• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Jharkhand Election Result setback for BJP
Written By Author विकास सिंह
Last Updated : सोमवार, 23 दिसंबर 2019 (13:09 IST)

झारखंड चुनाव : 370 के बाद राममंदिर कार्ड भी फेल, भाजपा की रणनीति पर उठे सवाल

झारखंड चुनाव : 370 के बाद राममंदिर कार्ड भी फेल, भाजपा की रणनीति पर उठे सवाल - Jharkhand Election Result setback for BJP
झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। ठीक एक साल पहले 2018 दिसंबर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हार का सामना करने वाली भाजपा देखते ही देखते एक साल में 5 राज्यों में सत्ता गंवा चुकी है।

झारखंड में भाजपा को हार ऐसे समय मिली है जब केंद्र की मोदी सरकार लगातार अपने चुनावी घोषणा पत्र को पूरा करते हुए लगातार बड़े अपने राष्ट्रवादी एजेंडे को पूरा करने के लिए बड़े फैसले लेती जा रही है और पार्टी इसे अपनी सरकार की अहम उपलबब्धि बताते हुए इन मुद्दों पर राज्य के विधानसभा चुनाव लड़ रही है। 
 
नहीं चला राममंदिर का कार्ड - झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राममंदिर का कार्ड खूब चला। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में चुनाव प्रचार का शंखनाद करते हुए चुनावी रैली में राममंदिर का कार्ड चलते हुए राममंदिर की राह में सबसे बड़ा रोड़ा कांग्रेस को बताया था।

पीएम मोदी ने अयोध्या में राममंदिर नहीं बनने के लिए खुले तौर पर कांग्रेस को जिम्मेदार बताया था। वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी चुनावी रैली में मंच से इस बात का एलान किया था कि अयोध्या में 4 महीने में आसमान छूता राममंदिर बनेगा। इसके साथ झारखंड में चुनाव प्रचार करने पहुंचे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो झारखंड के लोगों से मंदिर निर्माण के लिए 11 रुपए चंदा और ईट दान देने की बात कही थी। वहीं अब चुनावी नतीजें बताते हैं कि राममंदिर का कार्ड भी भाजपा की चुनावी नैय्या को पार नहीं लगा सका। 
370 के बाद नागरिकता कार्ड भी फेल - अगर झारखंड़ में भाजपा की चुनाव प्रचार की रणनीति को गौर से देखे तो पार्टी ने बड़े राष्ट्रवाद को अपने चुनाव प्रचार का मुख्य मुद्दा बनाया था। पार्टी ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने से लेकर नागरिकता कानून को अपने चुनाव प्रचार का मुख्य मुद्दा बनाया था।

झारखंड में पांच चरण के चुनाव के अंतिम तीन दौर में मतदान से पहले भाजपा ने नागरिकता कानून का कार्ड खेल कर वोटों के धुव्रीकण करने की जो कोशिश की तो वह पूरी तरह फेस साबित हुई और अब चुनाव नतीजों ने उस पर मोहर भी लगा दी है। 
 
भाजपा की रणनीति पर उठे सवाल - केंद्र में मोदी 2.0 सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद भाजपा ने जिस तरह ताबड़तोड़ अपने चुनावी घोषणा पत्र को पूरा कर लोगों को एक विश्वास दिलाने की कोशिश की उस पर भी झारखंड की हार के बाद सवाल उठ सकते है। महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में ट्रिपल तलाक और धारा 370 के मुद्दें का असर न होना और अब राममंदिर और नागरिकता के कार्ड भी एक तरह से फेल हो जाना भाजपा के लिए एक चुनौती से कम नहीं है। 
 
लोकसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल करने वाली भाजपा का सात महीने के अंदर महाराष्ट्र के बाद झारखंड में सत्ता गंवाना इस बात का भी संकेत है कि भाजपा विधासभा चुनाव के लिए जो रणनीति अपना रही है वह कहीं न कहीं अब सवालों के घेरे में आ गई है।

2014 में भाजपा के केंद्र में सत्ता में आने के बाद और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा ने लगातार राज्यों की सत्ता पर अपना कब्जा जमाया था उस रणनीति पर भी अब सवाल उठने लगे है। भाजपा जो लगातार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों को उठा रही है उसको शायद अब समझना होगा कि राज्य के चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते है और केंद्र के चुनाव अलग मुद्दें पर होते है।   
 
 
ये भी पढ़ें
Live commentary : झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम