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Last Updated : सोमवार, 5 अगस्त 2019 (21:54 IST)

जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त, बनेगा केंद्र शासित प्रदेश

Artical 370। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त, बनेगा केंद्र शासित प्रदेश - Jammu and Kashmir
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारी बहुमत के साथ दूसरी बार सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार ने राजनीतिक रूप से दूरगामी प्रभाव वाले ऐतिहासिक फैसले के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के साथ ही इस सीमावर्ती क्षेत्र को 2 भागों में बांटने और उन्हें केंद्र शासित प्रदेश बनाने का कदम उठाया है।
 
अब जम्मू-कश्मीर अलग तथा लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे। जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की दिल्ली की तरह अपनी विधानसभा होगी लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी। जम्मू-कश्मीर में अब राज्यपाल नहीं होगा बल्कि वहां का प्रमुख उपराज्यपाल होगा। इस फैसले के बाद अब राज्य का अलग संविधान और अलग ध्वज नहीं रहेगा।
 
राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद ने जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35ए को निष्प्रभावी कर उसके स्थान पर नया आदेश जारी किया।

गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में भारी शोर-शराबे के बीच जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जे के प्रावधान वाले संविधान के अनुच्छेद 370 तथा अनुच्छेद 35ए को समाप्त करने का संकल्प पेश किया।

उन्होंने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक भी पेश किया जिसमें जम्मू-कश्मीर को 2 भागों में बांटकर उसके दोनों हिस्सों को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रावधान है।
 
भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही अनुच्छेद 370 को समाप्त करने पर जोर देती रही है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर को एक तरह से स्वायत्तशासी राज्य का दर्जा मिला हुआ है। इस दर्जे के चलते देश के अन्य हिस्सों में लागू बहुत से कानून वहां अमल में नहीं आते हैं। विदेश, रक्षा, वित्त और संचार को छोड़कर अन्य विषयों से संबंधित कानूनों को जम्मू-कश्मीर में लागू करने से पहले वहां की अनुमति लेनी होती है।
 
नागरिकता, मानवाधिकार, संपत्ति का अधिकार जैसे अहम मसलों पर जम्मू-कश्मीर में अलग कानून हैं। अनुच्छेद 370 से जुड़े 35ए के जरिए जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं। राज्य से बाहर के लोग न तो वहां स्थायी रूप से बस सकते हैं और न अचल संपत्ति खरीद सकते हैं। राज्य के स्थायी निवासियों को ही सरकारी नौकरी मिल सकती है।
 
जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती, अमरनाथ यात्रा को बीच में रोकने तथा पर्यटकों को घाटी से लौटने की सलाह दिए जाने के बाद से ही केंद्र सरकार द्वारा इस तरह के कदम उठाए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं।
 
कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कश्मीर में रविवार रात से धारा 144 लागू कर दी गई थी तथा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती सहित प्रमुख विपक्षी नेताओं को उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया था। कश्मीर के कई हिस्सों में मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को भी बंद कर दिया गया।
 
सरकार के इस कदम पर संसद के दोनों सदनों में जबरदस्त हंगामा हुआ। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के 2 सदस्यों ने संविधान की प्रति फाड़ने का प्रयास किया जिस पर उन्हें राज्यसभा से बाहर निकाल दिया गया।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक तथा वामदलों ने सरकार के फैसलों का जहां कड़ा विरोध किया वहीं बहुजन समाज पार्टी, अन्नाद्रमुक, बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस ने इसका समर्थन किया। भाजपा की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड ने इसके विरोध में राज्यसभा से बहिर्गमन किया। आम आदमी पार्टी ने भी सरकार के इस कदम का समर्थन किया है।
 
जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद देश में राज्यों की संख्या 29 से घटकर 28 रह जाएगी जबकि केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 7 से बढ़कर 9 हो जाएगी।
आडवाणी ने फैसले का किया स्वागत : भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि जनसंघ के समय से यह हमारे मुख्य मुद्दों में शामिल रहा है।
 
आडवाणी ने कहा कि मैं अनुच्छेद 370 समाप्त करने के सरकार के फैसले से खुश हूं और मेरा मानना है कि राष्ट्रीय अखंडता को मजबूत करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि जनसंघ के समय से ही अनुच्छेद 370 को समाप्त करना भाजपा की विचारधारा का हिस्सा है।
 
उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह को इस ऐतिहासिक कदम के लिए बधाई देता हूं और जम्मू-कश्मीर की शांति, खुशहाली और विकास के लिए दुआ करता हूं। (वार्ता)
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