गुरुवार, 21 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Kashmir stone pelting
Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : रविवार, 2 सितम्बर 2018 (18:14 IST)

कश्मीर में रेलवे के विस्टाडोम कोच पर पत्थरबाजों का साया!

कश्मीर में रेलवे के विस्टाडोम कोच पर पत्थरबाजों का साया! - Kashmir stone pelting
श्रीनगर। शीशे वाले रेल कोच अर्थात विस्टाडोम में बैठकर कश्मीर की खूबसूरती को निहारने के सपने पर उन पत्थरबाजों का साया पूरी तरह से मंडरा चुका है, जो कश्मीर में पर्यटकों के कदमों को अपनी पत्थरबाजी से रोक चुके हैं। हालांकि रेलवे ने मई महीने से इस सेवा को आरंभ करने की घोषणा तो की थी, पर अनुभवों के चलते वह अभी भी इसे चला पाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया है। दरअसल, रेलवे पत्थरबाजों के कारण रेलवे की संपत्ति को होने वाले नुकसान को भुला नहीं पाई है।
 
कश्मीर घूमने आने वाले पर्यटक अब वादी के प्राकृतिक सौंदर्य का मजा पारदर्शी शीशे की बड़ी-बड़ी खिड़कियों और शीशे की छत वाली कोच, जिसे विस्टाडोम कोच कहते हैं, में बैठकर ले सकते हैं। विस्टाडोम कोच की सुविधा मई में बनिहाल-बारामूला रेलवे सेक्शन पर उपलब्ध हो जाएगी। राज्य पर्यटन विभाग और रेलवे मंत्रालय की ओर से शुरू की जा रही सुविधा का ऐलान पिछले वर्ष जून में तत्कालीन रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने किया था।
 
अभी तक का सपना यही था कि कश्मीर की यात्रा करने वाले पर्यटक मई महीने से वहां के  विस्मयकारी ग्रामीण परिदृश्य का बखूबी नजारा देख पाते, क्योंकि पर्यटन विभाग और रेलवे, यहां  की एकमात्र रेल लाइन पर विस्टाडोम कोच शुरू करने वाले थे। पिछले साल जून में तत्कालीन  रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने जम्मू में एक कार्यक्रम के दौरान जम्मू-कश्मीर के लिए विस्टाडोम कोच की  घोषणा की थी।
 
पर्यटन निदेशक ने पत्रकारों को बताया था कि विस्टाडोम कोच यहां पहुंच चुका है और उसे मई में शुरू किया जाना था लेकिन अब यह कब से पटरी पर उतरेगा, कोई नहीं जानता। कुछ दिन पहले मध्य कश्मीर के बड़गाम रेलवे स्टेशन पर 40 सीटों वाले इस कोच का निरीक्षण कर चुके पर्यटन निदेशक ने कहा था कि 'देखे कोच के माध्यम से' सेवा यात्रियों को रोचक अनुभव प्रदान करेगी।
 
पर इतना जरूर था कि कश्मीर में पत्थरबाजों से इस कोच को कैसे बचाया जाएगा, के सवाल पर अभी भी मंथन चल रहा है। दरअसल, कश्मीर में रेलवे की संपत्ति तथा रेलें भी पिछले कुछ अरसे से पत्थरबाजों के निशाने पर रही हैं और रेलवे को करोड़ों का नुकसान इन पत्थरबाजों के कारण झेलना पड़ा है।
 
कश्मीर के पर्यटन निदेशक ने बताया कि 40 सीटों की क्षमता वाली विस्टाडोम कोच कश्मीर में पहुंच चुकी है। इसका एक बार ट्रॉयल हो चुका है। यह कोच वातानुकूलित है। इसकी खिड़कियां मोटे पारदर्शी शीशे की हैं, जो सामान्य से कहीं ज्यादा बड़ी हैं। इसकी छत भी शीशे की और इसमें ऑब्जर्वेशन लाउंच और घूमने वाली सीटों की व्यवस्था है। इसमें स्वचालित स्लाइंडग दरवाजे हैं। एलईडी स्क्रीन और जीपीएस की सुविधा भी है। यात्री अपनी इच्छानुसार भोजन और जलपान की  प्री बुकिंग भी कर सकते हैं।
 
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि एक बार विस्टाडोम कोच की सेवा औपचारिक रूप से शुरू होने के बाद इच्छुक व्यक्ति रेलवे की इंटरनेट साइट पर ऑनलाइन बुकिंग करा सकते हैं। इस वातानुकूलित कोच में शीशे की बड़ी-बड़ी खिड़कियां, शीशे की छत, अवलोकन क्षेत्र, घुमावदार सीटें हैं ताकि यात्री बारामूला से बनिहाल के 135 किमी लंबे मार्ग में आकर्षक सुंदर परिदृश्य का मजा ले पाएं। विशेष तौर पर डिजाइन किए गए इस डिब्बे में आरामदेह झुकी हुई सीटें हैं जिसे  आसपास का नजारा देखने के लिए 360 डिग्री पर घुमाया जा सकता है।
 
पर्यटन निदेशक ने कहा कि हम कश्मीर में पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए सिर्फ विस्टाडोम की सेवा ही शुरू नहीं कर रहे बल्कि कश्मीर के इतिहास को लाइट एंड साउंड शो के जरिए भी पर्यटकों तक पहुंचाने जा रहे हैं। यह शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में नियमित रूप से होगा। इसकी तैयारियां अंतिम चरण में हैं, पर यह अब कब शुरू होगा कोई नहीं जानता। इन प्रयासों और सुविधाओं से कश्मीर में पर्यटकों की आमद बढ़ाने में मदद मिलेगी, पर वे पत्थरबाजों के खतरे पर चुप्पी जरूर साध लेते थे।