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Last Updated : रविवार, 27 अप्रैल 2025 (09:48 IST)

मणिशंकर अय्यर बोले, क्या पहलगाम त्रासदी विभाजन के अनसुलझे सवालों का नतीजा?

manishankar aiyer
Manishankar Aiyer on Pahalgam attack : पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने एक पुस्तक विमोचन समारोह में सवाल किया कि पहलगाम त्रासदी विभाजन के अनसुलझे सवालों का परिणाम थी। उन्होंने कहा कि उस समय भी देश के सामने प्रश्न था और आज भी वही प्रश्न है, वह यह है कि क्या भारत में मुसलमान खुद को स्वीकार्य, स्नेह प्राप्त और सम्मानित महसूस करते हैं? ALSO READ: पाकिस्तान ने लगातार तीसरे दिन तोड़ा सीज फायर, भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब
 
उन्होंने कहा कि कई लोगों ने लगभग विभाजन को रोक दिया था, लेकिन ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि गांधीजी, पंडित नेहरू, जिन्ना और जिन्ना से असहमत कई अन्य मुसलमानों के बीच भारत की राष्ट्रीयता और इसकी सभ्यतागत विरासत की प्रकृति की मूल्य प्रणालियों और आकलन में मतभेद थे।
 
उन्होंने कहा कि लेकिन सच्चाई यह है कि विभाजन हुआ और आज तक हम उस बंटवारे के परिणामों के साथ जी रहे हैं। क्या हमें इसी तरह जीना चाहिए? क्या बंटवारे के अनसुलझे सवाल ही 22 अप्रैल को पहलगाम में हुई भयानक त्रासदी में प्रतिबिंबित हुए हैं।
 
अय्यर ने कहा कि उपमहाद्वीप में मुसलमानों का मसीहा बनने का पाकिस्तान का सपना 1971 के युद्ध के बाद खत्म हो गया, जब बांग्लादेश एक अलग देश बन गया। ALSO READ: राजा का धर्म है प्रजा की रक्षा करना, अत्याचारियों को मारना, RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान
 
कांग्रेस नेता ने कहा कि 1971 का विभाजन हुआ था, जब पाकिस्तान की आधी से अधिक आबादी और उसके बहुत महत्वपूर्ण भूभाग को जानबूझकर इस आधार पर पाकिस्तान से अलग कर दिया गया था कि मुसलमान होना ही पर्याप्त नहीं है, बंगाली होना भी आवश्यक है।
 
उन्होंने कहा कि यह समझने में विफलता कि प्रत्येक आजादी के इस पहचान के एक से अधिक आयाम होते हैं, 1971 में पाकिस्तान के साथ जो हुआ उसके लिए जिम्मेदार थी। भारत के मुसलमानों की मातृभूमि होने और पूरे उपमहाद्वीप में मुस्लिम समुदाय के मसीहा के रूप में पहचाने जाने का उसका सपना हमेशा के लिए खत्म हो गया।
 
विभाजन-पूर्व काल का संदर्भ देते हुए अय्यर ने कहा कि वास्तविक प्रश्न जो उस समय भारत के समक्ष था और जो आज भी उसे परेशान कर रहा है, वह यह है कि उस समय लगभग 10 करोड़ मुसलमानों और अब लगभग 20 करोड़ मुसलमानों के साथ क्या किया जाए।
 
उन्होंने आगे कहा कि क्या हम जिन्ना के दृष्टिकोण को स्वीकार करते हैं और कहते हैं नहीं, वे एक अलग राष्ट्र हैं जो हमारे बीच विध्वंसक या संभावित विध्वंसक के रूप में रह रहे हैं’ या हम उन्हें देखते हैं और कहते हैं ‘वे हमारे अभिन्न अंग हैं’? क्या हम खुद को एक समग्र के रूप में परिभाषित करते हैं या हम कहते हैं ‘नहीं, हमारी पहचान में केवल एक आयाम है और वह हिंदू धर्म का धार्मिक आयाम है’?
 
अय्यर ने कहा कि आज के भारत में क्या मुसलमान यह महसूस करता है कि उसे स्वीकार किया जा रहा है? क्या मुसलमान यह महसूस करता है कि उसे स्नेह दिया जा रहा है? क्या मुसलमान यह महसूस करता है कि उसे सम्मानित किया जा रहा है? मैं अपने सवालों का जवाब क्यों दूं? किसी भी मुसलमान से पूछिए और आपको जवाब मिल जाएगा। (भाषा)
edited by : Nrapendra Gupta
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