भारत में फ्युअल सेल ट्रेन बनाने पर काम शुरू
नई दिल्ली। पारंपरिक रेल इंजनों की जगह हाइड्रोजन का ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने वाले फ्युअल सेल ट्रेनों के विकास के लिए आंध्र प्रदेश एसआरएम विश्वविद्यालय और एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने इंटीग्रल कोच फैक्टरी, चेन्नई के साथ एक करार किया है।
एसआरएम विश्वविद्यालय ने सोमवार को बताया कि यह करार फ्युअल सेल आधारित ट्रेन प्रोटोटाइप बनाने के लिए है। फ्युअल सेल ट्रेन पारंपरिक इंजनों के मुकाबले बिना किसी शोर के काम करती हैं। ये इंजन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी नहीं करते, इसलिए इनके इस्तेमाल से कार्बन फुटप्रिंट कम करने में मदद मिलती है।
करार के तहत एसआरएम एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स की अवधारणा बनाने और उसे तैयार करने के लिए जिम्मेदार होगा जबकि इंटीग्रल कोच फैक्टरी उपकरण का विकास डीसी लिंक से आगे करेगा और यह कोच में स्विचर के आगे होगा। मुख्य प्रोटोटाइप का विकास दिसंबर 2018 तक होना है और उम्मीद है कि फ्युअल सेल आधारित यात्री ट्रेन दिसंबर 2019 से जनता को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए काम करने लगेगी।
एसआरएम विश्वविद्यालय के कुलपति डी. नारायण राव ने बताया कि लोकोमोटिव के रूप में 100 अश्व शक्ति के फ्युअल सेल पॉवर्ड स्विचर कोच का समानांतर विकास यात्री ट्रेन और दो कोच के साथ किया जाएगा। प्रत्येक कोच 65 यात्री की क्षमता वाला होगा और 75 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगा। (वार्ता)