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Last Updated : सोमवार, 30 अप्रैल 2018 (14:36 IST)

भारत के बड़े हिस्से में उठ रही हैं आग की लपटें

भारत के बड़े हिस्से में उठ रही हैं आग की लपटें | Flames in India
नई दिल्ली। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने भारत के काफी बड़े हिस्से की 10 दिन पुरानी तस्वीरें जारी की हैं जिनमें दर्शाया गया है कि भारत के कुछ राज्यों- उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और कुछ दक्षिण भारत के राज्यों में आग की लपटें देखी गई हैं। 
 
विदित हो कि भारत में गर्मी के मौसम में तेज गर्मी के कारण आग लग जाती है जिससे ब्लैक कॉर्बन पैदा होता है जो कि प्रदूषण फैलाता है। नासा की तस्वीरों में जो बिंदुनुमा आकार दिखाए गए हैं, वे मध्य भारत में फसलों में लगने वाली आग के हैं।  
 
यह आग किसानों द्वारा भी लगाई जाती है क्योंकि चावल और गेहूं की फसल के बाद किसान अपने खेतों की सफाई का काम मजदूरों से नहीं कराना चाहते हैं, इस कारण से छोटे-छोटे ठूंठ खेतों में खड़े रह जाते हैं। चूंकि ये पशु आहार के तौर पर भी काम नहीं आता है, इस कारण से गेहूं के छोटे-छोटे ठूंठों को जलाने की प्रवृति बढ़ रही है।   
एक जानकारी के मुताबिक खेतों में खड़ी फसल के अवशेषों को जलाने से देश में करीब 14 फीसदी काले कार्बन का उत्सर्जन होता है। हाल के वर्षों में गेंहूं के अवशेषों को जलाने के मामलों में सीहोर जिले में करीब 10 किसानों को गिरफ्तार किया गया। अप्रैल की शुरुआत में मध्यप्रदेश के हरदा और बेतूल जिलों के करीब 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में आग देखी गई।
 
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार भी किसानों से पराली नहीं जलाने के लिए अपील कर चुकी है। दिल्ली से लगे इलाकों में प‍राली जलाने के परिणामस्वरूप राजधानी में प्रदूषण का स्तर और ज्यादा बढ़ जाता है।

पंजाब में खेतों में लगने वाली आग के अर्थशास्त्र की जानकार रिद्मिमा गुप्ता का कहा है कि खेतों में खड़ी फसल के अवशेषों को जलाने से देश में करीब 14 फीसदी काले कार्बन का उत्सर्जन होता है। हाल के वर्षों में गेहूं के अवशेषों को जलाने के मामलों में सीहोर जिले में करीब 10 किसानों को गिरफ्तार किया गया। अप्रैल की शुरुआत में मध्यप्रदेश के ही हरदा और बेतूल जिलों के करीब 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में आग देखी गई। 
 
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार किसानों से अपील कर चुकी है कि वे खेतों में पराली न जलाएं। राजधानी दिल्ली के आसपास पंजाब, हरियाणा आदि क्षेत्रों में पराली जलाने से प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है।