Last Updated :श्रीहरिकोटा , बुधवार, 15 फ़रवरी 2017 (12:53 IST)
इसरो ने रचा इतिहास, एक साथ छोड़े 104 उपग्रह
श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश)। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) ने बुधवार को एक ही रॉकेट के माध्यम से रिकॉर्ड 104 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण करके इतिहास रच दिया है। इन उपग्रहों में भारत का पृथ्वी पर्यवेक्षण उपग्रह भी शामिल है। यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से किया गया है। किसी एकल मिशन के तहत प्रक्षेपित किए गए उपग्रहों की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है।
ध्रुवीय अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी37 ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर उड़ान भरी। इसने सबसे पहले कार्टेसैट-2 श्रेणी के उपग्रह को कक्षा में प्रवेश कराया और इसके बाद शेष 103 नैनो उपग्रहों को 30 मिनट में प्रवेश कराया गया। इनमें 96 उपग्रह अमेरिका के थे।
अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिए जाने पर मिशन कंट्रोल सेंटर के वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने घोषणा की कि सभी 104 उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश कराया गया।
इस सफल प्रक्षेपण पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्विट किया कि इसरो के पूरे दल को उनके द्वारा किए गए इस अदभुत काम के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। एक बार में सबसे ज्यादा उपग्रह प्रक्षेपित करने का श्रेय अब तक रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के पास था। उसने एक बार में 37 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया था। इसरो ने जून 2015 में 1 मिशन में 23 उपग्रह प्रक्षेपित किए थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सफल प्रक्षेपण पर इसरो दल को बधाई भी दी।
बुधवार के इस जटिल मिशन में 28 घंटे की उल्टी गिनती पूरी होने के बाद पीएसएलवी-सी37 ने 714 किलोग्राम के काटेसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह को कक्षा में प्रवेश कराया। इसके बाद उसने इसरो के नैनो उपग्रहों- आईएनएस-1ए और आईएनएस-1बी को 505 किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित ध्रुवीय सौर स्थैतिक कक्षा में प्रवेश कराया।
भारतीय उपग्रहों को कक्षा में प्रवेश कराए जाने के बाद विदेशी ग्राहकों के अन्य 101 नैनो उपग्रहों को श्रृंखलाबद्ध तरीके से कक्षा में प्रवेश कराया गया। इसरो ने कहा कि आईएनएस-1ए और आईएनएस-1बी इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर और लेबोरेट्री फॉर इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स सिस्टम्स से कुल चार पेलोडों से लैस हैं, जिनका इस्तेमाल विभिन्न प्रयोगों में किया जाना है।
काटरेसैट-2 श्रृंखला का उपग्रह ऐसी तस्वीरें भेजेगा, जो तटीय भू प्रयोग एवं नियमन, सड़क तंत्र निरीक्षण, जल वितरण, भू-प्रयोग नक्शों का निर्माण आदि कार्यों में शामिल होंगी। इस मिशन की अवधि पांच साल की है।
इस मिशन के तहत भारतीय उपग्रहों के साथ गए 101 सहयात्री उपग्रहों में से 96 उपग्रह अमेरिका के हैं। इसके अलावा पांच उपग्रह इसरो के अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के हैं, जिनमें इसराइल, कजाखस्तान, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के इन नैनो उपग्रहों को इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के बीच हुए समझौते के तहत प्रक्षेपित किया गया है।
किरण कुमार ने यह भी कहा कि इसरो मंगलयान मिशन को ग्रहण की लंबी अवधि में बचे रहने के योग्य बना रहा है, जिसके बाद वह कम से कम दो-तीन साल तक काम कर सकेगा, बशर्ते हमारे सामने और अधिक मुश्किलें न आ जाएं। (भाषा)