नहीं चला भाजपा का CM एक्सपेरिमेंट, महाराष्ट्र के बाद झारखंड भी गया हाथ से...
भाजपा ने विधानसभा चुनावों में राज्यों के मुख्य वोटर समुदाय के अलावा अन्य जातियों को अपने पक्ष में लाने के लिए उन्हें मुख्यमंत्री पद से नवाजने का जो एक्सपेरिमेंट किया था वो लगातार उल्टा पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा में यह प्रयोग मनोहरलाल खट्टर और महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के रूप में किया, फिर झारखंड में रघुबर दास के रूप में यही प्रयोग दोहराया गया।
इस एक्सपेरिमेंट में तीनों ही राज्यों में जहां मुख्यमंत्री पद पर दावा यहां के प्रभावशाली समुदाय का रहा करता था। भाजपा ने इसे तोड़ने की कोशिश की थी।
महाराष्ट्र में बीजेपी ने मराठा के बजाय ब्राह्मण को सीएम बनाया, हरियाणा में गैर जाट और झारखंड में गैर आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाया।
तीनों राज्यों में पहली बार तो यह प्रयोग सफल रहा, लेकिन 2019 के चुनावी रण में यह दांव उल्टा पड़ गया। हाल ही में आए परिणाम भाजपा के लिए पक्ष में नहीं रहे।
महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद 30 वर्षों से गठबंधन में रही शिवसेना 'शिवसैनिक' के नाम पर अड़ गई और फडणवीस दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। इसके पहले हरियाणा में भी खट्टर सरकार जैसे-तैसे दुष्यंत चौटाला की मेहरबानी से अपनी कुर्सी बचा पाई।
इसी कड़ी में झारखंड में रघुबर दास भी दोबारा सत्ता हासिल करने में न सिर्फ नाकाम रहे बल्कि भाजपा के कई बड़े चेहरे इस चुनावी रण में हार गए।