनों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा गया है। यह बात काफी महत्वपूर्ण है कि इस अवस्था के दौरान माता के आहार में अन्न और प्रोटीन, वसा तथा अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व उपलब्ध हों। इसे ध्यान में रखते हुए गुजरात सरकार ने इन 1,000 दिनों के दौरान गर्भवती और प्रसूता माताओं को पोषणयुक्त आहार प्रदान करने के उद्देश्य से 'मुख्यमंत्री मातृशक्ति योजना' स्वीकृत की है।
वर्ष 2022-23 में सभी प्रथम गर्भवती और प्रथम प्रसूता माता तथा स्वास्थ्य विभाग के सॉफ्टवेयर में गर्भवती के तौर पर या जन्म से 2 वर्ष के बच्चे की माता के रूप में पंजीकृत लाभार्थी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को आंगनबाड़ी केंद्र से राशन के रूप में प्रतिमाह 2 किलो चना, 1 किलो अरहर दाल और 1 लीटर मूंगफली का तेल देने का निर्णय किया गया है।
राज्य सरकार ने इस योजना के लिए चालू वर्ष के बजट में 811 करोड़ रुपए की बड़ी रकम का प्रावधान किया है। वहीं अगले 5 वर्ष के लिए 4,000 करोड़ रुपए से अधिक की रकम का प्रावधान किया जाएगा। इस योजना से माता और बच्चे की पोषण की स्थिति में सुधार होगा। समय से पहले जन्म लेने वाले या कम वजन वाले बच्चों के जन्म की संख्या में कमी आएगी और संपूर्ण स्वस्थ बच्चों का जन्म होगा। इसके साथ ही, माता मृत्यु दर और बाल मृत्यु दर में भी कमी आएगी।
राज्य की आदिवासी बहुल तहसीलों में पोषण सुधा योजना की लॉन्चिंग : महिला के जीवन में गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली अवस्था अत्यंत अहम होती है। माता के गर्भ में मौजूद शिशु (भ्रूण) के लिए तथा जन्म के बाद उसे स्तनपान कराने के लिए माता को अधिक मात्रा में पोषण की जरूरत पड़ती है। इस जरूरत की पूर्ति के लिए राज्य सरकार ने प्रायोगिक स्तर पर दाहोद, वलसाड़, महीसागर, छोटाउदेपुर और नर्मदा सहित गुजरात के 5 आदिवासी बहुल जिलों की 10 तहसीलों में 'पोषण सुधा योजना' लागू की गई थी। अब इसका विस्तार कर राज्य के सभी 14 आदिवासी बहुल जिलों की कुल 106 तहसीलों में इस योजना को कार्यान्वित किया जाएगा।
इस योजना के अंतर्गत आंगनवाड़ी में पंजीकृत गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को एक समय का संपूर्ण पोषक भोजन प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही आयरन और कैल्शियम की गोलियां तथा स्वास्थ्य और पोषण के बारे में शिक्षा दी जाती है। योजना की निगरानी और निरीक्षण के लिए विशेष मोबाइल एप्लीकेशन भी बनाया गया है।
चालू वर्ष में इस योजना के लिए 118 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जिसके अंतर्गत प्रतिमाह लगभग 1.36 लाख लाभार्थियों को शामिल किया जाएगा। राज्य की माताओं और बच्चों के पोषण की स्थिति में सुधार लाने के लिए और एक सुदृढ़ और स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए गुजरात सरकार का महिला एवं बाल विकास विभाग निरंतर प्रयासरत है।