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Last Modified: चेन्नई , बुधवार, 15 फ़रवरी 2017 (12:10 IST)

ISRO की 7 सफलताएं, कैसे बना भारत का गौरव...

ISRO की 7 सफलताएं, कैसे बना भारत का गौरव... - ISRO seven success
इसरो ने बुधवार को एक गौरवशाली विश्व रिकॉर्ड तब बना लिया जब PSLV के जरिए एक साथ 104 सैटेलाइट भेजने में सफलता प्राप्त कर ली। भारत के इसरो ने इस मेगा मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करते हुए नया विश्व रिकॉर्ड बना लिया है। इसके पहले यह रिकार्ड रूस के नाम था जिसने 2014 में 37 सैटेलाइट एक साथ भेजने में कामयाबी हासिल की थी। 
 
क्या है खास: इसरो के इस लॉन्च में 101 छोटे सैटेलाइट्स हैं उनका वजन 664 किलो ग्राम था। मजे की बात यह है कि इन्हें कुछ वैसे ही अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया जैसे स्कूल बस बच्चों को क्रम से अलग-अलग ठिकानों पर छोड़ती जाती हैं। आइए जानते हैं इसरो को विश्व में इस स्थान पर पहुंचाने वाली वो सफलताएं जिसने इसरो को एक विश्व-विख्यात व विश्वसनीय अंतरिक्ष एजेंसी का दर्जा दिलाया।  
 
PSLV: इसरो ने 1990 में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) को विकसित किया था। 1993 में इस यान से पहला उपग्रह ऑर्बिट में भेजा गया, इससे पहले यह सुविधा केवल रूस के पास थी। 
 
चंद्रयान : 2008 में इसरो ने चंद्रयान बनाकर इतिहास रचा था।  22 अक्टूबर 2008 को स्वदेश निर्मित इस मानव रहित अंतरिक्ष यान को चांद पर भेजा गया था।  इससे पहले ऐसा सिर्फ छह देश ही कर पाए थे। 
 
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मंगलयान : भारतीय मंगलयान ने इसरो को दुनिया के नक्शे पर चमका दिया।  मंगल तक पहुंचने में पहले प्रयास में सफल रहने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना।  अमेरिका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों को कई प्रयासों के बाद मंगल ग्रह पहुंचने में सफलता मिली।  चंद्रयान की सफलता के बाद ये वह कामयाबी थी जिसके बाद भारत की चर्चा अंतराष्ट्रीय स्तर पर होने लगी। 
 
जीएसएलवी मार्क 2 : जीएसएलवी मार्क 2 का सफल प्रक्षेपण भी भारत के लिए बड़ी कामयाबी थी, क्योंकि इसमें भारत ने अपने ही देश में बनाया हुआ क्रायोजेनिक इंजन लगाया था।  इसके बाद भारत को सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ा। 
 
खुद का नेविगेशन सिस्टम मिला : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने 28 अप्रैल 2016 भारत का सातवां नेविगेशन उपग्रह (इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) लॉन्च किया।  इसके साथ ही भारत को अमेरिका के जीपीएस सिस्टम के समान अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम मिल गया।  इससे पहले अमेरिका, चीन और रूस के पास ही यह तकनीक थी। 
 
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2016 में कायम की नई मिसालें: तकनीकी मोर्चे पर इस एक साथ 20 उपग्रह लॉन्च करने के अलावा इसरो ने अपना नाविक सैटेलाइट नेविगेशन प्रणाली स्थापित किया और दोबारा प्रयोग में आने वाले प्रक्षेपण यान (आरएलवी) और स्क्रैमजेट इंजन का सफल प्रयोग किया।  इस साल इसरो ने कुल 34 उपग्रहों को अंतरिक्ष में उनकी कक्षा में स्थापित किया, जिनमें से 33 उपग्रहों को स्वदेश निर्मित रॉकेट से और एक उपग्रह (जीएसएटी-18) को फ्रांसीसी कंपनी एरियानेस्पेस द्वारा निर्मित रॉकेट से प्रक्षेपित किया।  
 
भारतीय रॉकेट से प्रक्षेपित किए गए 33 उपग्रहों में से 22 उपग्रह दूसरे देशों के थे, जबकि शेष 11 उपग्रह इसरो और भारतीय शिक्षण संस्थानों द्वारा निर्मित थे। 
 
 
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